- बीजिंग और झोंगझोउ में कोरोना से दहशत
- कोरोना की वजह से लगने लगा लॉकडाउन
- पार्क, स्कूल-कॉलेज और बाज़ार हुए बंद
चीन में कोरोना एक बार फिर पैर पसारता नज़र आ रहा है। यहां कोविड मरीज़ों की संख्या अचानक बढ़ गई है। जबकि कोरोनावायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर लॉकडाउन की अवधि को भी बढ़ा दिया गया है। कोरोना से सबसे ज़्यादा प्रभावित झोंगझोउ के आठ जिलों की कुल आबादी करीब 66 लाख है और वहां लोगों को अगले पांच दिनों तक अपने-अपने घरों में रहने को कहा गया है। जबकि, इस दौरान रेस्टोरेंट्स बंद कर दिए गए हैं। पार्कों में सन्नाटा पसरा है। स्कूल-कॉलेज भी बंद कर दिए गए हैं। बाज़रों में ताला लग गया है। उधर जानकारी के मुताबिक, बीजिंग के चाओयांग ज़िले में भी कोरोना की वजह से तालेबंदी शुरु हो गयी है। बीजिंग स्थित एक प्रदर्शनी केंद्र को अस्थायी अस्पताल में तब्दील कर दिया गया है।बीजिंग इंटरनेशनल स्ट्डीज यूनिवर्सिटी में भी आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के मुताबिक वहां पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के 31,444 नए मामले सामने आए हैं।
- चीन के वुहान शहर में 2019 में सामने आए संक्रमण के पहले मामले के बाद देश में एक दिन में सामने आए ये सबसे अधिक मामले हैं।
- जबकि, इस सप्ताह छह महीने बाद संक्रमण से मौत का एक मामला भी सामने आया है।
चीन पर आर्थिक मंदी का संकट, एशिया के लिए बुरी खबर

चीन में कोरोना के तीन साल पूरे होने वाले हैं। जीरो कोविड नीति के कारण लोगों में आक्रोश है। लोग इसे लेकर सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन भी कर चुके हैं। लेकिन, ये चीन की शी जिनपिंग सरकार की मजबूरी ही है कि उन्हें ना चाहते भी लॉकडाउन लगाना पड़ रहा है। जबकि, इसका सीधा असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। चीन की फैक्ट्रियों की उत्पादन क्षमता कम हो गई है, और बढ़ती मांग को वो पूरा करने में असमर्थ नज़र आ रही हैं। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने संभावना जाहिर की है कि चीन की विकास दर इस साल 3.2 प्रतिशत रह सकती है, जो की पिछले साल 8.1 प्रतिशत थी। वहीं, अगले साल इसकी रफ्तार 4.4% रहेगी, जबकि 2024 में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। ऐसे में अगर चीन की अर्थव्यवस्था रसातल में गई तो इसका असर समूचे एशिया पर पड़ेगा, क्योंकि चीन ना सिर्फ एक बड़ी आर्थिक शक्ति है, बल्कि कच्चे माल और सुई से लेकर जहाज़ तक बनाने वाला मुल्क। एशिया में शायद ही ऐसा कोई देश है जो चीन से वस्तुओं का आयात ना करता हो।