- जोशीमठ से लोगों को बाहर निकालने का काम शुरु
- सीएम पुष्कर सिंह धामी ने किया जोशीमठ का दौरा
- जोशीमठ के हालात को देखते हुए अलर्ट पर सेना
- केंद्र सरकार की समिति कर ही है मामले की जांच
उत्तराखंड में मौजूद पौराणिक नगरी जोशीमठ बद्रीनाथ धाम का प्रवेश द्वार है। बद्रीनाथ के कपाट बंद होने के बाद 6 महीने भगवान बद्रीविशाल की गद्दी इसी शहर में विराजमान होती है। जोशीमठ में ही आदि गुरु शंकराचार्य को ज्ञान प्राप्त हुआ, यहां का प्राचीन नरसिंह मंदिर आस्था का केंद्र है। लेकिन, आज वही जोशीमठ जख्मी है, पीड़ा में है, जनता ज़ार-ज़ार रो रही है। जोशीमठ के लोग उस विकास नाम की बला को कोस रहे हैं जिसने उनकी ज़िंदगी रैनबसेरों की ओर मोड़ दी। सालों से सूखे पहाड़ों पर बसे जोशीमठ के लोग उन पुराने दिनों को याद कर आंसू बहा रहे हैं जब उनके घरों की मजबूत दीवारें तनकर खड़ी थी, बुनियाद में इतना बाहुबल था कि उसकी गोद में हर कोई सुरक्षित था। मगर विकास नाम के हथौड़े ने पहाड़ को इतना पीट डाला कि जोशीमठ की जड़ें हिल गई।
ख़तरा इतना बड़ा की अलर्ट पर सेना
- जोशी बाग़, मनोहर बाग और मारवाड़ी तक दरारें लगातार बढ़ती जा रही हैं।
- जोशीमठ के लोग डरे हुए हैं और अपना घर-बार छोड़कर जा रहे हैं।
- जोशीमठ की घटना को लेकर SDRF के जवानों को अलर्ट मोड पर रखा गया है।
- SDRF बटालियन के हेडक्वार्टर में सभी जवानों को अलर्ट पर रहने को कहा गया है।
- जानकारी के मुताबिक जरूरत पड़ने पर बटालियन हेडक्वार्टर में और जवानों को भेजा जाएगा।
- जोशीमठ की पोस्ट में जवानों की संख्या बढ़ाई गई है, 40 से 50 जवान तैनात किए गए हैं।
- जोशीमठ के आसपास सेना के 4 से 5 पोस्ट को भी अलर्ट पर रखा गया है, जहां करीब 100 जवान हैं।
- मकानों पर दरारों के चलते करीब 600 परिवारों को सुरक्षित जगह शिफ्ट किया जाना है।
…जब धामी पहुंचे जोशीमठ, छलका लोगों का दर्द
पाताललोक में समाते जोशीमठ का हाल जानने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री (CM) पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने पहले हवाई सर्वेक्षण किया, और इसके बाद ग्राउंड ज़ीरो पर पहुंचे। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हालात का जायज़ा लिया, दरकते मकानों और फटती सड़कों को देखा। धामी उन लोगों से भी मिले जिनके आशियाने पाताल में समा जाने को बेताब नज़र आ रहे हैं। इस दौरान कुछ लोगों की आंखों में आंसू आ गए और वो पुष्कर सिंह धामी से लिपट कर रोने लगे। सीएम धामी ने उन्हें ढांढस बंधाया और वादा किया कि राज्य सरकार उनकी हर मुमकिन मदद करेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि…
”सरकार प्रभावितों के साथ खड़ी है। जोशीमठ में भवनों,सड़कों और खेतों में आ रही दरारें और कुछ स्थानों पर पानी रिसने की घटना से क्षेत्र के लोग दहशत में हैं। जिला प्रशासन के निर्देश पर लोगों का सुरक्षित स्थानों पर अस्थायी पुनर्वास किया जा रहा है। प्रभावितों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाना सरकार की पहली प्रथामिकता है।”
पीड़ितों की पुकार, अब जागी सरकार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ भू-धंसाव (Landslide) के कारण डेंजर ज़ोनवाले क्षेत्रों में बनी इमारतों को फौरन खाली कराने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य सचिवालय में जोशीमठ में हो रहे भूस्खलन से पैदा हुए हालात की समीक्षा की। बैठक में धामी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोशीमठ गए विशेषज्ञ दल के सदस्यों से भी जुड़े। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सुरक्षित जगह पर एक बड़ा अस्थायी पुनर्वास केंद्र बनाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने सचिव आपदा प्रबंधन, आयुक्त गढ़वाल मंडल और जिलाधिकारी से विस्तृत रिपोर्ट लेते हुए निर्देश दिए कि चिकित्सा, उपचार संबंधी सभी सुविधाएं पहले से ही तैयार रहनी चाहिए। जरूरत पड़ने पर लोगों को एयर लिफ्ट करने की तैयारी भी पुख्ता कर लेनी चाहिए। जबकि, इससे पहले धामी सरकार ने ऐलान किया कि, जोशीमठ आपदा से बेघर हुए परिवारों के लिए किराए के मकान में रहने के लिए ₹4000 प्रति परिवार की दर से सहायता राशि दी जाएगी।
क्यों धंस रही है जोशीमठ की ज़मीन ?
उत्तराखंड के जोशीमठ में हो रहे भू-धसाव के मामले में राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार (Central Government) भी पूरी तरह से अलर्ट हो गई है। इस मामले में जांच के लिए केंद्र सरकार ने भी एक जांच समिति का गठन कर दिया है।
- केंद्र की जांच समिति जोशीमठ में भू-धसाव की घटना की विस्तृत जांच करेगी।
- कमेटी में पर्यावरण और वन मंत्रालय,केंद्रीय जल आयोग, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और स्वच्छ गंगा मिशन के एक्सपर्ट को शामिल किया गया है।
- जांच समिति तेजी से जमीन धंसने की घटना का अध्ययन करेगी और 3 दिन में रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
- पिछले 4 महीनों की तस्वीरें खंगाली जा रही हैं जिससे भू-धसाव की वजह का पताया लगाया जा सके।
- जानकारी के मुताबिक एक दो दिन में ISRO जोशीमठ की तस्वीरें जारी करेगी, जिससे भू-धसाव की स्थिति साफ हो पाएगी।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि भू-धसाव के पीछे NTPC की तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना है। इस परियोजना के तहत पहाड़ों को काटकर लंबी सुरंग बनाई जा रही है। दो साल पहले शुरू हुई जल विद्युत परियोजना के बाद से ही यहां जमीन पर दरारें पड़ने का सिलसिला शुरू हुआ है। हालांकि, नवंबर 2021 में भी स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन कर प्रशासन से मदद की गुहार लगाई थी। लेकिन प्रशासन ने उस वक्त इसपर कोई ध्यान नहीं दिया, उल्टे पूरे शहर में टनल बनाने के लिए ब्लास्ट किए जाते रहे, जिसकी वजह से आज दीवारों में 2 इंच से लेकर 1 फीट तक की दरारें पड़ गई हैं और जोशीमठ धीरे-धीरे धंस रहा है।