जो खूबसूरत जोशीमठ अपने जर्रे-जर्रे पर इठलाता था, मन मोहकर मुस्कुराता था, आज वो दहशत में है, दरारों की कैद में है। उसकी सुंदरता की चर्चा तो कोसों पीछे छूट गई है, अब तो जंग अस्तित्व बचाने की है, जिसकी तरफ पहला कदम उठा लिया गया है। सरकार ने जोशीमठ को आपदाग्रस्त क्षेत्र घोषित कर लिया है। जोशीमठ का अध्ययन कर लौटी विशेषज्ञों की टीम की संस्तुतियों के आधार पर ये फैसला लिया गया। शहर में लोगों की जानमाल की सुरक्षा के लिए करीब डेढ़ किलोमीटर के भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है।
पीएम मोदी ने सीएम धामी से फोन पर ली जानकारी
जोशीमठ के हालात पर खुद पीएम मोदी की भी नजर है। जोशीमठ को लेकर पीएम मोदी ने सीएम धामी से फोन पर बातचीत की है, पीएम मोदी ने जोशीमठ में चल रहे राहत बचाव कार्यों के बारे में जानकारी ली। जोशीमठ में राहत और बचाव कार्यों पर जोर है, जिसके मद्देनजर सेना ने भी कॉलोनी खाली कर ली है। जोशीमठ के जख्मों का पक्का इलाज हो सके, इसके लिए जोशीमठ का जियो टेक्निकल और जियो फिजिकल अध्ययन कराया जाएगा। जिन क्षेत्रों में घरों में दरारें नहीं हैं, वहां भवनों के निर्माण के लिए गाइडलाइन जारी की जाएगी। साथ ही हाइड्रोलाजिकल अध्ययन भी कराने का भी फैसला लिया गया है।
केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की से प्रस्ताव मांगा
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने इसकी पुष्टि की, उन्होंने बताया कि प्रभावितों के पुनर्वास के लिए पीपलकोटी, गौचर, कोटी कॉलोनी समेत कई जगहें चिन्हित की गई हैं। भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण विभाग को इन क्षेत्रों का जियो अध्ययन करने के लिए लिखा गया है। प्री-फैब्रिकेट घरों के निर्माण के लिए केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की से प्रस्ताव मांगा गया है। उन्होंने बताया कि सेना ने जोशीमठ स्थित अपने आवासीय परिसर में खतरे की जद में आए भवनों को खाली करा दिया है और यहां रह रहे परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया है। जोशीमठ में भू-धंसाव और घरों में दरारें पड़ने का सिलसिला तेज होने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर स्थिति का दोबारा अध्ययन करने के लिए सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. सिन्हा की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की टीम गठित की गई।
टीम ने गुरुवार से जोशीमठ में स्थलीय निरीक्षण शुरू किया, साथ ही स्थानीय लोगों से बातचीत की। शनिवार देर शाम टीम वापस लौटी और रिपोर्ट शासन को सौंपी। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. सिन्हा के अनुसार रिपोर्ट की संस्तुतियों के आधार पर एहतियातन कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जोशीमठ का मामला
जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में जोशीमठ के प्रभावित लोगों को सहायता देने और उनकी संपत्ति का बीमा कराने की मांग की गई है। साथ ही उन्होंने प्राचीन नरसिंह मंदिर और शंकराचार्य से जुड़ी प्राचीन जगहों के नष्ट होने का भी अंदेशा जताया है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि ये मुसीबत बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के कारण आई है। उन्होंने कहा कि…
“मानव जीवन और उसके पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत पर किसी भी विकास की जरूरत नहीं है और अगर ऐसा कुछ भी हो रहा है तो ये राज्य और केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि इसे तुरंत रोका जाए।“