महाराष्ट्र के पालघर (Palghar) में साधुओं की हत्या की अब सीबीआई (CBI)जांच होगी। महाराष्ट्र सरकार (Government of Maharashtra) ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में सिफारिश की थी, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने राज्य सरकार के हलफनामे को मान लिया। सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद अब महाराष्ट्र सरकार सीबीआई जांच करा सकती है।
पालघर में हुई थी साधुओं की निर्मम हत्या
ये भयानक घटना अप्रैल 2020 में हुई थी। दो साधुओं और एक ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। मुंबई में कांदिवली के तीन साधु कोविड-19 लॉकडाउन बीच गुजरात के सूरत में एक अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए एक कार में यात्रा कर रहे थे।
यात्रा के दौरान, उनके वाहन को रोक दिया गया और पुलिस की मौजूदगी में 16 अप्रैल, 2020 की रात गडचिनचिले गांव में भीड़ द्वारा उन पर हमला किया गया। कथित तौर पर उनकी हत्या कर दी गई। पीड़ितों की पहचान चिकने महाराज कल्पवृक्षगिरी (70), सुशील गिरि महाराज (35) और निलेश तेलगड़े (30) के रूप में हुई है, जो वाहन चला रहे थे।
घिर गई थी महाविकास अघाड़ी सरकार
साधुओं की हत्या के बाद देशभर में विरोध देखने को मिला था। इस घटना को लेकर उद्धव सरकार (Uddhav Sarkar) की जमकर किरकिरी हुई थी। उद्धव सरकार की ओर से दलील देते हुए कहा गया था कि पुलिस जांच हो चुकी है। लिहाज़ा सीबीआई जांच की कोई जरूरत नहीं है। उद्धव सरकार के इस फैसले को विरोधियों (बीजेपी) ने आड़े हाथों लिया था।
तत्कालीन महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार ने इस घटना की सीबीआई जांच की याचिका का विरोध किया था और बाद में, राज्य में व्यवस्था बदलने के साथ, केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सहमति व्यक्त की। इससे पहले, महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील ने पीठ को बताया कि राज्य ने घटना की सीबीआई जांच के लिए सहमति दे दी है, लेकिन सरकार के और निर्देशों का इंतजार है, इसलिए मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित किया जाए। इसके बाद शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से एक हलफनामा दायर करने को कहा, जिसमें कहा गया था कि वो जांच का हवाला दे रही है। इसने महाराष्ट्र सरकार से कहा कि जब राज्य को पालघर लिंचिंग मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने में कोई आपत्ति नहीं है, तो वो इस मामले को एजेंसी को ही सौंप सकता है।