चुनावी मौसम हो या आम दिन, अब किसी नेता की जुबान बहकी या फिसली तो सीधा कानून का शिकंजा कसेगा। फिर ना माफी काम आएगी ना नेतागीरी। फिर ना कोई किसी को जहरीला सांप कह सकेगा, और ना ही कोई किसी को विषकन्या। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज अपने 2022 के आदेश का दायरा बढ़ा दिया। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड को नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, उन्हें देश के लिए चौंकाने वाला बताया था और साथ ही चेतावनी दी थी कि इस बेहद गंभीर मुद्दे पर कार्रवाई करने में किसी भी तरह की देरी अदालत की अवमानना मानी जाएगी। जबकि अब कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अभद्र भाषा पर मामले दर्ज करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई शिकायत ना भी की जाए तो राज्य सरकारें केस दर्ज कर सकती हैं। कोर्ट ने चेतावनी दी कि केस फाइल करने में देरी को कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अभद्र भाषा को गंभीर अपराध माना
सुप्रीम कोर्ट ने अभद्र भाषा को एक गंभीर अपराध करार देते हुए कहा कि अभद्र भाषा “देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को प्रभावित करने में सक्षम है”। अदालत अभद्र भाषा के अपराधों से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने पहले महाराष्ट्र से एक अवमानना याचिका पर जवाब मांगा था जिसमें नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफलता का आरोप लगाया गया था। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरथना की पीठ ने आज अपने आदेश में कहा कि, “हम ये भी स्पष्ट करते हैं कि इस तरह की कार्रवाई भाषण के निर्माता के धर्म के बावजूद की जानी चाहिए, ताकि प्रस्तावना द्वारा परिकल्पित भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को संरक्षित रखा जा सके।”
हर राज्य में नियुक्त किए जाएंगे नोडल अधिकारी
याचिकाकर्ताओं ने सिफारिश की है कि प्रत्येक राज्य के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए, जिस पर पीठ ने प्रत्येक जिले के लिए एक नोडल अधिकारी का सुझाव दिया। याचिकाकर्ताओं ने आगे कहा कि सोशल मीडिया से अभद्र भाषा को हटाने के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित करने की आवश्यकता है। अभद्र भाषा के लिए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और अन्य के खिलाफ FIR के लिए दायर अर्जियों पर, न्यायमूर्ति केएम जोसेफ ने कहा कि, प्राथमिकी के लिए मंजूरी आवश्यक है और उच्च न्यायालय ने भी विचार किया कि 156 (3) के लिए मंजूरी की आवश्यकता है। पीठ ने कहा, “न्यायाधीश अराजनीतिक हैं और उन्हें पार्टी ए या पार्टी बी से कोई सरोकार नहीं है और उनके दिमाग में केवल भारत का संविधान है।”सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 12 मई को करेगा।