यूपी पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा रद्द करके योगी सरकार ने लाखों अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी। पेपर लीक के दावों के बाद लाखों अभ्यर्थी परीक्षा रद्द करने और दोबारा एग्जाम कराने की मांग कर रहे थे। लिहाज़ा, राज्य सरकार ने परीक्षा रद्द करने के साथ ही 6 महीने के भीतर फिर से परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया। साथ ही सीएम योगी (CM Yogi Adityanath) ने कहा कि, ''परीक्षाओं की शुचिता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। युवाओं की मेहनत के साथ खिलवाड़ करने वाले किसी भी दशा में बख्शे नहीं जाएंगे। ऐसे अराजक तत्वों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होनी तय है।''
राज्य सरकार की ओर से इसे लेकर एक नोटिस भी जारी किया गया। जिसमें लिखा है कि, शासन ने भर्ती बोर्ड को ये निर्देश दिए हैं कि जिस भी स्तर लापरवाही बरती गई है उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर अग्रिम वैधानिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। यही नहीं, योगी सरकार ने यूपी पुलिस सिपाही भर्ती पेपर लीक मामले की जांच का जिम्मा स्पेशल टास्ट फोर्स को सौंप दिया है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए गए है। साथ ही 6 महीने के अंदर परीक्षा दोबारा कराने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा परीक्षार्थियों से परीक्षा के लिए आने-जाने का कोई पैसा नहीं लिया जाएगा। आदेश में लिखा है कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के ज़रिए अभ्यर्थियों को फ्री सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।
योगी सरकार के यूपी पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा रद्द करने के फैसले के बाद अभ्यर्थी जश्न मनाते नज़र आए। भर्ती परीक्षा में शामिल हुए अभ्यर्थियों ने इस फैसले का स्वागत किया। वहीं अबतक की जांच में पता चला है कि परीक्षा के दोनों दिन यानी 17 और 18 फरवरी को दूसरी शिफ्ट के पेपर आउट हुए थे और जिस कंपनी को पेपर छापने का काम दिया गया था, वहीं से पेपर लीक हुआ था। इस मामले में पुलिस भर्ती बोर्ड के अफसरों पर गाज गिरना तय है। हालांकि, इस मामले में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने राज्य सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि, ''सरकार की अगर नीयत साफ होती तो जिस समय पहला पेपर लीक हुआ था उसी समय सरकार सख्ती से कार्रवाई करती और उसका परिणाम ये होता कि किसी भी परीक्षा का पेपर लीक नहीं होता।''