नेपाल की आर्थिक हालत से पूरी दुनिया अच्छी तरह वाकिफ है। 2015 में आए भूकंप और कोविड के बाद हिमालय की गोद में बसे इस देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। विकास कार्य लगभग ठप पड़े हैं। सरकार को पैसों की किल्लत हो रही है। भले ही भारत और चीन नेपाल की मदद कर रहे हों। लेकिन, नेपाल अब भी आर्थिक संकट की स्थिति से गुज़र रहा है। ऐसे में नेपाल को इस संकट से निकालने के लिए एक रास्ता खोज निकाला वहां के राष्ट्री एकता अभियान के संयोजक विनय यादव ने।
राष्ट्रीय एकता अभियान के संयोजक विनय यादव के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउबा से मिला और उनके कार्यालय में ज्ञापन पत्र सौंपा। ज्ञापन पत्र में उल्लेख किया गया है कि कोविड के बाद पूरी दुनिया मंदी की दौर से गुजर रही है। नेपाल में विदेशी मुद्रा का भंडार खत्म हो गया है। भविष्य में नेपाल की भी श्री लंका जैसी हालत हो सकती है। ऋणी उद्योगपति और व्यवसायी डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है। ऐसी स्थिति में सांसदों का वेतन और विकास कोष बंद कर देना चाहिए। इससे कहीं ना कहीं पैसों की बचत होगी, भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकेगा और देश के खजाने पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा।