हिंडनबर्ग (Hindenburg) की रिपोर्ट के बाद लगातार नुकसान झेल रहे अडानी ग्रुप ने अपने फ्लैगशिप FPO यानी फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर को वापस ले लिया। बुधवार रात लिए गए इस फैसले के बाद अडानी ग्रुप के चेयरमैन खुद निवेशकों के सामने आए, और एक वीडियो संदेश के जरिये इस चौंकाने वाले फैसले की वजह बताई।
”FPO के पूरी तरह से सब्सक्राइब होने के बाद कल इसे रद्द करने के फैसले से कई लोग हैरान हुए हैं। लेकिन बाजार की अस्थिरता की वजह से हमारे बोर्ड ने महसूस किया कि इन हालात में FPO के साथ जाना सही नहीं होगा।”
अडानी ग्रुप का 20 हजार करोड़ रुपये की कीमत वाला FPO अपने ऑफर के अंतिम दिन पूरी तरह सब्सक्राइब हो गया था। इसलिए जब गौतम अडानी सामने आए तो कंपनी के बोर्ड के फैसले को निवेशकों के हित में उठाया गया क़दम क़रार दिया। उन्होंने कहा कि…
”बतौर उद्यमी 4 दशकों की मेरी यात्रा में मुझे सभी हितधारकों और निवेशकों से खूब सहयोग मिला है। ये मेरे लिए काफी महत्वपूर्ण है कि मैं ये स्वीकार करूं कि मैंने जीवन में जो कुछ भी पाया है वो उनके भरोसे का नतीजा है। मैं उन्हें अपनी सफलता का श्रेय देना चाहता हूं। मेरे लिए मेरे निवेशक सबसे बड़ी प्राथमिकता हैं और बाद में बाकी चीजें हैं। यही वजह है कि हमने निवेशकों को हो रहे नुकसान की वजह से FPO वापस लिया है।”
गौतम अडानी ने दावा किया कि उनके इस फैसले का असर दूसरे किसी प्रोजेक्ट पर नहीं पड़ेगा। उन्होंने निवेशकों को कंपनी के फंडामेंटल्स मजबूत होने बैलेंस सीट दुरुस्त होने का भरोसा दिया। हालांकि, अडानी ग्रुप की तरफ से आई सफाई के बावजूद उनकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि…
- RBI ने देश के सभी बैंकों को निर्देश जारी कर अडानी ग्रुप को दिए लोन की जानकारी मांगी है।
- बैंकों से कहा गया है कि वो बताए कि अडानी ग्रुप को कब और कितना लोन दिया।
- एक अनुमान के मुताबिक अडानी ग्रुप पर भारतीय बैंकों का करीब 80,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, जो ग्रुप के कुल कर्ज का 80 फीसदी है।
संसद में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर हंगामा
बजट सत्र के दूसरे दिन संसद के दोनों सदनों में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर खूब हंगामा हुआ। संसद में अडानी ग्रुप सहित दूसरे कुछ मुद्दों पर इतना हंगामा हुआ कि दोनों सदनों की बैठक दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करने की नौबत आ गई। कांग्रेस के अध्यक्ष खरगे ने कर्ज और निवेश को लेकर उठ रहे सवालों पर जांच की जरूरत बताई।
खरगे ने कहा कि, ‘लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए और जो ये LIC, SBI दूसरे बैंक जो हैं, जो दूसरी सरकारी संस्थाएं हैं, इसकी एक जांच होनी चाहिए।’ कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल इस विवाद के बहाने केंद्र सरकार पर हमलावर हैं।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में ऐसा क्या है ?
अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी एंटरप्राइजेज़ को लेकर एक निगेटिव रिपोर्ट जारी की थी। 27 जनवरी को जारी की गई इस रिपोर्ट में कहा गया था कि गौतम अडानी की ज़्यादातर कंपनियां कर्ज में डूबी हैं। उनके शेयरों की कीमत बढ़ा चढ़ाकर पेश की गई है। हालांकि इन आरोपों को अडानी समूह गलत बताती रही है। उसने कहा है कि मुनाफा कमाने के लिए हिंडनबर्ग ने जानबूझ कर ये रिपोर्ट जारी की।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से अंबानी को फायदा !
अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई है। गौतम अडानी के नेटवर्थ में भारी गिरावट आई है। गौतम अडानी की संपत्ति इतनी ज़्यादा गिरी है कि वो वर्ल्ड बिलेनियर्स की लिस्ट से बाहर हो गए हैं। वो ना सिर्फ दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट से बाहर हो गए हैं, बल्कि वो अब एशिया के सबसे अमीर उद्योगपति भी नहीं रहे। वो फोर्ब्स के वर्ल्ड बिलेनियर्स की लिस्ट में 15वें नंबर पर पहुंच गए हैं। अडानी 8वें नंबर से खिसककर 15वें नंबर पर चले गए हैं। उनकी कुल संपत्ति 74.7 अरब डॉलर रह गई है। कभी दुनिया के तीसरे सबसे अमीर रहने वाले गौतम अडानी अब टॉप 10 की रेस से बाहर हो गए हैं। जबकि, मुकेश अंबानी का नेटवर्थ 83.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। वो एशिया के सबसे अमीर भारतीय बन गए हैं। फोर्ब्स की लिस्ट में भी अंबानी 9वें नंबर पर बने हुए हैं।