भारत ने रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता में मध्यस्थता करने के लिए अपनी तत्परता को फिर से दोहराया है। जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज (Olaf Scholz) के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि भारत दोनों देशों के बीच किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए तैयार है।मोदी के साथ संयुक्त मीडिया कार्यक्रम में अपने बयान में जर्मन चांसलर ने यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता को बड़ी तबाही करार दिया जिसने दुनिया को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है और कहा कि देशों के लिए यह स्पष्ट रूप से बताना महत्वपूर्ण है कि हम संयुक्त राष्ट्र में युद्ध पर बहुत स्पष्ट रूप से कहां खड़े हैं. क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कानून अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नियंत्रित करता है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘यूक्रेन के घटनाक्रम की शुरुआत से ही भारत ने इस विवाद को बातचीत और कूटनीति के जरिए सुलझाने पर जोर दिया है। भारत किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए तैयार है।’ यूक्रेन में विनाश का उल्लेख करते हुए इसके ऊर्जा ग्रिड और बुनियादी ढांचे के साथ-साथ रूसी आक्रमण के समग्र परिणामों पर जोर देकर कहा कि, विकासशील देशों को युद्ध के परिणामस्वरूप ऊर्जा और भोजन की कमी से नकारात्मक रूप से प्रभावित किया जा रहा था। नरेंद्र मोदी ने कहा कि..
''यह एक आपदा है, एक तबाही है क्योंकि हम जानते हैं कि यह युद्ध एक मौलिक सिद्धांत का उल्लंघन करता है जिसके लिए हम सभी इतने लंबे समय तक सहमत हुए थे, और वह यह है कि आप हिंसा के उपयोग के माध्यम से सीमाओं को नहीं बदलते हैं। संयुक्त राष्ट्र में भी हम बार-बार बहुत स्पष्ट रूप से बताते हैं कि हम इस विषय पर कहां खड़े हैं और ये मामला कितना गंभीर है''
मोदी पहले भी कर चुके हैं यूक्रेन युद्ध रोकने की बात
पिछले साल सितंबर में उज्बेकिस्तान के समरकंद शहर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक में मोदी ने कहा था कि ‘आज का युग युद्ध का नहीं है’ और रूसी नेता को संघर्ष समाप्त करने के लिए प्रेरित किया। भारत ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पर अनुपस्थित रहा, जिसमें यूक्रेन में “व्यापक, न्यायपूर्ण और स्थायी शांति” तक पहुंचने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया था और रूस से शत्रुता को समाप्त करने का आह्वान किया गया था। यह पूछे जाने पर कि क्या जर्मन चांसलर की टिप्पणी भारत के लिए एक संदेश है और क्या संघर्ष पर दोनों देशों के बीच अलग-अलग विचार हैं, विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर एक-दूसरे के दृष्टिकोण की केवल ‘समझ और सराहना’ देखी है।
देखिए जर्मन चांसलर के साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुलाकात की तस्वीरें
जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज का स्वागत करते नरेंद्र मोदी
ओलाफ स्कोल्ज से बातचीत करते पीएम मोदी