सीरिया में 23 मार्च को ईरान और अमेरिका के बीच एयरस्ट्राइक के बाद शीतयुद्ध की संभावना और ज़्यादा प्रबल होती जा रही है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि, हम पीछे नहीं हटने वाले हैं। उन्होंने आगे कहा कि…
''पिछली रात अमेरिकी सेना ने सीरिया में एक के बाद कई एयस्ट्राइक्स कीं। हमारे निशाने पर वो लोग थे जिन्होंने अमेरिकी सुरक्षाबलों पर हमला किया था। मैं इस हमले में मारे गए अमेरिकी नागरिक के परिवारवालों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि इस हमले में घायल लोग जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाएंगे।''
वहीं नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने एक प्राइवेट चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि, ‘हमने कल रात बहुत सख्त संदेश दिया है कि हम मजबूती से खुद को डिफेंड करेंगे, और हमने बता दिया है कि हम कितने तैयार हैं और दोबारा ऐसा होता तो जवाब देने में सक्षम हैं।”
दरअसल, बीती रात को अमेरिका ने अपने F-15 फाइटर जेट्स से ईरानी बेस पर एयरस्ट्राइक कर दी। ईरानी अधिकारियों ने दावा किया कि इस हमले में उनके 11 सैनिकों की मौत हो गई। जबकि अमेरिकी सेना के मुताबिक, ईरान ने दोबारा 10 मिसाइल से अटैक किया। इसमें 2 महिलाओं और बच्चों को मामूली चोट पहुंची।
दरअसल दो दिन पहले सीरिया में ईरान समर्थित ग्रुप ने अमेरिकी बेस पर हमला किया था। इसमें एक अमेरिकी कॉन्ट्रैक्टर की मौत हो गई थी, जबकि 6 सैनिक घायल हुए थे। अमेरिका ने आरोप लगाया था कि इस हमले में ईरानी ड्रोन्स का इस्तेमाल किया गया था। हालांकि, कुछ घंटों पहले एक बार फिर अमेरिका के दो सैन्य अड्डों पर हमले किए गए। इसमें 3 ड्रोन और 5 रॉकेट का इस्तेमाल हुआ। अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि उनकी सेना ने 3 में से 2 ड्रोन को मार गिराया। अमेरिका का दावा है कि जनवरी 2021 से अब तक उनके सैन्य अड्डे पर ईरानी समर्थित ग्रुप ने 78 बार अटैक किया है।
सीरिया में चार देशों की लड़ाई
ये पूरी लड़ाई नॉर्थ ईस्ट सीरिया में मौजूदगी दर्ज कराने को लेकर है। अमेरिका ISIS के खिलाफ ऑपरेशन चलाने के नाम पर यहां से अपनी सेना को हटाना नहीं चाहता। वो कुर्दिश लड़ाकों और सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज़ के साथ मिलकर सैन्य अभियान चलाता रहता है। जबकि ईरान समर्थित ग्रुप नहीं चाहते की अमेरिकी फौज सीरिया में रहे। लिहाज़ा, ईरान की सरकार रूस की मदद ले रही है, जो सीरिया की सरकार का समर्थन करता है। नॉर्थ ईस्ट सीरिया में रूसी सेना की मौजूदगी भी है। यही नहीं कुर्दिश लड़ाकों के खिलाफ तुर्की ने भी सीरिया में अपनी सेना उतार रखी है। मतलब ये कि अमेरिका, रूस, ईरान और तुर्की, सब के सब सीरिया में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं।