पटना, बिहार: गर्मी बढ़ने के साथ बिहार का सियासी पारा भी हाई होने लगा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के रास्ते में रोड़े बिछाए जाने लगे हैं। नीतीश के लिए परेशानी कोई और नहीं बल्कि उन्हीं की पार्टी के पूर्व सदस्य उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) खड़ी कर रहे हैं। JDU से अलग होकर अपने नए राजनीतिक दल, राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLJD) का गठन करने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने गुरुवार को एक बार दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाई। कुशवाहा ने नई दिल्ली में बीजेपी (BJP) के मुख्य चुनावी रणनीतिकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात की। उपेंद्र कुशवाहा और अमित शाह की इस मुलाकात को बिहार (Bihar) में तेजी से बदल रहे नए राजनीतिक समीकरण के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा अपनी नई पार्टी के साथ एक बार फिर से NDA का हिस्सा हो सकते हैं।
किन परिस्थितियों में कुशवाहा ने छोड़ा जेडीयू का दामन ?
उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार की पार्टी में रहने के दौरान भी बगावत का झंडा बुलंद कर रखा था। वो नीतीश-लालू गठबंधन के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। वो थे तो जेडीयू में, लेकिन सीएम नीतीश कुमार को लगातार आड़े हाथों ले रहे थे। कुशवाहा को उम्मीद थी कि नीतीश से नाराज़ JDU कुछ नेता उनके पाले में आ सकते हैं। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। कुशवाहा को पार्टी के अंदर बहुत ज्यादा समर्थन नहीं मिला। इसकी वजह से उन्होंने जेडीयू से अलग होकर अपनी नई पार्टी का गठन किया। बताया जा रहा है कि कुशवाहा NDA के घटक दल के तौर पर BJP के साथ मिल जाएंगे। वो NDA के साथ मिलकर बिहार में 2024 का लोक सभा चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि दोनों ही पार्टियों की तरफ से अभी तक इस बात का औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है।
उपेंद्र कुशवाहा से बीजेपी को कितना फायदा होगा ?
उपेंद्र कुशवाहा के दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात पर JDU ने करारा प्रहार किया। पार्टी के सीनियर नेता और प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि, जहां तक कुशवाहा के एनडीए में शामिल होने का सवाल है। कुशवाहा इसी शर्त पर NDA में जा सकते हैं कि केंद्र सरकार सम्राट अशोक को अपमानित करने वाले से पुरस्कार वापस ले। वैसे जानकारों का मानना है कि कुशवाहा की अमित शाह से मुलाकात का NDA को कोई फायदा नहीं होगा। वो भले ही कुशवाहा वोट में थोड़ी बहुत सेंध लगा सकते हैं, लेकिन बहुत ज़्यादा प्रभावी साबित नहीं होंगे। सियासी जानकारों का ये भी मानना है कि नीतीश कुमार की ही तरह कुशवाहा को पलटूराम की संज्ञा मिल सकती है। उपेंद्र कुशवाहा इससे पहले भी एक बार नीतीश से खटपट के बाद NDA में शामिल हुए थे। बीजेपी ने उन्हें केंद्र में मंत्री भी बनाया था। लेकिन, बाद में वो दोबारा JDU में चले गए। दरअसल नीतीश और उपेंद्र कुशवाहा के बीच दूरियां 2005 में आई, जब कुशवाहा विधानसभा चुनाव हार गए थे।
नीतीश की तरह ‘पलटूराम’ कहलाएंगे उपेंद्र कुशवाहा ?
उपेंद्र कुशवाहा के दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात पर JDU ने करारा प्रहार किया। पार्टी के सीनियर नेता और प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि, जहां तक कुशवाहा के एनडीए में शामिल होने का सवाल है। कुशवाहा इसी शर्त पर NDA में जा सकते हैं कि केंद्र सरकार सम्राट अशोक को अपमानित करने वाले से पुरस्कार वापस ले। वैसे जानकारों का मानना है कि कुशवाहा की अमित शाह से मुलाकात का NDA को कोई फायदा नहीं होगा। वो भले ही कुशवाहा वोट में थोड़ी बहुत सेंध लगा सकते हैं, लेकिन बहुत ज़्यादा प्रभावी साबित नहीं होंगे। सियासी जानकारों का ये भी मानना है कि नीतीश कुमार की ही तरह कुशवाहा को पलटूराम की संज्ञा मिल सकती है। उपेंद्र कुशवाहा इससे पहले भी एक बार नीतीश से खटपट के बाद NDA में शामिल हुए थे। बीजेपी ने उन्हें केंद्र में मंत्री भी बनाया था। लेकिन, बाद में वो दोबारा JDU में चले गए। दरअसल नीतीश और उपेंद्र कुशवाहा के बीच दूरियां 2005 में आई, जब कुशवाहा विधानसभा चुनाव हार गए थे।
पार्टी बनाने और नीतीश से मुंह फुलाने का पुराना इतिहास - उपेंद्र कुशवाहा ने इससे पहले साल 2005 में भी अपनी पार्टी बनाई थी। तब उन्होंने अपनी पार्टी का नाम रखा था राष्ट्रीय समता पार्टी। - मार्च 2013 में उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर नई पार्टी बनाई, इस बार नाम दिया राष्ट्रीय लोक समता पार्टी। - 2018 आते-आते उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ढह गई। जिसके बाद वो एक बार फिर JDU में शामिल हो गए। - अब एक बार फिर कुशवाहा ने अपनी पार्टी बनाई है और उसका नाम रखा है राष्ट्रीय लोक जनता दल।