विज्ञान कहता है, कि चमत्कार (Miracle) जैसा कोई शब्द नहीं। क्योंकि विज्ञान प्रमाण पर पर चलता है। मगर उत्तराखंड (Uttarakhand) में एक जगह ऐसी है जहां चमत्कार भी है और उसका साक्षात प्रमाण भी। ये चमत्कारिक जगह अल्मोड़ा (Almora) में है। नाम है गोलू देवता का मंदिर। ये मंदिर अपने चमत्कारों की कहानी के साक्षात दर्शन कराता है। मंदिर में हजारों घंटों के साथ बंधी चिट्ठियां बताती हैं, कि गोलू देवता (Golu Devta) की लोकप्रियता क्या है। इससे पहले आपको गोलू देवता की महिमा बताएं, पहले ये जान लीजिए कि घंटियों के साथ चिट्ठियों (Letters with Bells) को बांधने का ये रहस्य क्या है? इससे न्याय मिलने का क्या संबंध है?
मंदिर में घंटियों के साथ क्यों बंधी हैं चिट्ठियां
गोलू देवता (Golu Devta) को न्याय का देवता (God of Justice) कहा जाता है। उनकी पूजा सबसे बड़े और तीव्र न्याय देने वाले देवता के रूप में होती है। वो इसलिए कि मान्यता है कि जिन्हें दुनिया में कहीं न्याय नहीं मिलता, उन्हें गोलू देवता के दर पर इंसाफ मिलता है। इसके लिए श्रद्धालु को सिर्फ एक चिट्ठी (Letter) लिखनी होती है। जिसमें वो अपनी व्यथा लिखता है। ये चिट्ठी (justice by letter) गोलू देवता के सुपुर्द कर दी जाती है। जब श्रद्धालु की इच्छा पूरी होती है तो वो गोलू देवता को घंटी अर्पित करते हैं।
मंदिर में लाखों अद्भुत घंटियों का संग्रह है, जो बताते हैं कि लोगों की इच्छा पूर्ण हुई है, उनकी न्याय की दरख्वास्त अधूरी नहीं रही। मंदिर में लोगों की इतनी आस्था है कि कई लोग तो स्टांप पेपर पर लिखकर अपने लिए न्याय मांगते हैं।
न्याय के गोलू देवता की महिमा अपरंपार
गोलू देवता का मंदिर अल्मोड़ा से 8 किमी दूर पिथौरागढ़ हाईवे पर है। भव्य मंदिर में गोलू देवता सफेद घोड़े पर सवार हैं और सफेद ही पगड़ी बाँधे हुए हैं। उनके हाथों में धनुष है। उनके इस अद्भुत अवतार के दर्शन करने और न्याय की आस में लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। गोलू देवता को भगवान शिव और कृष्ण दोनों का अवतार माना जाता है। इन्हें लोग कई नामों से पुकारते हैं। स्थानीय लोग इन्हें राजवंशी देवता भी कहते हैं तो कई गौर भैरव के नाम से भी पूजते हैं।