RAJASTHAN: कांग्रेस नेता और राजस्थान (Rajasthan) के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के साथ सत्ता की खींचतान के बीच उनके कांग्रेस छोड़ने की अटकलों पर बात की। सचिन पायलट ने कहा कि..
“अटकलें लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है। जो कुछ भी हो रहा है वो सब आपके सामने है। मैं जो कुछ भी कहता या करता हूं, वो खुले तौर पर करता हूं। मैं लुका-छिपी नहीं खेलता। मेरी मांग वैचारिक है, व्यक्तिगत नहीं। कोई भी मुझ पर आरोप नहीं लगा सकता है। एक पद के लिए महत्वाकांक्षी होना मेरी फितरत नहीं, हर कोई मेरी राजनीति के बारे में जानता है।”
सचिन पायलट की ‘जन संघर्ष यात्रा’ से कांग्रेस परेशान क्यों ?
पायलट का स्पष्टीकरण गहलोत द्वारा उनके खिलाफ परोक्ष रूप से हमला करने के घंटों बाद आया है। वहीं राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि जो लोग गुट बनाते हैं (तेरी-मेरी करते हैं”) कभी भी सफल नहीं हो सकते हैं और कभी भी पार्टी के प्रति वफादार नहीं हो सकते हैं। सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘अपना पराया’ की बात करने वाला और गुट बनाने वाला जीवन में कभी सफल नहीं हो सकता। ये बयान उस दिन आया जब पायलट ने राज्य सरकार की भर्ती परीक्षाओं के लिए भ्रष्टाचार और प्रश्नपत्रों के लीक होने के मुद्दे को उठाने के लिए अजमेर (Ajmer) से जयपुर (Jaipur) तक 125 किलोमीटर लंबी जन संघर्ष यात्रा (Jan Sangharsh Yatra) शुरू की।
असंतुष्ट कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने गुरुवार (11 मई) को अजमेर से जयपुर तक 125 किलोमीटर का पैदल मार्च शुरू किया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के शीर्ष नेताओं को राजस्थान में विधानसभा चुनाव के रूप में चुनौती देने की कोशिश की। एक महीने पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कथित भ्रष्टाचार को लेकर निष्क्रियता पर गहलोत को निशाना बनाते हुए एक दिन का उपवास रखने के लिए पार्टी की चेतावनी को खारिज कर दिया था।
सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच टकराव
दिसंबर 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही गहलोत और पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर टकराव चल रहा है। सत्ता के लिए उनकी लड़ाई जुलाई 2020 में उस समय सार्वजनिक रूप से सामने आई जब पायलट ने बदलाव के लिए पार्टी में विद्रोह का नेतृत्व किया। हालांकि, पायलट इस विद्रोह को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाए।
जिसके बाद पिछली वसुंधरा राजे सिंधिया (Vasundhara Raje Scindia) शासन के दौरान कथित भ्रष्टाचार (alleged corruption) के मामलों में कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाने के लिए गहलोत सरकार के खिलाफ प्रतीकात्मक दिन भर के धरने पर बैठने के बाद हाल के हफ्तों में झगड़ा फिर से शुरू हो गया।