2024 के लोकसभा चुनाव (Loksabha Eleection) में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को हराने के लिए विपक्षी दल महागठबंधन के बैनर तले एकजुट हो रहे हैं। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से लेकर मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) इस महागठबंधन की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। अलग-अलग क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। लेकिन, कांग्रेस (Congress) और आम आदमी पार्टी (AAP) की आपसी खींचतान इस महागठबंधन की बुनियाद रखे जाने से पहले ही उसे कमज़ोर कर रही है।
दरअसल, पटना (Patna) में 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर 23 जून को विपक्षी पार्टियों की महाबैठक होने वाली है। लेकिन, आम आदमी पार्टी ने इस बैठक का बायकॉट करने का ऐलान कर दिया है। केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की पार्टी ने कहा है कि, कांग्रेस केंद्र सरकार के अध्यादेश पर AAP का समर्थन करे वरना वो बैठक का बहिष्कार करेगी। हालांकि, कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अपना पक्ष नहीं रखा है। लेकिन, सूत्रों की मानें तो दिल्ली कांग्रेस के ज्यादातर नेता किसी केंद्र सरकार के अध्यादेश का विरोध नहीं करना चाहते।
केंद्र सरकार (Central Government) सेवा क्षेत्र (services) के लिए एक अध्यादेश (ordinance) लेकर आई है। इस अध्यादेश का दिल्ली सरकार विरोध कर रही है। आम आदमी पार्टी ने इस अध्यादेश के विरोध में कांग्रेस से समर्थन की अपील की है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व सांसद राहुल गांधी से मिलने का समय भी मांगा था। लेकिन, कांग्रेस की ओर से उन्हें समय नहीं दिया गया। जिसके बाद से ही केजरीवाल खिसियाए हुए हैं। वो लगातार कांग्रेस को अल्टीमेटम दे रहे हैं। केजरीवाल कह रहे हैं कि कांग्रेस को उनका समर्थन करना चाहिए वरना अन्य राज्यों में भी दिल्ली जैसा हाल हो सकता है। केजरीवाल विपक्षी पार्टियों को चिट्ठी भी लिख चुके हैं कि वो कांग्रेस से AAP को समर्थन देने के लिए कहें।
11 मई को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक संविधान पीठ ने कहा था कि दिल्ली में सरकार कानून बना सकती है और राज्य में नागरिक सेवाओं का संचालन कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, उपराज्यपाल (LG) की भूमिका अब राजधानी में तीन क्षेत्रों – सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि से संबंधित नौकरशाहों तक ही सीमित रहेगी। लेकिन, 19 मई को केंद्र ने पलटवार किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 को प्रख्यापित किया। केंद्र ने 20 मई को राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाहों के स्थानांतरण और पोस्टिंग को संभालने के लिए एक नया वैधानिक प्राधिकरण बनाने के लिए एक अध्यादेश जारी किया।
दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश का उद्देश्य सेवाओं के प्रशासन की एक व्यापक योजना प्रदान करना है। इस अध्यादेश में एलजी को सेवाओं पर अधिकार दे दिया। इसमें कहा गया कि उपराज्यपाल केवल अपने विवेक से ही मुख्यमंत्री से परामर्श कर सकते हैं। अधिसूचना ने राज्य सूची की प्रविष्टि 41 (सेवाओं) को दिल्ली सरकार की शक्तियों के दायरे से बाहर कर दिया। इस घटनाक्रम के बाद से ही आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल अध्यादेश के खिलाफ समर्थन हासिल करने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं से संपर्क कर रहे हैं। केजरीवाल चाहते हैं इस अध्यादेश के खिलाफ राज्यसभा में एक विधेयक लाया जाए और केंद्र सरकार को जवाब दिया।