- दिल्ली के रोहिणी स्थित FSL लैब में हुआ पॉलिग्राफ टेस्ट
- आफताब का साइकलॉजिकल एनालिसिस टेस्ट भी हुआ
- दिल्ली पुलिस को पॉलीग्राफ टेस्ट से सबूत मिलने की उम्मीद
जिस हत्याकांड के खुलासे में ही छह महीने लग गए, उसे अंजाम देने वाला आरोपी कितना शातिर होगा इसका अहसास दिल्ली पुलिस को भी है। अब तक की पूछताछ के दौरान आफताब की बॉडी लैंग्वेज से जांच अधिकारी हैरान दिख रहे हैं। अब तक की पूछताछ में आफताब एक बार भी ना तो डरा हुआ नज़र आया और ना ही उसके अंदर पश्चाताप का भाव दिखा। उसकी हर बात और हर चाल आत्मविश्वास से भरी दिखी। इसी वजह से श्रद्धा हत्याकांड की जांच कर रही पुलिस ने साकेत कोर्ट से उसके नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट की इजाजत मांगी, और इजाजत मिलते ही पॉलीग्राफ टेस्ट की तैयारी शुरू कर दी गई।
रोहिणी में आफ़ताब का पॉलीग्राफ टेस्ट, FSL में हुआ पॉलीग्राफ टेस्ट
एक दिन पहले पॉलीग्राफ टेस्ट की प्रक्रिया शुरू हुई। इस टेस्ट से पहले दी जाने वाली दवाइयां आफताब को दे दी गईं। इसके बाद गुरुवार को दिल्ली पुलिस की टीम महरौली थाने से आफताब को लेकर रोहिणी के दिल्ली फॉरेंसिक साइंस लैब के लिए निकली- फॉरेंसिक साइंस लैब पहुंचने के बाद आफताब का सबसे पहले साइकलॉजिकल एनालिसिस टेस्ट हुआ। इस टेस्ट के पूरा होने के बाद पॉलीग्राफ टेस्ट की प्रक्रिया शुरू कर दी गई, जो कई घंटे चली। टेस्ट के दौरान पूछे जाने वाले सवालों की लिस्ट जांच अधिकारी ने एक डॉक्टर को सौंप दी। जिसके बाद हर सवाल के साथ ही उसके ब्लड प्रेशर, धड़कन, नब्ज़ और मनोविज्ञान पर विशेषज्ञों की नज़र टिक गई। इस बीच FSL की तरफ़ से बताया गया कि जरूरत पड़ने पर ये प्रक्रिया आगे भी जारी रह सकती है।
पॉलीग्राफ टेस्ट पर दिल्ली पुलिस का इतना ज़ोर क्यों ?
दिल्ली पुलिस पॉलीग्राफ टेस्ट के बाद आफताब का नार्को टेस्ट भी करवाएगी, जो आफताब के ज्यूडिशियल कस्टडी में रहने के बावजूद संभव है। लेकिन, इस वक़्त पुलिस हिरासत में रहते जांच अधिकारी जल्द से जल्द उसका पॉलीग्राफ टेस्ट कराना चाहते थे, क्योंकि..
- पॉलीग्राफ टेस्ट से किसी के झूठ को पकड़ा जाता है
- इसी वजह से इस टेस्ट को लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कहते हैं
- जिसमें मशीन सेंसर के ज़रिए व्यक्ति से जोड़ी जाती है
- व्यक्ति के सांस लेने की गति रिकॉर्ड की जाती है
- व्यक्ति का पल्स और ब्लड प्रेशर रिकॉर्ड किया जाता है
- इस दौरान शरीर से निकलने वाले पसीने के बदलाव पर नज़र रहती है
- साथ ही हाथ और पैरों की मूवमेंट को भी रिकॉर्ड किया जाता है
- शरीर से लगे वायर बीपी, हार्ट रेट और सांसों के दर को मॉनिटर करते हैं
- सब कुछ सामान्य होने पर बोली गई बात सच मानी जाती है
- जबकि ज्यादा बदलाव को उसका झूठ बोलना माना जाता है