प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने जिस अंदाज में सार्वजनिक मंच से यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) की वकालत की उसके बाद तमाम सियासी पार्टियों से लेकर मुस्लिम संगठनों में हलचल तेज हो गई है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने मंगलवार देर रात इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। जानकारी के मुताबिक ये मीटिंग करीब तीन घंटे चली। इस मीटिंग में UCC यानी समान नागरिक संहिता के कानूनी पहलुओं पर चर्चा हुई, जिसमें वहां मौजूद वकीलों ने भी अपनी राय रखी।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मीटिंग में फैसला लिया गया कि AIMPLB अपना एक ड्राफ्ट (Draft) तैयार करेगा, जो लॉ कमीशन (Law Commission) के अध्यक्ष को सौंपा जाएगा। शरीयत के जरूरी हिस्सों का इस ड्राफ्ट में जिक्र होगा। बैठक में ये भी तय किया गया है कि विपक्ष के नेताओं (Opposition leaders) से मिलकर UCC के मुद्दे को संसद में उठाने की अपील की जाएगी।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने UCC को देशहित के खिलाफ बताया है। इस पर जवाब देने के लिए समय सीमा को 6 महीने बढ़ाने की अपील की है। यही नहीं, बोर्ड ने आम लोगों से अपील की है कि वो विधि आयोग के आधिकारिक मेल पर इसके खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज करायें, और ये तादाद कम से कम पांच लाख हो।
UCC के मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का रुख साफ है। लेकिन कुछ मुस्लिम संगठन AIMPLB के रूख से इत्तेफाक नहीं रखते। सूफी इस्लामिक बोर्ड (Sufi Islamic Board) जैसे कुछ संगठन इस मुद्दे पर खुल कर सरकार के रुख के साथ आ गए हैं। सूफी इस्लामिक बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के नजरिये के आधार पर समान नागरिक संहिता को देशहित में जायज़ ठहराया है। सूफी इस्लामिक बोर्ड ने मुस्लिम संगठनों और सियासी जमात से इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करने की अपील की है।
दिल्ली में सेवा क्षेत्र को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश पर बीजेपी (BJP) का पुरजोर विरोध करने वाली आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने समान नागिरक संहिता के मुद्दे पर मोदी सरकार के रुख से सहमति जताई है। आम आदमी पार्टी ने UCC का समर्थन किया है। AAP का कहना है कि वो सैद्धांतिक रूप से इसके समर्थन में हैं। आर्टिकल 44 भी इसका समर्थन करती है कि देश में UCC होना चाहिए। तमाम सियासी मतभेदों के बीच आम आदमी पार्टी वो पहली पार्टी है, जिसने विपक्ष में रहते हुए इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का समर्थन किया है। हालांकि, राजनीति के जानकार इसे आप और कांग्रेस के बीच मतभेद की वजह से लिया गया फैसला बता रहे हैं।