फ्रांस में 17 साल के मुस्लिम युवक (Muslim Boy) की पुलिस के हाथों मौत होने के बाद से भड़की हिंसा (Violence) की आग थमने का नाम नहीं ले रही। पुलिस ने अबतक करीब ढाई हज़ार लोगों को हिरासत में लिया है। पेरिस (Paris) समेत देश के हिंसा प्रभावित शहरों में लगातार गश्त कर रही है। लेकिन, इस सबके बावजूद देशभर से हिंसा की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। पेरिस में दंगाइयों ने कई गाड़ियों में आग लगी दी। जबकि सड़क पर खड़ी कुछ गाड़ियों में तोड़फोड़ के बाद उन्हें पलट दिया। कई दुकानों को भी तबाह कर दिया और लूटपाट की गई। सुरक्षाबलों (Security Forces) ने किसी तरह हालात पर काबू पाया।
फ्रांस में मेयर के घर को जलाया
दंगाईयों ने पेरिस के नजदीकी इलाके लाइला रोज़ (L’Haÿ-les-Roses) के मेयर तक को नहीं बख्शा। उन्होंने मेयर के घर पर हमला बोल दिया, और उसे आग के हवाले कर भाग खड़े हुए। जानकारी के मुताबिक दंगाइयों ने मेयर विन्सेंट जीनब्रन (Vincent Jeanbrun) के घर में एक कार घुसा दी, और उसके बाद उस कार में आग लगा दी। बताया जा रहा है कि कार से कोल्ड ड्रिंक की बोतल में पेट्रोल भी बरामद हुआ है, जिससे साबित होता की दंगाई मेयर के घर को जलाने के लिए ही आए थे। जिस दौरान इस वारदात को अंजाम दिया गया, मेयर की पत्नी के साथ उनके 5 और 7 साल के दो बेटे घर में ही मौजूद थे। तीनों ने भागकर अपनी जान बचाई। जबकि मेयर की पत्नी और एक बेटा जख्मी हो गया। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। यही नहीं लाइला रोज़ के मेयर के दफ्तर को भी दंगाइयों ने निशाना बनाया। दंगाइयों ने दफ्तर के बाहर लगे बैरिकेड और कंटीले तारों की फेंसिंग को उखाड़ फेंकने की कोशिश की। लाइला रोज़ के मेयर विन्सेंट जीनब्रन ने कहा कि, लाइला रोज़ में गुज़ारे 39 सालों में उन्हें कभी इतना डर नहीं लगा, जैसे पिछली रात को लगा। पुलिस ने इस मामले में हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया है। मेयर के घर और दफ्तर पर हमला करने वालों की सरगर्मी से तलाश की जा रही है।
पुलिस की तैनाती, दंगाइयों की गिरफ्तारी
हिंसा की घटनाओं को देखते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) ने अपनी जर्मनी यात्रा (Germany Visit) को रद्द कर दिया है। जबकि दंगाइयों पर नकेल कसने के लिए 45 हज़ार से ज़्यादा सुरक्षाकर्मियों को देश के अलग-अलग हिस्सों में तैनात किया गया है। फ्रांस की राजधानी पेरिस में तो अतिरिक्त सावधानी बरती जा रही है। जगह-जगह चेक प्वाइंट्स बनाए गए हैं और पुलिस लगातार गश्त कर रही है। लोगों को रोककर उनसे पूछताछ भी की जा रही है। कुछ लोगों का कहना कि पुलिस उन्हें परेशान कर रही है, जबकि वो शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन, हकीकत ये है कि…
- फ्रांस में हिंसा की वजह से 50 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी घायल हो चुके हैं
- दंगाईयों ने 26 पुलिस स्टेशन समेत 74 इमारतों को नुकसान पहुंचाया है
- 577 से ज्यादा गाड़ियों को आग के हवाले किया जा चुका है
दंगाइयों को फ्रांस सरकार की कड़ी चेतावनी
फ्रांस के वित्त मंत्री ब्रूनो ली मेयर (Bruno Le Maire) ने कहा है कि, लोगों की संपत्ति और उनकी जान की सुरक्षा करना हमारी पहली प्राथमिकता है, जितनी जल्दी हो सके स्थिति सामान्य करना जरूरी है। कोई भी देश कानून के बिना नहीं चल सकता। वहीं फ्रांस में जारी हिंसा में शामिल लोगों में से ज्यादातर नाबालिग बताए जा रहे हैं। देश के गृह मंत्री गेराल्ड डरमनिन (Gérald Darmanin) के मुताबिक हिरासत में लिए गए 2 हजार से ज्यादा लोगों की औसत उम्र 17 साल है। पुलिस की गोली से मारे गए नाहेल की दादी ने लोगों से दंगा नहीं करने की अपील की है। जिसके बाद हिंसा में थोड़ी कमी ज़रूर आई है, लेकिन आग अभी तक पूरी तरह से बुझी नहीं है।
फ्रांस में हिंसा की आग क्यों भड़की ?
27 जून को नेन्तेरे की एक सड़क पर दो पुलिस अफसरों ने पीले रंग की एक कार को रोका था। इस दौरान कार ड्राइवर के साथ उनकी बहस हुई और एक पुलिस अफसर ने गाड़ी चला रहे नाहेल के सिर में गोली मार दी। ड्राइवर ने कार तेजी से दौड़ाई जो कुछ दूर जाकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। कार चला रहे नाहेल (Nahel Merzouk) की मौके पर ही मौत हो गई। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि कार ड्राइवर की उम्र 17 साल थी और उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। जबकि, कुछ दावों के मुताबिक पुलिस ने इस कार का पीछा किया और उसे रोक लिया। लेकिन रोके जाने के बाद उसने भागने की कोशिश की, तभी पुलिस अफसर ने उसे गोली मार दी। गोली चलाने वाले पुलिस अफसर को सस्पेंड करने के बाद हिरासत में ले लिया गया है। लेकिन, नाइजीरियाई मूल के 17 वर्षीय नाहेल की मौत को नस्लीय भेदभाव से जोड़ दिया गया जिसके बाद फ़्रांस सुलग उठा।
फ्रांस में बढ़ी मुस्लिम आबादी से टेंशन
साल 2019 में फ्रांस की कुल जनसंख्या करीब 6.7 करोड़ थी। गौर करने वाली बात ये है कि इसमें करीब 65 लाख मुस्लिम आबादी भी शामिल है, यानी ये कुल आबादी का लगभग 9 प्रतिशत है। देश में ज़्यादातर सुन्नी-बहुल आबादी है, जो फ्रांस की संस्कृति के बीच अपनी पहचान बनाए हुए है। लेकिन यही बात फ्रांस में विवाद का कारण रही है। इस विवाद में घी डालने का काम किया 16 अक्टूबर की एक वारदात ने। एक इस्लामिक कट्टरपंथी ने एक फ्रांसीसी शिक्षक की गला काटकर हत्या कर दी। हत्यारे की बेटी उसी स्कूल में पढ़ती थी और उसका आरोप था कि टीचर ने बच्चों को पैगंबर मुहम्मद का कार्टून दिखाने का अपराध किया। एक अनुमान के मुताबिक देश में फिलहाल लगभग 2500 मस्जिदें हैं, जबकि मदरसे भी हैं। कहा जाता है कि इन मदरसों से लोगों को इस्लामिक कट्टरपंथ तालीम दी जा रही है जिससे फ्रांस की शांति भंग हो रही है।