India-Canada relations: G20 हुई बेइज्जती से बौखलाए जस्टिन ट्रूडो, कनाडा की संसद में दिया भारत विरोधी बयान, जानिए क्यों ट्रूडो बन गए हैं खालिस्तान समर्थकों के गुलाम
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) ने G20 समिट के बाद अपने देश लौटते ही साबित कर दिया कि उनका खालिस्तानी आतंकियों (Khalistani) और अलगाववादियों को लेकर क्या रुख है। जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार (Indian Government) पर मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) की हत्या का आरोप लगाया है। ट्रूडो ने सोमवार को कनाडा की संसद में कहा कि, 'भारत सरकार के एजेंट्स ने जून में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की थी।' जस्टिन ट्रूडो के मुताबिक उन्होंने भारत में हुई G20 समिट के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के सामने इस मुद्दे को उठाया था। जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) की मानें तो कनाडाई सरकार को जो खुफिया जानकारी मिली है, उसके आधार पर वो ये आरोप लगा रहे हैं। दूसरी तरफ कनाडा (Canada) की सरकार ने एक भारतीय डिप्लोमैट को देश निकाल दिया है। बताया जा रहा है कि ये राजनयिक कनाडा में भारतीय इंटेलिजेंस के प्रमुख थे। कनाडा से निकाले गए भारतीय डिप्लोमैट कौन हैं इसकी जानकारी खबर लिखे जाने तक नहीं मिल सकी, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि उनका नाम पवन राय है। वहीं ट्रूडो केआरोप के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत ने आज (मंगलवार) सुबह कनाडाई उच्चायुक्त कैमरन मैके को तलब किया। जबकि, व्हाइट हाउस (America) ने कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों पर चिंता जताई है। व्हाइट हाउस (White House) राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने एक बयान में कहा कि, 'हम अपने कनाडाई सहयोगियों के साथ नियमित संपर्क में रहते हैं। ये महत्वपूर्ण है कि कनाडा की जांच आगे बढ़े और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए।'
कनाडा की संसद में जस्टिन ट्रूडो ने भारत के खिलाफ क्या कहा?
- ''कनाडा की भूमि पर किसी नागरिक की हत्या करवाने में विदेशी सरकार का शामिल होना, देश की संप्रभुता का उल्लंघन है।''
- ''कनाडा की सरकार इस हत्या की जांच में सहयोग देने के लिए भारत सरकार पर उचित दबाव बनाएगी।''
- ''कनाडा में रहने वाले भारतीय मूल के सिख हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर आक्रोशित हैं।''
- ''कनाडा में रह रहे सिखों को अपनी सुरक्षा को लेकर डर सता रहा है। उन्हें अपनी जान का खतरा लग रहा है।''
कनाडा सरकार के आरोपों का भारत ने क्या दिया जवाब?
- ''कनाडा के आरोप बेतुके। भारत कनाडा के सभी आरोपों को सिरे से खारिज करता है।''
- '' कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने पीएम मोदी के सामने भी ये मुद्दा उठाया था, जिसे पूरी तरह खारिज किया गया था।''
- ''कनाडा सरकार की ओर से लगाए गए आरोप खालिस्तानी आतंकियों और अलगाववादियों से ध्यान भटाकाने की कोशिश है।''
-''खालिस्तानी आतंकियों को कनाडा में पनाह दी गई जो भारत की संप्रुभता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए बड़ा खतरा है।''
- ''कनाडा में हत्या, मानव तस्करी और संगठित अपराध सहित कई अवैध गतिविधियों को दी गई जगह कोई नई बात नहीं है।''
कैसे हरदीप सिंह निज्जर बना मोस्ट वॉन्टेड आतंकी?
हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे शहर में गुरु नानक सिख गुरुद्वारे की पार्किंग में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वो एक कनाडाई नागरिक था। उसे खालिस्तान समर्थक गतिविधियों में शामिल होने के लिए भारत सरकार ने आतंकी घोषित किया था। खालिस्तानी टाइगर फोर्स और सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) से उसका सीधा संबंध था। निज्जर पंजाब के जालंधर का रहने वाला था। वो 1997 में कनाडा चला गया और भारत में एक नामित आतंकवादी समूह, खालिस्तानी टाइगर फोर्स का "मास्टरमाइंड" होने के कारण भारत में वांछित था। पिछले साल जुलाई में भारतीय आतंकवाद विरोधी एजेंसी ने पंजाब के जालंधर में एक हिंदू पुजारी की हत्या के मामले में निज्जर पर 10 लाख रुपये का नकद इनाम घोषित किया था। निज्जर पर 2007 में पंजाब के एक सिनेमाघर में हुए बम विस्फोट का भी आरोप था। NIA कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका में भारतीय राजनयिक मिशनों पर हुए हालिया हमलों की भी जांच कर रही है।
कैसे और ज़्यादा बिगड़ सकते हैं भारत और कनाडा के रिश्ते?
कनाडा और भारत के रिश्ते पहले से ही अच्छे नहीं हैं। लेकिन, कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के इस ताज़ा आरोप से दोनों देशों के संबंध और अधिक खराब हो सकते हैं। G20 में जो रवैया कनाडाई पीएम ने दिखाया था वो पहले से ही सुर्खियों में है। जस्टिन ट्रूडो ने भारत के साथ द्विपक्षीय मीटिंग की इच्छा जताई, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इससे इनकार कर दिया था। हालांकि, इस दौरान ट्रूडो और मोदी के बीच अनौपचारिक बैठक हुई थी। इस बैठक में ट्रूडो ने भारत पर आतंकी निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था जिसे PM मोदी ने खारिज कर दिया था। इसके बाद G20 समिट में राष्ट्रपति द्वारा दी गई डिनर पार्टी में कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो शामिल नहीं हुए। जबकि, उनका विमान अचानक से खराब हो गया था भारत ने उन्हें स्वदेश लौटने के लिए अपना विमान ऑफर किया। लेकिन ट्रूडो ने इस ऑफर को ठुकरा दिया और कई घंटे रुकने के बाद अपने ही विमान से कनाडा लौटे। यही नहीं कनाडा ने भारत के साथ फ्री ट्रेड डील (Free Trade Deal) पर बातचीत टाल दी थी। भारत यात्रा के बाद जस्टिन ट्रूडो का बहुत मज़ाक उड़ाया गया था। कनाडा के लोगों ने ही अपने पीएम के रवैये पर सवाल उठाए थे। पश्चिमी मीडिया भी ट्रूडो पर तंज़ कस रहा था। लिहाज़ा, बौखलाए ट्रूडो ने अपनी छवि सुधारने के लिए भारत पर बेतुका आरोप लगा दिया, जिससे दोनों देशों के संबंध पहले से अधिक खराब हो गए हैं।
जस्टिन ट्रूडो क्यों ले रहे हैं सिख आतंकियों का पक्ष?
कनाडा (Canada) प्रवासी सिखों (Sikh) के पसंदीदा केंद्रों में से एक रहा है जहां पिछले कुछ वर्षों में चरमपंथ तेजी से बढ़ा है। पिछले कुछ महीनों में कनाडा में कई खालिस्तानी गतिविधियां देखी गई हैं, जिनमें भारतीय दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन और भारतीय राजनयिकों के लिए धमकी भरे पोस्टर शामिल हैं। कनाडा रहने वाले अलगाववादी 40 साल से भी ज्यादा समय से खालिस्तान की मांग कर रहे हैं। 1979 में जगजीत सिंह चौहान ने भारत से लंदन जाकर खालिस्तान का प्रस्ताव रखा था। इस खालिस्तान के लिए सिंह ने एक नक्शा पेश किया था। लेकिन सवाल ये है कि जस्टिन ट्रूडो खालिस्तान समर्थकों और पाकिस्तानपरस्त आतंकियों का समर्थन क्यों कर रहे हैं। दरअसल, कनाडा में भारतवंशियों का बड़ा प्रभाव है जिसमें सिखों की आबादी सबसे ज़्यादा है। कनाडा में भारतीय मूल के 24 लाख लोग हैं., जिनमें से करीब 7 लाख सिख हैं। इनकी ज्यादा जनसंख्या ग्रेटर टोरंटो, वैंकूवर, एडमोंटन, ब्रिटिश कोलंबिया और कैलगरी में सबसे अधिक है। चुनाव के दौरान ये सरकार बनाने के लिए बड़े असरदार माने जाते हैं और इनका वोट निर्णायक साबित होता है। लिहाज़ा, कनाडा की सरकार और सिख, दोनों को एक दूसरे की ज़रूरत है। साल 2019 में दौरान ट्रूडो की लिबरल पार्टी (Liberal Party) बहुमत से 13 सीट पीछे थी। उस वक्त मुख्य विपक्षी दिल न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (New Democratic Party) ने ट्रूडो को समर्थन दिया था। कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के लीडर जगमीत सिंह धालीवाल (Jagmeet Singh Dhaliwal) हैं, जो एक खालिस्तानी चरमपंथी हैं। साल 2013 में भारत ने धालीवाल का वीज़ा रिजेक्ट कर दिया था।