Friday, December 27, 2024
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जमीयत-उलेमा-ए-हिंद का BJP-RSS पर मन डोला, मदनी ने की मोहन भागवत की प्रशंसा !

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के 34वें अधिवेशन के दूसरे दिन यानी आज मौलाना मदनी के सुर बदले नज़र आए।
मौलाना मदनी ने इशारों-इशारों में बीजेपी से दूरी कम करने की बात कही। बीजेपी के साथ ही मौलाना मदनी ने आरएसएस और मोहन भागवत का जिक्र अपने भाषण में करते हुए कहा कि, हम आरएसएस और भागवत से मतभेदों को खत्म करने के लिए आरएसएस प्रमुख और उनके नेताओं का स्वागत करते हैं। मौलान महमूद मदनी ने इसी के साथ ही एक लाइन ये भी जोड़ दी की उनकी बीजेपी, आरएसएस के साथ मनभेद नहीं मतभेद है।

मौलाना महमूद मदनी ने RSS के मौजूदा सरसंघचालक मोहन भागवत को लेकर कहा कि…

”RSS के मौजूदा सरसंघचालक मोहन भागवत का हालिया बयान एक समाज के नज़रिए को आगे बढ़ाता है। भाईचारे से कुछ मेल खाता है। उन पर भी ध्यान देना चाहिए।”

‘ये देश जितना मोदी का है, उतना ही हमारा भी’

इससे पहले शुक्रवार को नई दिल्ली में पारित अपने प्रस्ताव में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद (JUH) ने मुस्लिम मतदाताओं से मतदान करने के लिए पंजीकरण करने का आग्रह किया और अपने प्रकोष्ठों को सक्रिय रूप से निगरानी करने और मुस्लिम समुदाय में मतदान के महत्व पर जागरूकता पैदा करने का निर्देश दिया। JUH के अध्यक्ष महमूद मदनी ने देश में बढ़ते इस्लामोफोबिया और धार्मिक पूर्वाग्रह के मुद्दों को उठाया। उन्होंने दोहराया कि भारत उतना ही उनका घर है जितना कि ये प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत का है।

”भारत हमारा देश है। ये देश जितना नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत का है, ये देश महमूद का भी है। न महमूद उनसे एक इंच आगे हैं, न वे महमूद से एक इंच आगे हैं। इस भूमि की विशेषता ये है कि इस्लाम के पहले पैगंबर आदम (उन पर शांति) का अवतरण हुआ। ये भूमि इस्लाम की जन्मभूमि और मुसलमानों की प्रथम मातृभूमि है। इसलिए, ये कहना कि इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो बाहर से आया है, पूरी तरह से गलत और ऐतिहासिक रूप से निराधार है।”

मुस्लिम वोटों की एकजुटता पर जमीयत की नज़र

JUH के प्रस्ताव में मुस्लिमों से वोट देने के अपने अधिकार का प्रयोग करने का आग्रह करते हुए कहा गया कि, ‘किसी भी लोकतांत्रिक समाज में वोट की ताकत को पहचानना महत्वपूर्ण है। ऐसे उदाहरण हैं जहां सिर्फ एक वोट के आंदोलन के आधार पर एक सरकार बनी और दूसरी सरकार गिर गई। हमें एक वोट के मूल्य का एहसास होना चाहिए और ये पहचानना चाहिए कि सिर्फ एक वोट पूरी चुनावी प्रक्रिया के संतुलन को बना या बिगाड़ सकता है।’

(फाइल फोटो)

जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने देश भर में निगरानी प्रकोष्ठ स्थापित करने का निर्देश दिया है ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि मुस्लिम मतदाताओं के नाम मतदाता सूचियों से नहीं काटे जाएं, मुसलमानों के बीच मतदान के महत्व पर जागरूकता अभियान, 18 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं का पंजीकरण, आधार कार्ड को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना, मतदाताओं के दूसरे मतदान केंद्र पर जाने की स्थिति में पंजीकरण करना, विशेषकर शादी के कारण महिलाओं के लिए जाना, और यह सुनिश्चित करना कि मतदाता मतदान केंद्र तक पहुंचे। जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के मुताबिक वो किसी पार्टी का विरोध नहीं कर रही, लेकिन, उसके उस निर्देश से साफ ज़ाहिर होता है कि निशाने पर कौन सा राजनीतिक दल है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर मदनी ने निकाली भड़ास

JUH ने समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के खिलाफ भी अपना रुख एक बार फिर साफ किया और कहा है कि, यह देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और भारतीय संविधान में प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों का उल्लंघन करता है। JUH के अध्यक्ष महमूद मदनी ने कहा कि…

”आज हमारा देश नफरत और धार्मिक पूर्वाग्रह के प्रभाव में है। युवाओं को रचनात्मक कार्यों में लगाने के बजाय विनाश के औजार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा, मीडिया इन ताकतों का सबसे बड़ा सहयोगी बन गया है जो भड़काऊ और नफरत फैलाता है। देश की सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बावजूद इस्लाम, इस्लामी सभ्यता और संस्कृति और खासकर इस्लाम के पैगम्बर के खिलाफ निराधार और निराधार प्रचार का अभियान जोरों पर है, इन तत्वों को उकसाया जा रहा है और अवांछित नफरत फैलाने के लिए छोड़ दिया जा रहा है।”

महमूद मदनी, अध्यक्ष, JUH (फाइल फोटो)

मदनी ने आगे कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद आक्रामक सांप्रदायिकता के खिलाफ है और इसे देश की अखंडता के लिए गंभीर खतरा मानता है। जेयूएच के प्रस्ताव में कहा गया है कि मदरसे गरीब और पिछड़े भारतीय मुसलमानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण शैक्षिक संसाधन हैं और धार्मिक शिक्षा के प्रचार और प्रसार में भी महत्वपूर्ण हैं।

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