संस्कृति, योग, पर्यटन और तीर्थाटन की नगरी ऋषिकेश में शहनाइयां तो कई बार बजी होंगी, मगर एक शादी इतनी खास हुई है, कि इसका अहसास विदेशी मेहमानों के दिलों में कभी न मिटने वाली छाप छोड़ गया। सात समंदर पार से विदेशी दूल्हा अपनी दुल्हनिया लेने उत्तराखंड पहुंचा। दोनों ने गंगा किनारे सात फेरे लिए और हमेशा-हमेशा के लिए एक दूजे के हो गए।
कैसे शुरू हुई चार्ली और प्राची की प्रेम कहानी?
कनाडा के चार्ली रास और हरिद्वार की प्राची शर्मा की प्रेम कहानी कनाडा में ही शुरू हुई। प्राची कनाडा में एक कॉरपोरेट कंपनी में मैनेजर है, तो चार्ली कनाडा में डॉक्टर हैं। दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे, दोनों एक दूसरे को लंबे समय से डेट कर रहे थे। फिर दोनों ने भारतीय संस्कृति और हिन्दू रीति रिवाज के साथ शादी करने का फैसला लिया। हिन्दुस्तानी संस्कृति के मुरीद चार्ली उत्तराखंड आए। ऋषिकेश के तपोवन में नीमबीच के तट पर चार्ली और प्राची अग्नि को साक्षी मानकर एक दूसरे के साथ विवाह बंधन में बंधे।
हिन्दुस्तानी संस्कृति के मुरीद चार्ली
दुल्हन प्राची ने बताया कि वो हरिद्वार के शिवालिक नगर की रहने वाली हैं। कनाडा में उनकी मुलाकात चार्ली रास से हुई थी। लंबे समय तक मुलाकात के दौरान दोनों ने एक दूसरे के साथ शादी करने का फैसला लिया। चार महीने पहले जब वो दोनों ऋषिकेश घूमने आए तो चार्ली ने तपोवन के गंगा तट पर शादी करने की इच्छा जताई थी।
“हिन्दुस्तानी दुल्हन चुनना सौभाग्य“
फिर उन्होंने उसी समय शादी के लिए तपोवन का एक होटल पैलेस बुक कर दिया था।चार्ली ने बताया कि उनको भारतीय संस्कृति और रीति रिवाज बेहद पसंद हैं। इसीलिए उन्होंने भारतीय दुल्हन को अपनी जीवन साथी चुना है। कहा वो इस शादी से बहुत खुश हैं।