क्या 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए जर्मनी कांग्रेस को राजनीतिक समर्थन देने जा रहा है। सवाल इसलिए क्योंकि गुरुवार को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने लिखा की…
"जर्मनी के विदेश मंत्रालय और रिचर्ड वॉकर को इस बात पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद कि कैसे राहुल गांधी के उत्पीड़न के माध्यम से भारत में लोकतंत्र से समझौता किया जा रहा है।"
जर्मनी के बयान से क्यों खुश हैं कांग्रेस के नेता?
कांग्रेस के अन्य नेता और गांधी परिवार के वफादार भी इस बात से उत्साहित नज़र आए कि जर्मन विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर बयान दिया है। कांग्रेस नेताओं और गांधी परिवार के वफादारों ने इसे ऐसे पेश किया जैसे जर्मन सरकार राहुल गांधी के लिए एक अभियान शुरू करने जा रही है। लेकिन एक समस्या है। जर्मन विदेश मंत्रालय ने कहा है कि…
"हमारी जानकारी के अनुसार, राहुल गांधी फैसले के खिलाफ अपील करने की स्थिति में हैं। यह जल्द ही स्पष्ट हो जाएगा कि क्या अपील कायम रहेगी और क्या उनके संसदीय जनादेश के निलंबन का कोई आधार है। हम उम्मीद करते हैं कि न्यायिक स्वतंत्रता के मानक और मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत राहुल गांधी के खिलाफ कार्यवाही पर समान रूप से लागू होंगे।''
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि राहुल गांधी ने अभी तक अपने फैसले के खिलाफ अपील नहीं की है, यहां तक कि कानून के तहत उनकी सजा और स्वत: अयोग्यता के एक हफ्ते बाद भी इस बाबत कोई कदम नहीं उठाया गया है। राहुल गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के तहत अयोग्य घोषित किया गया था, जिसमें कहा गया है कि किसी भी सांसद या विधायक को किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है और दो साल से कम की कैद की सजा दी जाती है, तो उसे सजा की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा। दोषसिद्धि के दिन से अयोग्यता मान्य हो जाती है। राहुल गांधी सूरत जिला अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने के हकदार हैं, जो किसी अजीब कारण से उन्होंने अभी तक नहीं किया है।
राहुल की सदस्यता पर कांग्रेस में क्या खिचड़ी पक रही है ?
राहुल गांधी की सजा और अयोग्यता के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी और उसके वरिष्ठ नेता जिस तरह से प्रतिक्रिया दे रहे हैं, उसे देखते हुए कुछ अजीब से महसूस हो रहा है। उन्होंने ‘लोकतंत्र की मौत’, ‘मोदी की साजिश’ आदि जैसी सामान्य पंक्तियों का उपयोग करते हुए मीडिया के सामने बहुत आक्रोश और गुस्सा दिखाया है। लेकिन पार्टी के कैडर में देश के कुछ सबसे बड़े वकीलों के होने के बावजूद, राहुल गांधी की सजा के खिलाफ अपील अभी तक दायर नहीं की गई है। साथ ही राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भी नहीं हैं। वो 52 सांसदों में से सिर्फ एक हैं, यह समझ में नहीं आता कि एक पार्टी के 1 सांसद की अयोग्यता को ‘लोकतंत्र की मौत’ के रूप में क्यों कहा जा रहा है, क्योंकि राहुल गांधी न तो बीजेपी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं और न ही मोदी के पीएम को सीधे चुनौती देने वाले नेता। कांग्रेस के पास लोकसभा में इतने सांसद भी नहीं हैं कि वो मुख्य विपक्षी दल कहला सके।
NCP सांसद की तरह कानूनी लड़ाई क्यों नहीं लड़ रही कांग्रेस ?
दूसरा पहलू ये भी है कि कांग्रेस के सामने ताजा उदाहरण NCP के सांसद हैं। कुछ महीने पहले NCP के एक सांसद, लक्षद्वीप के मोहम्मद फैज़ल को हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया था। तब से, उन्होंने दोषसिद्धि के खिलाफ अपील की और केरल उच्च न्यायालय ने दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी। इसके बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत उनकी संसदीय सदस्यता बहाल कर दी गई है। तो कांग्रेस इस तरफ कदम क्यों नहीं बढ़ा रही?