एक दिन पहले हुए नार्को टेस्ट के बाद आफताब का पोस्ट नार्को टेस्ट हुआ। श्रद्धा हत्याकांड मामले की जांच में जुटे अधिकारी FSL की टीम के साथ तिहाड़ जेल पहुंचे। चूंकि आफताब की गाड़ी पर एक बार हमला हो चुका है, इसलिए उसकी जान पर ख़तरा को देखते हुए तिहाड़ में ही जांच करने का फ़ैसला किया गया। जानकारी के मुताबिक…
- पोस्ट नार्को टेस्ट के दौरान जांच अधिकारियों के अलावा चार सायकोलॉजिस्ट की टीम मौजूद रही।
- जिनमें दो सीनियर साइकोलॉजिस्ट और दो असिस्टेंट साइकोलॉजिस्ट थे।
- आफताब का पोस्ट नार्को सेशन क़रीब 1 घंटा 40 मिनट चला।
पोस्ट नार्को टेस्ट में आफताब के सामने वो सवाल रखे गए, जो पॉलीग्राफ टेस्ट और नार्को टेस्ट में थे। लेकिन दोनों टेस्ट में एक ही सवाल के आफताब ने अलग-अलग जवाब दिए थे। आफताब से अलग जवाब की वजह पूछी गई और सच बताने को कहा गया। आफताब से शुरुआती पूछताछ के दौरान दिल्ली पुलिस को आफताब का दिमाग़ पढ़ने के लिए साइकोलॉजिस्ट की मदद लेनी पड़ी, इसके बाद पॉलीग्राफ टेस्ट की नौबत आई और फिर नार्को टेस्ट की। लेकिन आफताब इतना शातिर निकला की दिल्ली पुलिस को अब पोस्ट नार्को टेस्ट करवाना पड़ा।
क्या होता है (Post Narco test) पोस्ट नार्को टेस्ट ?
- असल में पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान आरोपी से कई सवाल पूछे जाते हैं
- जिन सवालों के जवाब ग़लत होने का संदेह होता है उसे दोबारा नार्को टेस्ट में पूछा जाता है
- फिर दोनों टेस्ट में मिले जवाबों को मिलाया जाता है
- अगर इन दो टेस्ट में एक ही सवाल के अलग अलग जवाब मिलते हैं
- तो एक और टेस्ट करवाया जाता है जिसे पोस्ट नार्को टेस्ट कहते हैं
- ये घंटों चलने वाली एक लंबी प्रक्रिया है, जिससे सच के और क़रीब पहुंचने की कोशिश होती है
- दोनों जवाब में अंतर की वजह और अंतिम सच क्या है, ये पूछा जाता है
आफताब ने श्रद्धा का मोबाइल जहां फेंका, पुलिस को उसकी लोकेशन मिल गई
श्रद्धा वाडकर हत्याकांड में आफताब के ख़िलाफ़ सबूत जुटाने की कोशिश कर रही दिल्ली पुलिस की टीम को एक नई जानकारी मिली है। पुलिस को ये पता चल गया है कि आफताब ने श्रद्धा के फ़ोन को कहां ठिकाने लगाया, और इसके लिए किसकी मदद ली। आफताब के पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट के बाद दिल्ली पुलिस की जांच टीम को पता चला कि श्रद्धा के फ़ोन को फेंकने को लेकर आरोपी लगातार उन्हें गुमराह करता रहा। पूछताछ से लेकर दोनों साइंटिफिक टेस्ट में आफताब ने पुलिस को ये जरूर कहा कि उसने श्रद्धा का एक फ़ोन भायंदर की खाड़ी में फेंका। लेकिन भायंदर की खाड़ी में इसे जहां फेंका उस लोकेशन की गलत जानकारी दी। इस वजह से पुलिस ग़लत जगह पर श्रद्धा के फ़ोन की तलाश में दो दिनों तक खाक छानती रही, और उसके हाथ खाली रहे। अब जांच एजेंसी को पता चला है कि आफताब ने 3 नवंबर को श्रद्धा का फ़ोन भायंदर की खाड़ी में एक ख़ास लोकेशन पर फेंका। ये काम उसने तब किया जब वो श्रद्धा की गुमशुदगी को लेकर की गई पूछताछ के बाद मानिकपुर थाने से लौट रहा था। आफताब ने पूछताछ में क़बूल किया कि जब वो मानिकपुर थाने पहुंचा था, तब उसके पास ही श्रद्धा का फोन था। लेकिन लौटते वक़्त पकड़े जाने के डर से उसने फ़ोन को भायंदर की खाड़ी में फेंक दिया।
- आफताब ने श्रद्धा के फ़ोन को ठिकाने लगाने से पहले अच्छी-ख़ासी रिसर्च की थी।
- आफताब ने इसके लिए एक स्थानीय मछुआरे से बातचीत की
- मछुआरे से ये जाना कि मुंबई में समंदर किनारे के कौन-कौन से हिस्से में CCTV नहीं लगे हैं।
- जानकारी जुटाने के बाद आफताब ने भायंदर की खाड़ी के उस संकरे हिस्से की पहचान की जहां की गहराई 35 फीट थी।आफताब ने इस जगह को जान-बूझकर चुना।
आफताब को लगा कि 35 फीट की गहराई वाली जगह पर श्रद्धा का फ़ोन फेंकने पर वो किसी भी हालत में किसी के भी हाथ नहीं लगेगा। अब पुलिस को शक है कि आफताब ने मोबाइल फ़ोन के साथ ही श्रद्धा से जुड़े कुछ और सबूत भी भायंदर की खाड़ी में फेंके हैं।
श्रद्धा मर्डर केस का ‘China’ कनेक्शन !
गुरुवार को हुए नार्को टेस्ट में आफताब ने कुछ ऐसे सवालों के जवाब दिए, जिन पर दिल्ली पुलिस का खास ध्यान था। इन जवाबों के बारे में आफताब से पोस्ट नार्को टेस्ट में भी पूछताछ की गई, तो हत्याकांड का चाइनीज कनेक्शन सामने आया। आफताब ने बताया कि..
- उसने श्रद्धा का गला दबाकर हत्या करने के बाद उसके शव के कई टुकड़े किए।
- ऐसा करने के लिए उसने बतौर हथियार चीन के बने चॉपर का इस्तेमाल किया।
- इसके अलावा आफताब ने ये भी बताया कि उसने जिस आरी से श्रद्धा के शव को काटा उसे गुरुग्राम में अपने दफ्तर के पास के झाड़ियों में फेंक दिया।
- आफताब ने फिर क़बूला कि उसने श्रद्धा के सिर महरौली के जंगल में ही फेंके थे।
आफताब से मिली इन जानकारियों के बाद दिल्ली पुलिस की नज़र एक बार फिर महरौली के जंगल और गुरुग्राम की उन झाड़ियों पर है, जिसके चक्कर वो पहले भी काट चुकी है।