कांग्रेस (INC) पर आरोप लगते रहे हैं कि वो एक समुदाय विशेष की पार्टी बनकर रह गई है। कांग्रेस पर आरोप लगते रहे हैं कि उसके नेता हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंचाते हैं। फिर मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) का प्रधानमंत्री रहते हुए दिया गया वो बयान भी याद आता है जिसने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। मनमोहन सिंह ने कहा था कि, इस देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। लेकिन, बीजेपी के पिछले आठ साल से सत्ता में रहने के बाद लगता है कि कांग्रेस अपना नज़रिया बदलने लगी है। कांग्रेस के नेताओं को भी समझ आने लगा है कि बिना हिंदू वोटों के वो जनता के बीच अपनी पैठ जमा चुकी बीजेपी को मात नहीं दे सकते। लिहाज़ा, कांग्रेस की सत्ता से दूरी की वजह और उसकी वापसी का ब्लूप्रिंट बताने वाले दिग्गज नेता और पूर्व रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी (A K Antony) ने एक बार फिर पार्टी को सलाह दी है कि वो बहुसंख्यक समुदाय यानि हिंदुओं को अपने साथ लेकर आए। कांग्रेस के स्थापना दिवस के मौक़े पर केरल (Kerala) में उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और पार्टी की जीत के लिए हिन्दू वोटबैंक की जरूरत बताई। एंटनी ने सलाह दी कि BJP को सत्ता से बाहर करने के लिए पार्टी को बहुसंख्यकों को अपने साथ लेना चाहिए। कांग्रेस के इस नए मिशन के लिए एंटनी ने कार्यकर्ताओं को हिन्दुओं के प्रति ज्यादा संवेदनशील होने की अपील भी की।
”भारत में हिन्दू बहुसंख्यक हैं। मोदी सरकार के ख़िलाफ़ संघर्ष में अल्पसंख्यकों के साथ इन्हें भी जोड़ना होगा। इसके लिए और सतर्क रहने की जरूरत है। अगर कोई हिन्दू दोस्त मंदिर जाता है या माथे पर चंदन का तिलक लगाता है तो हमें ये निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि उसने सॉफ्ट हिन्दुत्व का समर्थन किया है। ऐसी सोच से मोदी शासन को सत्ता में बनाए रखने में मदद मिलेगी।” – ए के एंटनी
पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी ने जो कुछ कहा वो नया नहीं है। इससे पहले भी 2014 में कांग्रेस की हार की वजह उन्होंने पार्टी की अल्पसंख्यक तुष्टिकरण वाली छवि को बताया था। लिहाज़ा, एंटनी ने जो कुछ कहा उसे कई चुनावी नतीजों के बाद पार्टी ने महसूस भी किया।
- कई चुनावों में राहुल गांधी सहित कांग्रेस के कई नेता चुनावों के दौरान मंदिरों में नज़र आने लगे।
- इस वक्त भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी राहुल गांधी रास्ते में आए कई मंदिरों में मत्था टेकते और पूजा-पाठ करते दिखे।
- सलमान खुर्शीद ने तो राहुल गांधी की तुलना श्री राम से कर दी और कहा कि, उत्तर प्रदेश में खड़ाऊं पहुंच गई है तो राम जी भी पहुंचेंगे।
…जब कांग्रेस ने छेड़ा था हिंदू बनाम हिंदुत्व का मुद्दा
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी दूसरे मजहब के धर्म स्थलों पर भी सिर झुकाते दिखे थे। जिसे ये माना गया कि कांग्रेस के लिए सबके दरवाजे खुले हैं। वैसे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) हिंदू बनाम हिंदुत्व की बहस को धार देकर पहले भी बीजेपी को घेरने की कोशिश करते रहे हैं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण करते हुए जब पीएम मोदी (Narendra Modi) ने गंगा में स्नान किया था तब राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा था कि…
- ‘हिंदुत्ववादी गंगा में अकेला स्नान करता है। हिंदू गंगा में करोड़ों लोगों के साथ स्नान करता है। एक तरफ हिंदू है, दूसरी तरफ हिंदुत्ववादी है। एक तरफ सच है, दूसरी तरफ झूठ है। हिंदू सच बोलते हैं, हिंदुत्ववादी झूठ बोलते हैं।’
हालांकि, इस बहस को धार देने के बावजूद कांग्रेस को किसी भी चुनाव में बहुत ज़्यादा फायदा नहीं मिला। खुद को सच्चा हिंदू साबित करने की कोशिश और सॉफ्ट हिंदुत्व का रास्ता अपनाने के बावजूद कांग्रेस को 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा।
सॉफ्ट हिंदुत्व से कांग्रेस को ऐसे लग सकता है झटका
राहुल गांधी एक हजार फोटो खिंचवा सकते हैं, लेकिन ये उन्हें शायद हिंदुओं के करीब लेकर ना जा पाए। जब तक वो और उनकी पार्टी के नेता हिंदू धर्म को स्वत: आत्मसात नहीं कर लेते, तबतक शायद हिंदुओं का एक बड़ा वर्मोग मोदी को छोड़कर उनके पक्ष में खड़ा नहीं होगा। इतिहास में ऐसे कई मौके आए हैं जब कांग्रेस पार्टी का हिंदू विरोधी चेहरा दिखा है। कई ऐसे विवादित बयान सामने आए हैं जिनका फायदा BJP ने उठाया है, उन्हें चुनावों में भरपूरी तरीके से भुनाया है। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की मेयर और कांग्रेस नेता हेमा देशमुख के बयान को ही ले लीजिए। वो एक सामूहिक धर्मांतरण कार्यक्रम में शामिल हुई थीं, जिसका वीडियो वायरल हो गया था। समारोह में हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ शपथ ली गई। शपथ में कहा गया कि, “मैं कभी भी गौरी, गणपति या किसी अन्य हिंदू देवी-देवताओं का अनुसरण नहीं करूंगा और कभी भी उनकी पूजा नहीं करूंगा। मैं कभी विश्वास नहीं करूंगा कि वे परमेश्वर के अवतार थे।”
इन हालात में अगर राहुल गांधी बहुसंख्यक हिंदुओं का वोट हासिल करने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व का रास्ता चुनते हैं तो उन्हें फायदा तो नहीं होगा, हां नुकसान जरूर हो सकता है। कांग्रेस की इस रणनीति से कुछ मुसलमान नाराज हो सकते हैं। ये वो मुसलमान होंगे जो किसी दूसरी पार्टी के पक्ष में चले जाएंगे, जिसमें सबसे प्रमुख है AIMIM, जो ना सिर्फ कांग्रेस बल्कि समाजवादी पार्टी समेत उन तमाम दलों का विरोध करती है जो तथाकथित तौर पर वोट मुसलमानों का लेते हैं, लेकिन उनके लिए करते कुछ नहीं।