Sunday, September 8, 2024
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Atique-Ashraf Murder Case: अतीक-अशरफ हत्याकांड के पीछे गैंगस्टर या सिस्टम की साजिश? देखिए SC में दायर PIL में और कितने सवाल

उत्तर प्रदेश में अब तक बदमाशों के एनकाउंटर (encounter) पर सवालों के शोले धधक रहे थे। मगर रविवार को लाइव कैमरा के सामने जो कुछ हुआ, उसने से सवाल ज्वालामुखी की तरह विस्फोट करने लगे। सुलगते सवालों की ऐसी ही लंबी फेहरिस्त सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची है। जिसमें सबसे बड़ा सवाल ये है कि अतीक (Atique ahmed)और उसके भाई अशरफ (ashraf) की हत्या के पीछे कोई गैंगस्टर (Gangster) या ग्रुप है या फिर ये सिस्टम की साजिश (system plot) का नतीजा है। एडवोकेट विशाल तिवारी (Advocate Vishal Tiwari) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में ये याचिका दाखिल कर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या की जांच की मांग की है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच कराने की अर्जी लगाई गई है। एडवोकेट विशाल तिवारी (Advocate Vishal Tiwari)ने याचिका में यूपी में 2017 के बाद हुए 183 एनकाउंटर की जांच की मांग की है।

विशाल तिवारी की PIL में क्या दलील?

अतीक और अशरफ मर्डर केस से जुड़ी याचिका में एडवोकेट विशाल तिवारी (Supreme Court) ने विकास दुबे एनकाउंटर (Vikas Dubey encounter) का भी जिक्र किया है और CBI जांच की मांग की है। उन्होने कहा है कि ऐसे एक्शन कानून से चलने वाले किसी भी लोकतंत्र के लिए खतरा है। पुलिस को न्याय का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। सजा देने का अधिकार सिर्फ न्यायपालिका के पास है। उन्होने याचिका में पुलिस प्रशासन पर भी सवाल उठाए और कहा कि पुलिस कस्टडी में हत्या होना सिस्टम की नाकामी दिखाता है। इसकी पारदर्शी तरीके से जांच होनी चाहिए।

एडवोकेट विशाल तिवारी

कौन हैं एडवोकेट विशाल तिवारी ?

एडवोकेट विशाल तिवारी (Advocate Vishal Tiwari) सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य है और करीब एक दशक से वकालत कर रहे हैं विशाल तिवारी जनहित से जुड़े मुद्दों पर पीआईएल (PIL)दाखिल करते रहते हैं।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर भी SC गए थे विशाल तिवारी

एडवोकेट विशाल तिवारी (Advocate Vishal Tiwari) ने हाल ही में अडानी ग्रुप (Adani group) पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Report) को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे। उन्होंने इस मामले में पीआईएल दाखिल की थी। उन्होंने रिटायर्ड जज की अगुवाई में मामले की जांच की मांग की थी। उनका कहना था कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से हजारों इनवेस्टर्स के लाखों रुपए डूब गए। उन्होने कहा कि रिपोर्ट से देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। बावजूद इसके कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। जबकि सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही है।

कोरोना महामारी के दौरान भी उठाई थी आवाज

एडवोकेट विशाल तिवारी ने कोरोना महामारी के दौरान भी PIL दाखिल की थी, जो काफी चर्चा में भी रही थी। उन्होंने
कोरोना के दौर में आर्थिक राहत की मांग की थी। उन्होंने दलील दी थी कि महंगाई से लोग बेहाल हैं, ऐसे में EMI से
लेकर ब्याज जैसी चीजों में लोगों को छूट दी जाए। इसे लेकर उन्होंने पीएम मोदी को पत्र भी लिखा था।

Menstrual leave पर भी दायर की थी PIL

एडवोकेट विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं की Menstrual leave को लेकर भी PIL दाखिल की थी। उन्होंने PIL में कहा था कि Menstrual leave महिलाओं का अधिकार है। उन्होंने अपनी याचिका में कई कंपनियों का जिक्र करते हुए कहा था कि वहां कैसे Menstrual के दिनों में महिलाओं को छुट्टी दी जाती है। इसीलिए इस पर एक यूनिफॉर्म नियम बनाा जाना चाहिए।

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