जिस पल का इंतजार हर हिन्दुस्तानी कर रहा था, आखिरकाल आज वो पल आया और हर हिन्दुस्तानी को गर्व से भर गया। आज 14 जुलाई शुक्रवार को चन्द्रयान 3 (Chandrayaan-3 ) की लॉन्चिंग (Launching) हो गई। आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के श्रीहरिकोटा (Sriharikota) स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को दोपहर दो बजकर 35 मिनट पर लॉन्च (Launch) किया गया। इसी के साथ चंद्रयान-3 अपने सफर पर यानि चांद को फतह करने के लिए रवाना हुआ।
करीब 40 से 42 दिन में चांद पर पहुंचेगा यान
इस ऐतिहासिक पल के गवाह केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और इसरो के पूर्व चीफ के सिवन भी रहे। इस लॉन्च के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का तीसरा मून मिशन (Third Moon Mission) शुरू हो गया। चंद्रयान-3 को ले जा रहे 642 टन वजनी, 43.5 मीटर ऊंचे रॉकेट LVM3-M4 ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। चंद्रयान-3 के पृथ्वी की कक्षा में पहुंचने के बाद लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी में डाला गया। अगले 42 दिनों में 30,00,00 किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए ये चंद्रमा (Moon) तक पहुंच जाएगा।
चंद्रयान-3 के लिए पीएम मोदी ने दी बधाई
चंद्रयान-3 के लॉन्च पर पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने ट्वीट किया। उन्होंने कहा, चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखा। यह हर भारतीय के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर उठाते हुए ऊंची उड़ान भरता है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं उनकी भावना और प्रतिभा को सलाम करता हूं।
23 या 24 अगस्त को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की उम्मीद
अंतरिक्ष यान द्वारा ले जाए गए लैंडर के 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग (Soft Landing on the Moon) करने की उम्मीद है। इसरो का चांद पर यान को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ यानी सुरक्षित तरीके से उतारने का ये मिशन अगर सफल हो जाता है तो भारत चुनिंदा देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा। इस सूची में भारत अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चौथा देश बन जाएगा। हालांकि, दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारने वाला भारत पहला देश होगा। अबतक किसी भी देश ने दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर (Lander at the South Pole) नहीं उतारा है।
जानिए क्यों इतना महत्वपूर्ण है चंद्रयान-3
अगर चंद्रयान-3 के जरिए दक्षिणी ध्रुव पर पानी और खनिज (Water and Minerals) की मौजूदगी का पता चलता है तो ये अंतरिक्ष विज्ञान (Space Science) के लिए बहुत बड़ी कामयाबी होगी। लैंडर और रोवर के पेलोड चांद की सतह का अध्ययन करेंगे। ये चांद की सतह पर मौजूद पानी और खनिजों का पता लगाएंगे। सिर्फ इतना ही नहीं, इनका काम ये भी पता करना है कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं।
चंद्रयान के पिछले 2 मिशन में क्या हुआ, क्या मिला?
इसरो ने साल 2008 में अपना पहला मून मिशन चंद्रयान-1 लॉन्च किया था, हालांकि इसमें सिर्फ ऑर्बिटर था। जिसने 312 दिन तक चांद का चक्कर लगाया था। चंद्रयान-1 दुनिया का पहला मिशन मून था। इस मिशन से चांद पर पानी की मौजूदगी के सबूत मिले थे। इसके बाद 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था। इसमें ऑर्बिटर के साथ लैंडर और रोवर भी भेजे गए थे। ये मिशन न तो पूरी तरफ सफल हुआ था और न ही फेल। चांद की सतह पर लैंडिंग से पहले ही विक्रम लैंडर टकरा गया था। हालांकि ऑर्बिटर अपना काम कर रहा था।