31 जनवरी को संसद में पेश किए गए 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2023-24 में मामूली रूप से 11% और वास्तविक रूप से 6.5% की दर से बढ़ेगा। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक दुनिया भर में कोविड -19 के तीन झटकों के बावजूद भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। निर्मला सीतारमण के मुताबिक 3 साल में सबसे धीमी ग्रोथ होगी। वहीं नॉमिनल GDP का अनुमान 11% लगाया गया है। FY23 के लिए रियल GDP अनुमान 7% है।
आर्थिक सर्वे में किन 4 चुनौतियों का ज़िक्र है ?
सर्वेक्षण ने भारत के विकास दृष्टिकोण के चार प्रमुख पहलुओं की पहचान की। चीन में कोविड-19 संक्रमणों में वृद्धि से बाकी दुनिया के लिए आर्थिक गिरावट, चीन के खुलने से मुद्रास्फीति, प्रमुख विकसितअर्थव्यवस्थाओं में मंदी की स्थिति और घरेलू मुद्रास्फीति के बीच भारत में पूंजी प्रवाह को कसना और वापस करना। सर्वे के अनुसार, PPP (पर्चेजिंग पावर पैरिटी) के मामले में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और एक्सचेंज रेट के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था। सर्वे में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अनुमान, महंगाई दर अनुमान, विदेशी मुद्रा भंडार और व्यापार घाटे की जानकारी शामिल होती हैं।
आर्थिक सर्वे के मुताबिक महंगाई बढ़ने वाली है ?
सर्वेक्षण में ये भी कहा गया है कि आरबीआई की ब्याज दर में बढ़ोतरी, CAD का विस्तार, और निर्यात वृद्धि को स्थिर करना, 2022-23 में भारत के विकास दृष्टिकोण के लिए नकारात्मक जोखिम पैदा करता है। हालांकि, 2022-23 के लिए विकास का अनुमान लगभग सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक है और महामारी से पहले के दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था की औसत वृद्धि से थोड़ा अधिक है। वित्त वर्ष 2023 में रिटेल महंगाई 6.8% रह सकती है। साल 2022 के पहले 10 महीनों में रिटेल महंगाई RBI के 2%-6% के दायरे के बाहर रही। सबसे ज्यादा महंगाई 7.79%, अप्रैल 2022 में दिखी।
क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे ?
जैसा कि नाम से पता चलता है, आर्थिक सर्वेक्षण वित्तीय वर्ष के अंत में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की स्थिति की एक विस्तृत रिपोर्ट है। इसे सीईए (CEA) के मार्गदर्शन में आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) के आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार किया जाता है। एक बार तैयार होने के बाद, सर्वेक्षण को वित्त मंत्री द्वारा अनुमोदित किया जाता है। पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 के लिए प्रस्तुत किया गया था और 1964 तक इसे बजट के साथ प्रस्तुत किया जाता था। आर्थिक सर्वे हमारे घर की डायरी की तरह ही होता है। इससे पता चलता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है? इकोनॉमिक सर्वे में बीते साल का हिसाब-किताब और आने वाले साल के लिए सुझाव, चुनौतियां और समाधान का जिक्र रहता है।