BRICS समिट में पीएम मोदी (PM Modi) ने चीन (China) के विस्तारवाद और सीमा विवाद को लेकर शी जिनपिंग (Xi Jinping) को खरी-खोटी सुनाई। तो बौखलाए जिनपिंग ने बहाना बनाकर G-20 समिट में खुद ना आकर अपना दूत भेजना का ऐलान कर दिया। राष्ट्रपति शी जिनपिंग की जगह प्रधानमंत्री ली कियांग G-20 समिट में चीन का प्रतिनिधित्व करेंगे। जिसे लेकर चीन के विदेश मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा कि उनका देश भारत (Bharat) की मेजबानी का समर्थन करता है और जी-20 शिखर सम्मेलन को सफल बनाने के लिए सभी पक्षों के साथ काम करने के लिए तैयार है। लेकिन, अमेरिका (America) को चीन की सफाई रास नहीं आई। अमेरिका के NSA जेक सुलिवन (Jake Sullivan) ने चीन को जमकर खरी-खोटी सुनाई।
अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एडवायज़र जैक सुलिवन ने कहा कि, ''जहां तक भारत और चीन के बीच तनाव के समिट पर असर पड़ने का सवाल है तो इसके लिए चीन ही जिम्मेदार है। अगर, चीन काम बिगाड़ने वाले का किरदार अदा करना चाहता है तो ये विकल्प उसके पास मौजूद है। हालांकि, G-20 का मेज़बान भारत, अमेरिका और दूसरे सहयोगी देश तो यही चाहेंगे कि वो जलवायु परिवर्तन, परस्पर विकास फोरम, ऋण राहत और तकनीक पर चर्चा करे। भू-राजनीतिक मुद्दों को दरकिनार कर विकासशील देशों की समस्याओं का समाधान करने की ओर ध्यान दे।'' वैसे इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी जी-20 समिट में जिनपिंग के हिस्सा ना लेने पर तंज़ कस चुके हैं।
एस जयशंकर ने इशारों-इशारों में चीन को लताड़ा
भारत और चीन का सीमा विवाद जगजाहिर हैहाल ही में चीन ने गलत नक्शा जारी कर अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना हिस्सा बताया था। लिहाज़ा, कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मुद्दे से मुंह चुराते हुए जिनपिंग ने G20 में हिस्सा ना लेने का फैसला किया। यही नहीं कहा तो ये भी जा रहा है कि यूक्रेन युद्ध पर संभावित प्रस्ताव को लेकर भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2013 से सत्ता में आने के बाद पहली बार G20 समिट में हिस्सा ना लेने का फैसला किया। हालांकि, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पुतिन और जिनपिंग के भारत ना आने को लेकर ऐसी किसी भी वजह से इनकार कर दिया। यही नहीं एस जयशंकर (S Jaishankar) ने इशारों-इशारों में ये भी कहा कि जिनपिंग के G20 समिट में हिस्सा ना लेने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। एस जयशंकर ने कहा कि, ''मुझे लगता है कि G20 में कई बार ऐसा हुआ है कि कुछ राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री किन्हीं कारणों से खुद ना आने का फैसला कर चुके हैं। लेकिन, उस देश का जो भी प्रतिनिधि होता है वो अपने देश और उसके रूख को जाहिर करता है।''