अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ की कोशिश करने वाले चीन को पूरी दुनिया की आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। तवांग में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद अमेरिका ने इसे चीन की उकसावे वाली कार्रवाई बताया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि भारत अमेरिका का रणनीतिक साझेदार है, और इस मामले में उनका देश हिंदुस्तान से संपर्क में है। यही नहीं इस मामले पर पेंटागन ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की और चीन को लताड़ लगाई। पेंटागन के प्रेस सेक्रेटरी पैट राइडर ने कहा कि, ”मैं आपसे कहना चाहता हूं कि अमेरिकी रक्षा विभाग LAC पर हो रही गतिविधियों पर पैनी नज़र रखे हुए है। हमने पहले भी देखा है कि चीन लगातार LAC पर सैन्य तैनाती के साथ सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने का काम कर रहा है।”
पेंटागन के प्रेस सेक्रेटरी यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि चीन लगातार अमेरिका के सहयोगियों को डराने और धमकाने की कोशिश कर रहा है। पैट राइडर ने कहा कि, ”हम तनाव की स्थिति को कम करने के लिए भारत के चल रहे प्रयासों का पूरा समर्थन करते हैं। लेकिन, इससे पता चलता है कि भारतीय उपमहाद्वीप में अमेरिका के सहयोगियों के खिलाफ चीन आक्रामक और उकसावे वाली कार्रवाई कर रहा है। लेकिन, हम अपने सहयोगियों की सुरक्षा और हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
संयुक्त राष्ट्र संघ की चीन को चेतावनी
अमेरिका लगातार चीन का विरोध करता रहा है, जबकि पिछले कुछ सालों में भारत और अमेरिका के संबंध भी काफी मज़बूत हुए हैं। क्वॉड का गठन भी इसलिए किया गया ताकि चीन की चालबाज़ियों पर नकेल कसी जा सके। ऐसे में अमेरिका ने बिना वक्त गंवाए तवांग में चीन की घुसपैठ करने की कोशिश को ग़लत ठहराया। साथ ही ये भी कहा कि चीन और भारत जिस तरह आपसी बातचीत से सीमा विवाद के मुद्दे को हल कर रहे हैं, उसपर भी अमेरिका की नज़र है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे ने कहा कि, ”हमें खुशी है कि दोनों पक्ष जल्दी से अलग हो गए। हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और भारत और चीन को विवादित सीमाओं पर चर्चा करने के लिए मौजूदा द्विपक्षीय माध्यमों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।” उधर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प के बाद भारत-चीन सीमा पर तनाव को कम करने का आह्वान किया। हालांकि, भारत और अमेरिका की चेतावनी के बाद भी चीन सुधरेगा इसकी उम्मीद बेहद कम है। क्योंकि, चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। ऐसे में चीन की सरकार जनता का ध्यान भटकाने के लिए सीमा विवाद को बढ़ावा देने की कोशिश कर सकती है।
ग्लोबल टाइम्स ने तोड़ी चुप्पी, शुरु किया प्रॉपगैंडा
चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स तवांग में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर शांत था। लेकिन, जैसे ही भारतीय सैनिकों के हाथों चीनी फौज की पिटाई का वायरल वीडियो सामने आया उसने चुप्पी तोड़ दी। ग्लोबस टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में भारत पर ही सीमा रेखा लांघने का आरोप जड़ दिया। प्रॉपगैंडा में माहिर ग्लोबल टाइम्स ने एक सीनियर कर्नल लॉन्ग शाहुआ के हवाले से कई दावे किए। ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि
- भारतीय सैनिक गैरकानूनी तरीके से LAC के इस पार आ गए
- जिसके बाद चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों को रोकने की कोशिश की
- चीनी सेना ने समझदारी और शक्ति से भारतीय सेना को वापस भेज दिया
- इसके बाद चीन की सेना ने LAC पर हालात सामान्य करने की कोशिश की
हालांकि, साल 2017 में हुआ डोकलाम विवाद हो या फिर जून 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसा, ग्लोबल टाइम्स ने हर बार लंबे-लंबे आर्टिकल्स लिखे और प्रॉपगैंड फैलाने की कोशिश की। लेकिन, इस बार जितनी देर और कम शब्दों में ग्लोबल टाइम्स ने प्रतिक्रिया दी है, उससे लगता है कि चीन की सरकार भी भारत के हाथों मुंह की खाने के बाद से शर्मिंदा है।