एक तरफ जब हल्द्वानी का बनभूलपुरा चर्चा में है, तो जोशीमठ के उन हजारों लोगों की भी पीड़ा सुनी और समझी जानी चाहिए, जो अपने वैध मकानों को बचाने की गुहार लगा रहे हैं। कड़कड़ाती ठंड में कभी सड़क पर उतरकर कभी मोर्चा निकाल रहे हैं, तो कभी मशाल जुलूस। दरअसल जोशीमठ में 550 से ज्यादा घर रहने लायक नहीं हैं, घरों की दीवारों में मोटी-मोटी दरारें पड़ गई हैं, छतें दरकत रही हैं और जमीन खिसक रही है। अपनी जान बचाने की गुहार लगाते हुए लोगों ने चक्काजाम भी किया, जिसे खुलवाने के लिए प्रशासन के अधिकारी पहुंचे, तो लोगों का पारा चढ़ गया। क्योंकि पिछले एक साल से ज्यादा का वक्त हो गया है, इलाके में जमीनें धस रही हैं, लेकिन कोई सुध नहीं ले रहा। भीड़ का गुस्सा देखने के बाद प्रसाशन भी पीछे हट गया और ये आंदोलन लगातार चल रहा है।
हालात बिगड़ते देख PMO भी कर रहा निगरानी
अब PMO भी मामले की निगरानी कर रहा है,संयुक्त मजिस्ट्रेट दीपक सैनी ने बताया कि PMO ने पूरे मामले की जानकारी मांगी है। लेकिन सवाल ये हैं कि जोशीमठ में ये स्थिति आई कैसे? क्योंकि ये हाल किसी एक घर का नहीं बल्कि 9 से ज्यादा इलाकों में 550 से ज्यादा मकान ऐसी ही स्थिति में आ गए हैं। जोशीमठ के सभी 9 वॉर्ड गांधीनगर, मारवाड़ी औमारवाड़ी,परसारी, सिंहधार, रविग्राम, सुनील, अपर बाजार, नृसिंह मंदिर और मनोहरबाग का है।
यहां लगभग कोई ऐसा घर नहीं जिसमें दरारें न आईं हों। धीरे-धीरे ये दरारें इतनी चौड़ी होती जा रही हैं, कि मानों धरती फटने वाली हो। हालात इतने डरावने हैं कि पर्यटक भी घबरा गए हैं और होटलों की करीब 30प्रतिशत बुकिंग कैंसिल हो गई है।
जमीन के अंदर से आ रहीं डरावनी आवाजें
स्थिति ये है कि बदरीनाथ नेशनल हाईवे भी दरारों की चपेट में आ गया है। लोग बता रहे हैं कि जमीन से डरावनी आवाजें सुनाई दे रही हैं। जोशीमठ के मेन डाकघर का भी यही हाल है, दरारों के चलते उसे दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। ज्योतिर्मठ परिसर के भवनों और लक्ष्मी नारायण मंदिर के आसपास भी बड़ी-बड़ी दरारें आने से आसपास के लोगों ने अपने घरों को खाली कर दिया। प्रशासन ने कुछ लोगों को शिफ्ट कराया है, मगर कई लोग कड़कड़ाती ठंड में खुली जगहों पर रहने को मजबूर हैं।
NTPC का पावर प्रोजेक्ट बताया जा रहा वजह
यहां के ही रैणी इलाके में आया जलजला लोग भूले नहीं हैं, रैणी आपदा के कारण ये क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ था। बावजूद इसके यहां परियोजना निर्माण कार्य लगातार चल ही रहा था। लोगों का कहना है कि उनके घरों में आ रही इन दरारों की वजह NTPC की तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना की टनल है। बढ़ते खतरे को देखते हुए जोशीमठ में किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई है, साथ ही NTPC का काम भी बंद करवा दिया गया है। यहां के रोपवे को भी पर्यटकों के लिए रोक दिया गया है, रोपवे के टॉवर नंबर-1 पर जमीन धंसने के बाद ये बंद कर दिया गया। इसके अलावा जोशीमठ में NDRF की तैनाती का भी फैसला लिया गया है।
भूकंप आया तो जोशीमठ का क्या होगा?
जोशीमठ जख्मी है, जर्जर हालत में है, लोग प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं, नाराज हैं कि आखिर उन्हें यूं मौत के मुहाने पर क्यों पहुंचा दिया गया है। जरा सोचिए आपदा के लिहाज से वैसे ही पहाड़ संवेदनशील माना जाता है, ऐसे में यहां अगर भूकंप आ गया तो जोशीमठ का क्या होगा। यहां तबाही का आलम क्या होगा। जानकारों का कहना है कि 2 रिक्टर स्केल का भूकंप भी जोशीमठ में तबाही ला सकता है।