Sunday, December 22, 2024
HomeदेशKurhani By poll Results: मोदी के 'हनुमान' ने बिहार में निकाली महागठबंधन...

Kurhani By poll Results: मोदी के ‘हनुमान’ ने बिहार में निकाली महागठबंधन की हवा। ‘चिराग’ की रोशनी में चमका ‘भगवा’।

बिहार की कुढ़नी विधानसभा सीट पर उपचुनाव था। मैदान में महागठबंधन, BJP, वीआईपी, AIMIM समेत कुल 13 प्रत्याशी थे। मुख्य मुकाबला जेडीयू और बीजेपी के बीच था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की साख दांव पर लगी थी। दोनों ने कुढ़नी में लगातार रैलियां भी कीं। तेजस्वी ने तो इमोशनल कार्ड तक खेला। तेजस्वी यादव ने कहा कि लालू बीजेपी की वजह से बीमार पड़े। कुढ़नी की जनता ने महागठबंधन को जिताया तो लालू अपने आप स्वस्थ हो जाएंगे। तेजस्वी को उम्मीद भी थी कि कुढ़नी की जनता उनकी भावुक अपील को अनसुना नहीं करेगी, क्योंकि पिछले चुनाव में जनता ने यहां लालटेन ही जलाई थी। हालांकि, इस बार JDU ने पूर्व मंत्री मनोज कुशवाहा को टिकट दिया था, जिनका सीधा मुकाबला BJP के केदार गुप्ता से था। लेकिन, जब 3.11 लाख वोटरों ने EVM का बटन दबाया तो नीतीश और तेजस्वी बगले झांकते नज़र आए। बीजेपी के केदार गुप्ता ने 3649 वोटों से मनोज कुशवाहा को हरा दिया। इस जीत में बीजेपी कार्यकर्ताओं की मेहनत तो थी ही। लेकिन, बीजेपी को मिली इस जीत के मुख्य सूत्रधार थे चिराग पासवान (Chirag Paswan) ।

चिराग का चुनाव प्रचार…नीतीश और तेजस्वी हुए लाचार !

लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कुढ़नी में बीजेपी के लिए धुआंधार प्रचार किया। चिराग पासवान ने दलित वोटरों के बीच जाकर केंद्र सरकार की उपलब्धियां और उनके द्वारा किए गए कामों को गिनवाया। चिराग पासवान ने कुढ़नी की जनता को बताया कि कैसे मोदी राज में देश विकसित देश बनने की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। इसके अलावा चिराग ने शराबबंदी (Bihar Liquor Ban) के मुद्दे को ज़ोर-शोर से उछाला और नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा करते नज़र आए। दरअसल, चिराग पासवान जनता की नब्ज़ पकड़ चुके थे। उन्हें पता चल चुका था कि शराबबंदी और ताड़ीबंदी से यहां के लोग नीतीश सरकार से नाराज़ हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वादा किया था कि वो ताड़ी पर से प्रतिबंध हटा देंगे। लेकिन, बीजेपी से अलग होने के बाद भी उन्होंने ऐसा नहीं किया। जिससे जनता का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया, विशेषकर पासी और मुसहर समाज का जो कि LJP (Ramvilas) का कोर वोटर माना जाता है। लिहाज़ा, इस समाज ने चिराग की बात मानी और नीतीश की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

जातीय समीकरणों को ‘चिराग’ ने किया ध्वस्त !

बीजेपी कुशवाहा, सहनी और वैश्य के फेर में फंसी नजर आ रही थी। बीजेपी ने 2015 में जीत हासिल करने वाले केदार गुप्ता को 2020 में भी अपना उम्मीदवार बनाया था। लेकिन, तब RJD के अनिल सहनी ने मात्र 712 वोट से उन्हें शिकस्त दी थी। ऐसे में जातीय गणित और विरोधियों के उम्मीदवारों को देखते हुए बीजेपी की जीत मुश्किल नज़र आ रही थी। लेकिन, खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग पासवान ने ऐसा दांव खेला की तमाम जातीय समीकरण धरे के धरे रह गए। कुढ़नी में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 19 फीसदी है। जबकि सबसे ज़्यादा 40 हज़ार मतदाता कुशवाहा समाज के हैं। इसके बाद वैश्य समाज के वोटर हैं जिनकी तादाद 33 हजार के करीब है। माना जा रहा है कि चिराग पासवान के बीजेपी के पक्ष में प्रचार करने की वजह से अनुसूचित जाति और जनजाति के लगभग सारे वोट केदार गुप्ता की झोली में आ गए। वैश्य समाज के 33 हज़ार मतदाताओं ने भी केदार में ही अपना भविष्य देखा। यही नहीं इस विधानसभा क्षेत्र में अगड़ी जाति के करीब 45 हज़ार मतदाताओं में से एक बड़ा हिस्सा बीजेपी के पक्ष में चला गया। जबकि, असदुद्दीन ओवैसी के मैदान में उतरने से मुस्लिम समाज का वोट बंट गया। तो वहीं मुकेश सहनी की वजह से सहनी समाज के 25 हज़ार मतदाता भी जेडीयू के पाले से निकल गए। ये बात अलग है कि बीजेपी और महागठबंधन के बीच वोटों का अंतर काफी कम रहा। बीजेपी को 42.4% वोट मिले, जबकि जेडीयू को 40.37 प्रतिशत वोट मिले। लेकिन, बीजेपी की इस जीत से 2024 लोकसभा चुनाव और 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की तस्वीर नज़र आने लगी। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के लिए आने वाला वक्त चुनौती भरा हो सकता है।

‘चिराग’ का कद बढ़ा…केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी मिलेगी जगह ?

कुढ़नी में बीजेपी को मिली जीत के बाद चिराग पासवान का कद भी बढ़ गया है। सूत्रों से मिली खबरों की मानें तो चिराग ने अपनी रणनाति, लोकप्रियता और पिता की छवि के ज़रिए चाचा पशुपति पारस को भी चारों खाने चित कर दिया है। बताया जा रहा है कि पशुपति पारस अब चिराग के आगे सरेंडर कर चुके हैं। शायद उन्हें पता लग चुका है कि चिराग का चेहरा ही लोक जन शक्ति पार्टी को कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंचा सकता है। यही नहीं चिराग के नेतृत्व में LJP बिहार में अपना पुराना रसूख वापस हासिल कर सकती है। ख़बरें तो यहां तक हैं कि बीजेपी नेतृत्व भी चिराग के पक्ष में आ गया है। अगामी लोकसभा, विधानसभा चुनाव और बिहार बचाओ आंदलोन में चिराग की लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी ने उनके साथ खड़े रहने का फैसला किया है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि बहुत जल्दी चिराग को केंद्रीय मंत्रीमंडल में भी जगह मिल सकती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Posts

Most Popular