नौकरी के बदले जमीन मामले में बुधवार को नई दिल्ली की सीबीआई अदालत में पेश हुए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav), बिहार (Bihar) की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी यादव (Rabri Devi) और राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) को जमानत मिल गई। राउज एवेन्यू कोर्ट ने 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान यादव परिवार समेत कुल 17 आरोपी मौजूद थे। इससे पहले मामले की जांच कर रही CBI ने राउज एवेन्यू कोर्ट में पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था। कोर्ट ने उन्हें 4 अक्टूबर को पेश होने को कहा था।
घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए लालू ने कहा कि सुनवाई होती रहती है और उनके परिवार ने डरने लायक कुछ नहीं किया है।सभी आरोपियों के खिलाफ दायर आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए, सीबीआई की विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने कहा कि, सबूत प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी सहित विभिन्न अपराधों को दर्शाते हैं। सीबीआई ने तीन जुलाई को आरोपपत्र दाखिल किया। विशेष न्यायाधीश ने कहा, ''आरोपपत्र और दस्तावेजों तथा रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री को देखने पर, प्रथम दृष्टया मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के साथ धारा 420 (धोखाधड़ी) और 471 (दस्तावेजों की जालसाजी) के तहत दर्ज किया गया है। इसलिए, उक्त अपराधों का संज्ञान लिया जाता है।"
सीबीआई ने हाल ही में राउज एवेन्यू कोर्ट को सूचित किया था कि पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सक्षम प्राधिकारी से आवश्यक मंजूरी मिल गई है। मामले में सीबीआई द्वारा दायर दूसरी चार्जशीट में पहली बार तेजस्वी यादव का नाम शामिल है। लालू, उनकी पत्नी और बेटे तेजस्वी के अलावा, सीबीआई ने आरोप पत्र में 14 व्यक्तियों और संस्थानों को भी नामित किया है। अधिकारियों के मुताबिक, मामला रेल मंत्री (2004-2009) के कार्यकाल के दौरान रेलवे के पश्चिमी क्षेत्र में 'ग्रुप-डी' पदों पर प्रसाद की नियुक्ति से संबंधित है। आरोपपत्र के मुताबिक, नौकरी के बदले यादव परिवार के सदस्यों या सहयोगियों ने जमीनें लीं।