फिजी (Fiji) और पापुआ न्यू गिनी (Papua New Guinea) की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरें सबने देखीं। पूरी दुनिया ने देखा कि किस तरह पीएम मोदी (PM Modi) का इन दोनों ही देशों में भव्य स्वागत किया गया। दुनिया ने देखा कि पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे (James Marape) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ना सिर्फ पैर छुए बल्कि अपनी परंपरा को तोड़ते हुए एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। लेकिन, इन दो देशों की यात्रा पर पीएम मोदी को मिला सम्मान चीन को सबसे ज़्यादा खल रहा होगाा। आपको समझाते हैं कि फिजी और पापुआ न्यू गिनी जैसे द्वीपीय देशों की यात्रा कर पाीएम मोदी ने चीन (China) को कितना बड़ा जख्म दिया है।
फिजी को गुलाम बनाने की चीनी साज़िश नाकाम
फिजी 9 लाख की आबादी वाला देश है। रणनीतिक तौर पर फिजी काफी अहम है। ये प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में स्थित एक द्वीपीय देश है। यही वजह है कि चीन की बुरी नज़र इसपर पड़ी। फिजी और चीन के बीच साल 2011 में एक सुरक्षा समझौता हुआ। इसके बाद 2021 में चीन ने फिजी में एक चीनी पुलिस संपर्क अधिकारी को तैनात कर दिया। लेकिन, भारत ने फिजी को इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क का 14वां और पहला दक्षिण प्रशांत द्वीप घोषित करवा दिया। इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रूनेई, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूज़ीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं। जिसके बाद फिजी के प्रधानमंत्री राबुका ने चीन से किया गया सुरक्षा समझौता भी रद्द कर दिया।
- प्रधानमंत्री मोदी और फिजी के पीएम राबुका में गहरी दोस्ती है - सित्विनी राबुका पीएम बने थो तो पीएम मोदी ने तुरंत बधाई दी थी - अंग्रेजों ने काम के लिए भारत से बड़ी संख्या में लोगों को फिजी भेजा था - 1947 से पहले फिजी गए लोगों में ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले थे - फिजी में भोजपुरी बोली का काफी ज्यादा प्रभाव है
पापुआ न्यू गिनी में नहीं चली चीन की चाल
चीन ने अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत पापुआ न्यू गिनी (Papua New Guinea) में भारी निवेश कर रखा है। उसकी नजर पापुआ न्यू गिनी के संसाधनों पर भी है। यहां सोने, तांबे का पर्याप्त भंडार है। साल 2022 में बैंकॉक में पापुआ न्यू गिनी के पीएम के साथ बैठक में शी जिनपिंग ने कई क्षेत्रों में सहयोग का आश्वासन दिया था। चीन यहां घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन, रणनीतिक तौर पर पापुआ न्यू गिनी बेहद अहम है। ये ऑस्ट्रेलिया के काफी करीब है जो क्वॉड का सदस्य देश है। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ भारत भी पापुआ न्यू गिनी से अपने संबंध बेहतर करना चाहता है। यही वजह है कि पीएम मोदी ने पापुआ न्यू गिनी की यात्रा की। पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री इस देश में गया। माना जा रहा है कि जिस तरह वहां के पीएम ने नरेंद्र मोदी का स्वागत किया उससे दोनों देशों के संबंध और ज़्यादा प्रगाढ़ होंगे। जबकि फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स को-ऑपरेशन के जरिए पापुआ न्यू गिनी को चीन के प्रभाव से दूर किया जा सकेगा।
- पापुआ न्यू गिनी में भारत ने अपना हाई कमिशन 27 साल पहले 1996 में खोला था। - इसके 10 साल बाद 2006 में पापुआ न्यू गिनी ने भी भारत में अपना उच्चायोग खोला। - भारत टेक्सटाइल, मशीनरी, खाद्य पदार्थ, दवाओं, सर्जिकल आइटम, साबुन, वॉशिंग पाउडर जैसी चीजें पापुआ न्यू गिनी को एक्सपोर्ट करता है। - कोरोनाकाल के दौरान भारत ने पापुआ गिनी को कोविड वैक्सीन की एक लाख 31 हज़ार खुराक दी थी।