आतंकवाद के मुद्दे पर पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ने के बाद अब पाकिस्तान अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रहा है। FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर आने के बाद पाकिस्तान खुद के ऊपर लगे आतंकी मुल्क के ठप्पे को हटाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन, इस कोशिश को कामयाब करने के लिए वो जो हथकंडे अपना रहा है उसपर पूरी दुनिया हैरान नज़र आ रही है। आतंकपरस्ती के आरोपों को खारिज करने के लिए पाकिस्तान अब भारत पर ही दशतगर्दी को बढ़ावा देने का आरोप लगाने लगा है। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ना सिर्फ पिछले साल आतंकी हाफिज़ सईद के घर के बाहर हुए ब्लास्ट में भारत का हाथ होने के आरोप लगाए, बल्कि, उसने हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी कीचड़ उचालने की कोशिश की। बिलावल भुट्टो जरदारी ने UNSC में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि, मैं भारत के विदेश मंत्री को याद दिलाना चाहता हूं कि ओसामा बिन लादेन मारा जा चुका है। लेकिन गुजरात का कसाई ज़िंदा है, और वो आज भारत का प्रधानमंत्री है।” बिलावल भुट्टो जरदारी की राजनीतिक अपरिपक्वता का इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता था कि जिस प्रधानमंत्री मोदी की बात पुतिन मानते हैं, जिसकी बात बाइडन गौर से सुनते हैं, उसी प्रधानमंत्री के खिलाफ वो ज़हर उगल रहे थे।
क्यों बौखलाए पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल ?
बिलावल भुट्टो इसलिए बौखलाए हुए थे क्योंकि एस जयशंकर ने उन्हें UNSC में कश्मीर राग अलापने पर आड़े हाथों लिया था। बिलावल भुट्टो ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा था कि भारत को कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का पालन करना चाहिए। जिसका जवाब देते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि शांति स्थापित करने के लिए ज़रूरी है कि पाकिस्तान अपनी आतंक नीति से बाज़ आए। क्योंकि ये वही पाकिस्तान है जिसने ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकी को अपने यहां शरण दी थी। जिस तरीके से एस जयशंकर ने बिलावल की खिंचाई की उससे बौखलाए बिलावल ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ ही आपत्तिजनक बयान दे दिया।
बिलावल के बयान पर बीजेपी का हंगामा
बिलावल भुट्टो के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई अपमानजनक टिप्पणी के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने पाकिस्तान हाई कमिशन के बाहर जमकर प्रदर्शन किया। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान दूतावास के बाहर तीन मूर्ति मार्ग पर सड़क जाम कर दिया। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने नरेंद्र मोदी ज़िंदाबाद और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। जबकि हाथों में बीजेपी के झंडे और पोस्टर बैनर लिए नज़र आए। पोस्टर्स में लिखा था कि हर हिंदुस्तानी की एक पुकार पाकिस्तान को सबक सिखाओ फिर एक बार। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पहले तो सड़क पर बैठकर अपना विरोध जताया। लेकिन, उसके बाद वो उग्र हो गए और पुलिस की बैरिकेडिंग लांघने की कोशिश करने लगे। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच धक्का मुक्की भी हुई। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने विरोध प्रदर्शन के मद्देनज़र पहले से ही पाकिस्तान उच्चायोग की सुरक्षा चाक-चौबंद कर रखी थी। प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बिलावल के आपत्तिजनक बयान की बीजेपी के तमाम नेताओं ने एक सुर में निंदा की।
वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने क्या कहा – ”पाकिस्तान के विदेश मंत्री का बयान बहुत ही नापाक था, शर्मनाक था और ये प्रयास था कि 1971 में आज ही के दिन जिस तरह से पाकिस्तान की सेना को धूल भारतीय सेना ने चटाई थी शायद उसका दर्द उनको अभी तक है।”
बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने क्या कहा – ” कंगाल देश के कंगाल और मानसिक रुप से दिवालिए विदेश मंत्री का बयान है। पाकिस्तान एक नाकाम देश ही और उसकी नाकामी पूरी दुनिया देख रही है।”
भारत के विदेश मंत्रालय ने बिलावल के बयान को असभ्य करार दिया है। विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि बिलावल का बयान पाकिस्तान के लिए नीचता का नया स्तर है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि बिलावल 1971 का इतिहास भूल गए हैं। बिलावल भूल गए हैं कि किस तरह पाकिस्तान अल्पसंख्यकों का दमन करता आया है।
जानिए कौन हैं बिलावल भुट्टो जरदारी ?
बिलावल भुट्टो जरदारी पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्र बेनज़ीर भुट्टो के बेटे हैं। उन्होंने इसी साल शाहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार में विदेश मंत्री के रूप में शपथ ली है। 2018 में बिलावल भुट्टो पहली बार नेशनल असेंबली के लिए चुने गए थे। 21 सितंबर 1988 में कराची में जन्में बिलावल पेशे से पॉलिटिशियन हैं। उनके पिता आसिफ अली जरदारी हैं और उनकी पत्नी का नाम नुसरत भुट्टो है। क्राइस्टचर्च से मॉर्डन हिस्ट्री और पॉलिटिक्स की पढ़ाई करने के बाद बिलावल राजनीति में उतर आए। 2007 में 19 साल की उम्र में बिलावल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन नियुक्त किए गए। 2018 में उन्होंने कराची जिले के दक्षिण मलकंद और लरकाना निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ा। जरदारी लरकाना में जीते और अगस्त 2018 में पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य बने। उन्हें मार्च 2019 में मानवाधिकार पर नेशनल असेंबली की स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में भी निर्विरोध चुना गया।