13 दिसंबर को संसद में हंगामा और अफरा-तफरी मचाने वाले 9 लोग पुलिस की गिरफ्त में हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि, जो कुछ भी हुआ उसके पीछे बिहार के रहने वाले ललित मोहन झा था। कहा जा रहा है कि ललित मोहन झा ने ही 13 दिसंबर की घटना से जुड़ी साज़िश रची। लेकिन, सवाल ये है कि, क्या कोलकाता में रहकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने वाला ललित ही असल मास्टरमाइंड है। क्या ललित ने ही बाकी के सभी आरोपियों को इस घटना को अंजाम देने के लिए तैयार किया। जवाब है नहीं। ज़ाहिर है आप सोच रहे होंगे कि वो कौन है जिसने 13 दिसंबर को हंगामे का प्लान बनाया। अबतक पुलिस उस मास्टरमाइंड तक नहीं पहुंच पाई है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल मास्टरमाइंड की तलाश कर रही है। लेकिन, ये तलाश तब पूरी होगी जब हंगामे की पूरी क्रोनोलॉजी को समझा जाएगा। ये समझा जाएगा कि अलग-अलग राज्यों से आने वाले लोग कैसे एक दूसरे के संपर्क में आए, कैसे हंगामे का प्लान बनाया, इन्हें फंडिंग किसने की और ये किस विचारधारा से प्रेरित हैं।
आरोपी सागर शर्मा को किसने बरगलाया?
सबसे पहले बात करते हैं संसद में स्मोक कैन से धुआं-धुआं करने वाले लखनऊ निवासी सागर शर्मा की। सागर शर्मा पेशे से ई-रिक्शा ड्राइवर है। उसका परिवार बेहद गरीब है। पिता कारपेंटर हैं और वो घर में कमाने वाला दूसरा शख्स है। ऐसा नहीं हो सकता कि सागर शर्मा को अपनी ज़िम्मेदारियों का अहसास नहीं होगा। लेकिन, इसके बावजूद उसने ये कदम उठाया। इसलिए क्योंकि वो क्रांतिकारी विचारधारा से प्रेरित था। फेसबुक पर भगत सिंह फैन क्लब पेज को फॉलो करता था। सोशल मीडिया पर ही उसकी दूसरे आरोपियों से बातचीत शुरु हुई या कहें वो उनके संपर्क में आया। इसके बाद सागर को सत्ता विरोध का कीड़ा काट गया। वो सत्ता यानि सरकार से नाराज़ रहने लगा। इस बात की तस्दीक होती है उसकी डायरी से जिसे पुलिस ने बरामद किया है।
12वीं पास सागर शर्मा की क्रांतिकारी ‘शायरी’
डायरी में 6 फरवरी 2021 को आरोपी सागर शर्मा क्रांति की बात करते हुए लिखता है कि, ''घर से विदा लेने का समय नजदीक आ गया है। एक तरफ डर भी है और दूसरी तरफ कुछ भी कर गुज़रने की आग भी धधक रही है। काश, मैं अपनी स्थिति माता-पिता को समझा सकता। मगर ऐसा नहीं है कि मेरे लिए संघर्ष की राह चुनना आसान रहा। हर पल उम्मीद लगाए 5 साल मैंने प्रतीक्षा की है कि एक दिन आएगा जब मैं अपने कर्तव्य की ओर बढूंगा। दुनिया में ताकतवर व्यक्ति वो नहीं जो छीनना जानते हैं, ताकतवर व्यक्ति वो है जो हर सुख त्यागने की क्षमता रखता है।'' 2015 में सागर शर्मा ने अपनी डायरी में इंकलाब जिंदाबाद नाम से कई कविताएं भी लिखी हैं। आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ देने वाला सागर शर्मा ने अपनी डायरी में शायरी भी लिखी हैं। उसने लिखा है कि, ''दर्द अपने वतन का मुझसे देखा जाता नहीं, दुश्मन के आगे झुकना मैं किसी को सिखाता नहीं, कर दूंगा आवाज को मैं अपनी बुलंद, फिर सुनेगी ये कातिलों की महफिल और सुनेगा आसमां, भिगो कर लहू से मैं अपनी इस ज़मीन को दिखा दूंगा इक दिन, इस कदर वतन को अपने कोई आशिक चाहता नहीं।''
आरोपी सागर शर्मा को मनोरंजन ने बरगलाया?
सागर शर्मा की डायरी में लिखी बातों से साफ है कि वो सरकार से नाराज़ था। लेकिन, इतना नाराज़ कैसे हो सकता है कि 13 दिसंबर जैसी घटना को अंजाम दे। इतना नाराज़ कैसे हो सकता है कि अपने परिवार को रोता-बिलखता छोड़ दे। क्रांति अपनी जगह है, विरोध अपनी जगह है, लेकिन सागर शर्मा कानून को अपने हाथों में कैसे ले सकता है। ज़ाहिर है इसके पीछे कोई ना कोई तो है जिसने उसका ब्रेन वॉश किया। वैसे सागर के पिता की मानें तो जब से वो कर्नाटक से लौटा था, तभी से बदला-बदला नज़र आया। सागर के पिता ने तो बेंगलुरू के मनोरंजन डी आई (दूसरा आरोपी) पर अपने बेटे को बरगलाने का आरोप भी लगाया। यहां एक चीज़ गौर करने वाली है कि सभी आरोपी बेंगलुरू में भी मिले थे। ज़ाहिर तौर पर वहां उनकी सिर्फ मुलाकात नहीं हुई होगी, बल्कि ऐसी ही किसी घटना को अंजाम देने के मुद्दे पर चर्चा भी हुई होगी। यही नहीं, यहां एक चीज़ और गौर करने वाली पकड़े गए सभी आरोपियों में सबसे ज़्यादा पढ़ा लिखा मनोरंजन डी आई ही है। वो इंजीनियरिंग कर चुका है। ऐसे में बहुत मुमकिन है कि घटना का असल मास्टरमाइंड वही हो।