Thursday, November 21, 2024
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Electoral Bonds: चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम फैसले के बाद गरमाई राजनीति। जानिए किस दल को चुनावी बॉन्ड से मिला कितना चंदा

लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 6 साल पुरानी चुनावी बॉन्ड स्कीम को अवैध करार दे दिया। साथ ही इसके जरिए चंदा लेने पर तत्काल रोक लगा दी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम पर चाबुक चलाने के साथ, इनकम टैक्स, कंपनीज़ एक्ट और लोगों के प्रतिनिधित्व अधिनियम में किए गए संशोधनों को भी रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि...

- बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। 
- इसके जरिए राजनीतिक दलों को असीमित फंडिंग का रास्ता खुला।
- ये स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। 
- SBI उन राजनीतिक दलों का ब्योरा दे, जिन्होंने 2019 से अब तक इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा हासिल किया।
- SBI राजनीतिक दल की ओर से कैश किए गए हर इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी दे 
- SBI इलेक्टोरल बॉन्ड को कैश करने की तारीख का भी ब्योरा दे।
- SBI सारी जानकारी 6 मार्च 2024 तक इलेक्शन कमीशन को दे 
- इलेक्शन कमीशन 13 मार्च तक अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर इसे पब्लिश करे।

कपिल सिब्बल ने बीजेपी पर लगाया बड़ा आरोप

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने तीन दिन की सुनवाई के बाद 2 नवंबर 2023 को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसे लेकर चार याचिकाएं दाखिल की गई थीं। याचिकाकर्ताओं में ADR यानि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और CPM शामिल है। जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी ज़ाहिर की। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करने वाले सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने इसे देश का सबसे बड़ा स्कैम करार देते हुए बीजेपी पर निशाना साधा कपिल सिब्बल ने इलेक्टोरल बैंड को बीजेपी का सबसे बड़ा स्कैम करार दिया। 

भारत में चुनावी बॉन्ड का इतिहास

इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम मामले में 1 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखते हुए कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड से राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता आई है। लेकिन, कोर्ट ने सरकार की दलील को खारिज कर दिया और चुनावी बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। यही नहीं अदालत ने कहा कि चुनावी बॉन्ड से ब्लैक मनी को व्हाइट किया जा सकता है। दरअसल, 2017 के बजट में उस वक्त के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को पेश किया था। 29 जनवरी 2018 को केंद्र सरकार ने इसे नोटिफाई किया। 

- इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है।
- स्टेट बैंक को KYC डीटेल देकर 1 हजार से 1 करोड़ रुपए तक के बॉन्ड खरीदे जा सकते हैं।
- बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान गुप्त रहती है।
- इसे खरीदने वाले व्यक्ति को टैक्स में छूट भी मिलती है।
- ये बॉन्ड जारी करने के बाद 15 दिन तक मान्य रहते हैं।
- 15 दिन के अंदर इसे संबंधित पार्टी को चुनाव आयोग से वैरिफाइड बैंक अकाउंट से कैश करवाना होता है।
- चुनावी बॉन्ड खरीदने वाला इसे अपनी पसंद की पार्टी को डोनेट कर सकता है। 
- शर्त ये है कि उस पार्टी को पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम 1 प्रतिशत वोट मिला होना चाहिए।

चुनावी बॉन्ड से किस पार्टी को कितना चंदा मिला?

तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ये भी कहा था कि इससे ब्लैक मनी पर लगाम लगेगी। जबकि, दूसरी ओर इसका विरोध करने वालों की दलील है कि, इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान जाहिर नहीं की जाती है। लिहाज़ा, ये चुनावों में काले धन के इस्तेमाल का जरिया बन सकते हैं। कुछ लोगों का आरोप है कि इस स्कीम को बड़े कॉर्पोरेट घरानों को ध्यान में रखकर लाया गया है। इससे कॉर्पोरेट घराने बिना पहचान उजागर हुए जितना मर्जी उतना चंदा राजनीतिक पार्टियों को दे सकते हैं। वैसे चुनाव आयोग के जारी किए गए आंकड़ों को देखें तो 2018 से अबतक चुनावी बॉन्ड के ज़रिए सबसे ज़्यादा चंदा बीजेपी को ही मिला है। 

- बीजेपी को करीब 5272 करोड़ रुपए का चंदा मिला। 
- कांग्रेस को 952 करोड़ रुपए का चंदा मिला। 
- जबकि ममता बनर्जी की पार्टी TMC को चंदे के तौर पर 768 करोड़ रुपए मिले।
- इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिए चंदा पाने वाली पार्टियों में चौथे नंबर पर BJD यानि बीजू जनता दल है, जिसे 622 करोड़ रुपए मिले हैं
- के चंद्रशेखर राव की पार्टी BRS पांचवे नंबर पर है, जिसे 384 करोड़ रुपए मिले हैं
*SOURCE ADR/EC

चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम फैसले के बाद सियासी घमासान

चुनावी बॉन्ड रद्द किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राजनीति भी शुरु हो गई। कांग्रेस और विपक्षी दलों ने बीजेपी को आड़े हाथों लिया। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए बीजेपी को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की। उन्होंने लिखा कि, ''नरेंद्र मोदी की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत आपके सामने है। भाजपा ने इलेक्टोरल बॉन्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था। आज इस बात पर मुहर लग गई है।'' CPIM के जेनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी ने कहा कि, ''जो दावा करके आते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं, ना खाएंगे, ना खाने देंगे, वही इस तरीके से कानूनी व्यवस्था बना चुके हैं इस राजनीतिक भ्रष्टाचार के लिए।'' NCP के फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि सुप्रीम फैसले पर सभी पार्टियों को अमल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि, ''आम अवाम को मालूम होना चाहिए कि मनी पावर कहां से आया और कितना मनी पावर है, ये ज़रूरी है।''

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