अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण को लेकर मची हलचल नेपाल तक है। नेपाल (Nepal) की गंडकी नदी के तट से दो विशालकाय चट्टानों को अयोध्या भेज रहा है। इन विशालकाय चट्टानों का इस्तेमाल श्री राम और माता सीता की मूर्तियां बनाने में किया जाएगा। नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री बिमलेंद्र निधि ने कहा कि, हिमालयी पत्थरों के आदान-प्रदान से नेपाल और भारत के बीच धार्मिक संबंध मजबूत होंगे।
नेपाल में शिलापूजन के बाद अयोध्या में भक्तों का इंतज़ार
माना जाता है कि माता सीता नेपाल के राजा जनक की बेटी थीं। हर साल जनकपुर भगवान राम (Lord Shri Ram) के जन्म और राम और सीता (Mata Sita) की शादी की सालगिरह मनाता है। अयोध्या के साथ नेपाल का रिश्ता सदियों पुराना है। इसी कारण नेपाल ने विशाल शिलाओं को भारत भेजने का प्रस्ताव रखा और एक धनुष भी रखा, जिसे बाद में बनाया जाएगा। जानकारी के मुताबिक दोनों शिलाओं का वजन क्रमश: 18 टन और 12 टन है। इन पत्थरों का शिलापूजन किया गया है और उन्हें 1 फरवरी को अयोध्या लाया जाएगा।
6 करोड़ साल पुरानी शिला, 1 हजार साल तक चलने वाला धनुष
15 जनवरी को नेपाल में अयोध्या लाई जा रही विशालकाय चट्टानों का शिलापूजन किया गया। इन दोनों शिलाओं को जनता के दर्शन के लिए सबसे पहले जनकपुर भेजा गया। जबकि नेपाल की सरकार अयोध्या में श्री राम मंदिर के लिए अष्टधातु (आठ धातु) धनुष बनाएंगी जो कम से कम 1,000 साल तक चलेगा।
- शालिग्रामी नदी से निकाली गईं ये दोनों शिलाएं करीब 6 करोड़ साल पुरानी बताई जा रही हैं - शालिग्राम पत्थर सिर्फ शालिग्रामी नदी में मिलता है जो दामोदर कुंड से निकलकर बिहार के सोनपुर में गंगा नदी में मिल जाती है। - शालिग्राम पत्थर, सिर्फ शालिग्रामी नदी में मिलता है। यह नदी दामोदर कुंड से निकलकर बिहार के सोनपुर में गंगा नदी में मिल जाती है। - शनिवार को ये शिलाएं जनकपुर पहुंच रही हैं। वहां दो दिन का अनुष्ठान होगा, जिसके बाद शिलाएं बिहार के मधुबनी के सहारघाट, बेनीपट्टी होते हुए बिहार के दरभंगा, मुजफ्फरपुर पहुंचेगी। - बिहार में 51 जगहों पर शिला का पूजन होगा, जिसके बाद 31 जनवरी को गोपालगंज होकर शिलाएं UP में प्रवेश करेंगी।