UTTARAKHAND: भूबैकुंठ कहे जाने वाले बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है। यहां का जर्रा-जर्रा पौराणिक कहानियों (Mythological Stories) का गवाह रहा है। समय चक्र आगे घूमता रहा, मगर युगों पुराने वो निशां बाकी रहे। बद्रीनाथ धाम के पास मौजूद माणा गांव (Mana Village) जो कि पहले भारत का आखिरी गांव कहा जाता था, मगर पीएम मोदी ने इसे ऐसा उपहार दिया कि ये अब भारत का पहला गांव (India’s First Village) बन गया। इस गांव में कई अलौकिक और दिव्य स्थल हैं। उन्हें में से एक है गणेश गुफा (Ganesh Cave) और व्यास गुफा (Vyas Cave)। इन्हीं से जुड़ी है भगवान गणेश (Lord Ganesha) की एकदंत (Ekadent) बनने की कहानी।
बद्रीनाथ में हुई थी महाभारत की रचना
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी स्थल पर भगवान गणेश (Lord Ganesha) और महर्षि वेदव्यास (Maharishi Vedvyas) ने महाभारत (Mahabharat) की रचना की थी। यहां तपस्या करने वाले ऋषि मुनि बताते हैं कि व्यास गुफा से ही महर्षि वेदव्यास ने महाभारत का वाचन (Speaking Mahabharat) किया था। जबकि इस गुफा से 50 मीटर नीचे मौजूद गणेश गुफा में बैठकर भगवान गणेश ने महाभारत लिखी (Writing the Mahabharat) थी।
महाभारत से जुड़ा गणेश गुफा और व्यास गुफा का इतिहास
मान्यता है कि महाभारत का वाचन करने और लिखने के दौरान महर्षि वेदव्यास और भगवान गणेश में एक सहमति (Agreement) बनी थी। गणेश जी ने वेदव्यास से कहा कि मेरी लेखनी बहुत तेज है। अगर आप चाहते हैं कि मैं महाभारत लिखूं तो आपको बीच में रुकना नहीं है। अगर आप रुके तो मैं लिखना बंद कर दूंगा।
गणेश जी की थी सबसे तेज लेखनी
देवव्यास ने गणेश जी की इस बात पर हामी भरी और फिर वेदव्यास महाभारत का वाचन करने में जुट गए। ऊपर व्यास गुफा से वेदव्यास महाभारत का वाचन करते और नीचे गणेश गुफा में भगवान गणेश बड़ी तेजी से सब लिख लेते।
भगवान गणेश ऐसे बने एकदंत
कहा जाता है कि इस दौरान लिखते-लिखते बीच में गणेश जी की कमल टूट गई। ऐसे में महाभारत का लेखन बीच में रोकना न पड़े इसके लिए गणेश जी ने अपने लंबे दांतों में से एक दांत तोड़ दिया और उसी को कलम बनाकर लिखना जारी रखा। इसीलिए भगवान का नाम एकदंत पड़ा और गणेश गुफा में उनके इसी स्वरूप की पूजा की जाती है।