देवभूमि उत्तराखंड का कैंची धाम जिसे बाबा नीम करौली धाम (Baba Neem Karoli Dham) भी कहा जाता है, एक ऐसा तीर्थस्थल है, जहां साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर दूर अल्मोड़ा–नैनीताल रोड पर स्थित कैंची धाम में बड़ी संख्या में भक्त और श्रद्धालु आकर आस्था के फूल बाबा नीम करौली के चरणों में अर्पित करते हैं। हर साल 15 जून को यहां एक विशाल मेला और भंडारा लगाया जाता है। इस दिन यहां पावन धाम में स्थापना दिवस मनाया जाता है। बाबा नीम करोली ने कैंची धाम आश्रम की स्थापनी 1964 में की थी। पंडित गोविंद वल्लभ पंत, राष्ट्रपति वीवी गिरि, महाकवि सुमित्रानन्दन पंत और देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु भी बाबा नीम करोली का आशीर्वाद लेने आते रहते थे।
बाबा नीम करोली का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भारतीयों के साथ बड़ी-बड़ी विदेशी हस्तियां भी उनके आश्रम पर आती रही हैं। आपको शायद यकीन ना हो, लेकिन एप्पल (Apple) के संस्थापक स्टीव जॉब्स को भी कैंची धाम से ही प्रेरणा मिली थी। Apple की स्थापना करने से पहले स्टीव जॉब्स कैंची धाम आए थे। कहा जाता है कि उन्हें एप्पल के लोगो का आइडिया यहीं से आया। दरअसल, बाबा नीम करोली ने प्रसाद के रूप में अपना खाया हुआ सेब एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स को दिया था। जिसे देखने के बाद उनका विज़न साफ हो गया, और स्टीव ने इसे ही अपनी कंपनी का लोगो बना दिया।
साल 2015 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर गए थे। यहां उनकी मुलाकात मार्क ज़ुकरबर्ग से हुई। मार्क ज़ुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) ने पीएम मोदी से एक मंदिर के बारे में पूछा था जहां उनके गुरु ने जाने की सलाह दी थी। दरअसल, इससे पहले मार्क ज़ुकरबर्ग साल 2007 में कैंची धाम आए थे। यहां उन्होंने काफी वक्त बिताया था। जबकि, यहां से लौटने के बाद ही उन्होंने सफलता की ऊंचाइंयों को छुआ। उन्होंने जिस फेसबुक की नींव रखी थी, उसे दुनिया में एक नई पहचान मिली। खुद ज़ुकरबर्ग ने बताया था कि कैंची धाम में उन्हें दिव्य अनुभूति हुई थी।
ऑस्ट्रेलिया में टी-20 वर्ल्ड के बाद विराट कोहली सबसे पहले बाबा नीम करोली के दर्शन करने कैंची धाम पहुंचे थे। विराट और उनकी पत्नी अनुष्का ने अपनी बेटी के साथ कैंची धाम में करीब दो घंटे बिताए। इस दौरान हनुमान चालीसा का पाठ भी किया और आरती में शामिल हुए। विराट कोहली (Virat Kohli) और अनुष्का (Anushka Sharma) ने एक बार फिर यहां आने का वादा किया और रवाना हो गए। बताया जाता है कि विराट कोहली और अनुष्का शर्मा बाबा नीम करोली के अनन्य भक्त हैं। विराट कोहली की फॉर्म में वापसी को भी बाबा नीम करोली के आशीर्वाद के तौर पर देखा जा रहा है।
नीम करोली बाबा का असली नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में उनका जन्म 1900 के आसपास हुआ था। कहा जाता है कि 11 साल की उम्र में उनकी शादी हुई और 17 साल की उम्र में ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी।
1958 में बाबा नीम करोली ने अपना घर त्याग दिया और समूचे उत्तर भारत में एक साधु की तरह घूमने लगे। इस दौरान कभी वो लक्ष्मण दास , हांडी वाले बाबा, तो कभी तिकोनिया बाबा के नाम से जाने गए।
बाबा नीम करोली ट्रेन की फर्स्ट क्लास में यात्रा कर रहे थे। उनके पास टिकट नहीं था। जिसकी वजह से उन्हें एक जगह पर उतार दिया गया। उन्हें उतारने के बाद ड्राइवर ने ट्रेन को बढ़ाने की कोशिश की तो ट्रेन चली ही नहीं। ट्रेन तब चली जब बाबा नीम करोली उसमें जाकर बैठे। उस समय नीम करोली बाबा ने शर्त रखी थी कि जहां उन्हें ट्रेन से उतारा गया वहां स्टेशन बनाया जाए। जिसके बाद उस जगह नीब करोली नाम का स्टेशन बनाया गया।
उत्तराखंड के नैनीताल के पास कैंची धाम में बाबा नीम करोली पहली बार 1961 में आए थे। उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहां कैंची धाम आश्रम की नींव रखी। हालांकि, बाबा का समाधि स्थल नैनीताल के पास पंतनगर में है। मान्यता है कि यहां से कोई भी फरियादी खाली हाथ वापस नहीं लौटता।
बाबा नीम करोली के दो बेटे और एक बेटी हैं। बड़े बेटे अपने परिवार के साथ भोपाल में रहते हैं। जबकि छोटे बेटे वन विभाग में रेंजर थे, जिनका निधन हो चुका है। वहीं बाबा नीम करोली ने अपने शरीर का त्याग 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में किया था।
आस्था का सम्बन्ध हमारे अंतर्मन से होता है और यहीं से चमत्कार की शुरुआत होती है।
सत्य कहा विभा जी।