- भारतीय क्रिकेट टीम को उम्रदराज़ खिलाड़ी ले डूबे
- विनिंग कॉम्बिनेशन के साथ ऑस्ट्रेलिया नहीं गया था भारत
- रोहित शर्मा, केएल राहुल और भुवनेश्वर का ख़राब प्रदर्शन
- ICC टूर्नामेंट्स जीतनें हो तो करने होंगे बड़े फेरबदल
भारतीय टीम जैसे-तैसे, गिरते-पड़ते टी-20 विश्व कप (T-20 world cup) के सेमीफाइनल तक पहुंची।
लेकिन, इंग्लैंड के दो बल्लेबाज़ों ने ही टीम इंडिया की हवा निकाल दी। कहां तो फैंस पाकिस्तान से फाइनल खेलने
की उम्मीद पाले बैठे थे। 2021 टी-20 विश्व कप में मिली शिकस्त का बदला लेने का जश्न मनाने वाले थे। लेकिन,
मेन इन ब्लू ने ऐसी लुटिया डुबोई की भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के सारे सपने टूट कर बिखर गए।
विश्व कप में टीम का बुरा हाल, सुलगते सवाल
- आखिर ऐसा क्यों हुआ कि भारतीय टीम सेमीफाइनल मुकाबले में इंग्लैंड के हाथों बुरी तरह हार गई ?
- आखिर ऐसा क्यों हुआ कि विश्व कप के पहले मैच से ही भारतीय टीम के कदम लड़खड़ाते दिखे ?
- आखिर ऐसा क्यों हुआ कि टीम इंडिया एक भी मैच आराम से नहीं जीत पाई ?
- आखिर ऐसा क्यों हुआ कि बांग्लादेश और ज़िम्बाब्वे जैसी कमज़ोर टीमों के ख़िलाफ़ भी भारत संघर्ष करता दिखा ?
- आखिर ऐसा क्यों हुआ कि विराट कोहली (Virat Kohli), रोहित शर्मा (Rohit Sharma), हार्दिक पांड्या,
ऋषभ पंत और केएल राहुल (KL Rahul) जैसे इंटरनेशनल कप्तानों से लैस टीम भी पिट गई ?
इन तमाम सवालों के साथ भारतीय टीम के शर्मनाक प्रदर्शन का संपूर्ण विश्लेषण करने से पहले हमें कुछ आंकड़ों पर ग़ौर करना चाहिए , जो इस बात की तस्दीक करती हैं कि नॉकआउट या कहें अहम मुकाबलों में टीम इंडिया पहली बार फिसड्डी साबित नहीं हुई है, बल्कि पिछले कई वर्षों से अहम मुकाबलों में लगातार हारती रही है।
नॉकआउट में टीम इंडिया (Team India) बार-बार आउट
भारतीय टीम आखिरी टी-20 वर्ल्ड कप 2007 में जीती थी। आखिरी वनडे वर्ल्ड कप 2011 में जीती थी। आखिरी चैंपियंस ट्रॉफी 2013 में जीती थी। इसके बाद साल बीतते गए, लेकिन, वर्ल्ड कप का सूखा ख़त्म नहीं हुआ। कितने ही प्रयोग किए गए, नए खिलाड़ियों को आज़माया गया, नई टीम बनाई गई, लेकिन, हर चीज़ व्यर्थ साबित हुई। क्रिकेट की दुनिया में वैसे तो प्रोटियाज़ यानि दक्षिण अफ्रीकी टीम (South African Team) को चोकर कहा जाता है। लेकिन, भारतीय टीम तो उनसे भी बड़ी चोकर साबित होती नज़र आई।
- साल 2014 के टी-20 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका (South Africa) को हराकर फाइनल तक पहुंची थी। लेकिन, दक्षिण अफ्रीका से मिली जीत की खुमारी को फाइनल में श्रीलंका ने उतार दिया। भारतीय टीम श्रीलंका के हाथों 6 विकेट से हार गई।
- इसके अगले ही साल यानि 2015 में टीम इंडिया को वनडे वर्ल्ड कप में शर्मिंदगी उठानी पड़ी। भारतीय टीम ने क्वॉर्टर फाइनल में बांग्लादेश को तो हराया, लेकिन, सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गई।
- दो साल बाद चैंपियंस ट्रॉफी में भी भारत नॉकआउट मुकाबले में हार कर खिताब से आउट हो गई। 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में मेन इन ब्लू (Men in blue) पाकिस्तान से हार गई।
- कीवियों ने तो नॉकआउट मुकाबलों में दो-दो बार भारतीय टीम को पटखनी दी। पहली बार 2019 वनडे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में और दूसरी बार 2021 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में।
रोहित एंड कंपनी क्यों हुई फ्लॉप ?
साल 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी को छोड़ दें तो टीम इंडिया ने आईसीसीसी (ICC) के किसी भी बड़े टूर्नामेंट में खिताबी जीत हासिल नहीं की। जिसकी वजहें भी हैं। उदाहरण के तौर पर बार-बार नए खिलाड़ियों को आज़माना, बेंच स्ट्रेंथ के नाम पर टीम को एक प्रयोगशाला में तब्दील कर देना, अनिफट खिलाड़ियों को प्लेइंग इलेवन में मौका देना, महेंद्र सिंह धोनी (M S Dhoni) की तरह खिलाड़ियों की फिटनेस पर कप्तान का ध्यान ना देना, मिडिली और आखिरी ओवर्स में ख़राब गेंदबाज़ी करना, ओपनिंग बल्लेबाज के तौर पर लगातार फ्लॉप रहने वाले केएल राहुल को मौक़ा देना, टी-20 जैसे फॉर्मेट में फ्रेस टैलेंट्स (fresh talents) यानि नए खिलाड़ियों को टीम में जगह ना देना और प्लेइंग इलेवन में बार-बार दो ऑफ स्पिनर्स को खिलाना शामिल है।
उम्रदराज़ खिलाड़ियों से गिरी नाकामी की गाज
कहते हैं उम्र तो सिर्फ नंबरों का खेल है। लेकिन, क्रिकेट के खेल में उम्र सिर्फ नंबर नहीं, बल्कि उससे कहीं अधिक मायने रखता है, वो भी तब जब फॉर्मेट टी-20 का हो। जिसमें आपके रिफ्लेक्सेज़ (Reflexes) अच्छे होने चाहिएं, आपकी फिटनेस कहीं अच्छी होनी चाहिए। लेकिन, सच्चाई तो ये है की टीम इंडिया के 10 खिलाड़ी तीस साल के ऊपर हैं। हालांकि, इनमें से कुछ ने विश्व कप में शानदार प्रपदर्शन किया, जैसे विराट कोहली और सूर्य कुमार यादव। लेकिन, कुछ बढ़ती उम्र से होने वाली दिक्कतों का सामना करते भी नज़र आई। रोहित शर्मा की फिटनेस तो बेहद खराब दिखी। रनिंग बिटवीन द विकेट की बात हो, फील्डिंग की या फिर उस ऊर्जा की जो एक कप्तान में होनी चाहिए,रोहित शर्मा हर मामले में फिसड्डी साबित हुए। गेंदबाज़ों की बात करें तो भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मदल शमी भी आयु की उल्टी वायु में फंसते दिखे। दोनों 32 साल के हैं और इनमें कुछ क्रिकेट अभी बाकी है। लेकिन, वो क्रिकेट टी-20 नहीं हो सकती। टी-20 में ज़रूरत है तो अर्शदीप सिंह जैसे युवा गेंदबाज़ की। ठीक उसी तरह जिस तरह बल्लेबाज़ी क्रम में ज़रूरत है शुभमन गिल जैसे युवा बल्लेबाज़ की, जो भले ही ऑस्ट्रेलिया के बड़े ग्राउंड्स पर अपनी ताकत के ज़ोर से छक्के ना मार सके, लेकिन, अपनी टाइमिंग से गेंद को बाउंड्री पार ज़रूर पहुंचा सकता है।
2007 की तुलना में रोहित आर्मी कहीं ज़्यादा उम्रदराज़
वर्ष 2007 में जिस भारतीय टीम ने टी-20 विश्व कप जीता था, उसकी औसत आयु क़रीब 24 साल थी। तत्कालीन भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की ही बात करें तो उनकी उम्र तब महज़ 26 साल थी। ग़ौर करने वाली बात ये कि उस वर्ल्ड कप विनिंग टीम में एक भी खिलाड़ी की उम्र तीस साल के ऊपर नहीं थी। उस वक्त हरभजन सिंह सबसे उम्रदराज़ खिलाड़ी थे, जिनकी आयु 27 वर्ष थी। लेकिन, मौजूदा भारतीय टी-20 टीम में 9 खिलाड़ी 30 साल से ऊपर के थे। तो ऐसे में सवाल उठता है कि जिस फॉरमेट में आपको सबसे युवा प्लेयर्स की दरकार होती है, वहां अनुभव के नाम पर उम्रदराज़ खिलाड़ियों को क्यों भेजा गया। क्या ज़रूरत थी आउट ऑफ फॉर्म चल रहे केएल राहुल (K L Rahul) को ऑस्ट्रेलिया भेजने की। उनकी जगह संजू सैमसन या फिर शुभमन गिल को भी तो भेजा जा सकता था।