सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से राजधानी की पुलिस को बड़ा झटका लगा। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की उस याचिका खारिज कर दिया जिसमें उत्तर पूर्वी दिल्ली में 2020 में हुए दंगों के मामले में आरोपी छात्रों देवांगना कलिता (Devangana Kalita), नताशा नरवाल (Natasha Narwal) और आसिफ इकबाल तन्हा (Asif Iqbal Tanha) की जमानत को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि उन्हें इस केस को बनाए रखने की कोई वजह नज़र नहीं आती। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी लिखा कि हाई कोर्ट का अभियुक्तों को जमानत देने का आदेश बहुत ही विस्तृत है और उसमें गैर कानूनी गतिविधि रोक अधिनियम (UAPA) के कई प्रविधानों की व्याख्या की गई है। दिल्ली पुलिस की याचिका पर न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और जस्टिस ए.अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि…
- इस मामले में सिर्फ इस बात पर विचार होना चाहिए था कि अभियुक्त जमानत पाने के अधिकारी हैं या नहीं - इसी को देखते हुए कोर्ट ने 18 जून 2021 को दिल्ली पुलिस की याचिका पर नोटिस जारी किया था - तब उस आदेश में कहा था कि हाई कोर्ट का ये आदेश नजीर नहीं माना जाएगा - यही नहीं कोई भी पक्ष किसी भी और मामले में इसका हवाला नहीं दे सकता
सर्वोच्च अदालत ने साफ किया कि उसने इस मामले में विधायी कानून की व्याख्या के मुद्दे विचार नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून 2021 को सुनवाई के दौरान इस बात पर आश्चर्यचकित व्यक्त किया था कि हाई कोर्ट ने जमानत अर्जी पर 100 पेज का फैसला दिया और उसमें पूरे UAPA कानून पर चर्चा हुई है। पीठ ने कहा था कि, बहुत से सवाल उठते हैं क्योंकि हाईकोर्ट में UAPA कानून की वैधानिकता को चुनौती नहीं दी गई थी। जबकि, हाईकोर्ट के सामने जमानत अर्जी थी।
दिल्ली दंगों के तीन अभियुक्तों देवांगना कालिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा को 15 जून 2021 को जमानत दे दी गई थी। जबकि, दिल्ली में 2020 में सीएए प्रदर्शन के दौरान सांप्रदायिक दंगे हुए थे दिल्ली पुलिस के मुताबिक दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और करीब 700 लोग घायल हुए थे।