गुजरात के जूनागढ़ (Junagadh) में एक दरगाह को हटाने का नोटिस देना प्रशासन पर भारी पड़ गया। सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम समुदाय (Muslim Community) के करीब 500 से 600 लोग जमा हो गए और सड़क पर हंगामा करने लगे। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नारेबाज़ी की और पुलिस पर पत्थर भी फेंके। भीड़ ने कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। जबकि, पथराव की वजह से एक डीएसपी और तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। हालात बेकाबू हो गए, जिसकी वजह से पुलिस का लाठीचार्ज करनी पड़ी। पुलिस ने हिंसक भीड़ पर टीयर गैस भी छोड़े। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस घटना में एक शख्स की मौत भी हो गई।
उपद्रवियों की दरगाह के सामने ही कुटाई
जूनागढ़ पुलिस ने बताया कि पुलिस पर हमला करने वाले और हिंसा करने वाले लोगों को दबोचे के लिए रातभर तलाशी अभियान चलाया गया। 174 आरोपियों को पुलिस ने डीटेन भी किया गया है। वीडियो फुटेज, सीसीटीवी का सहारा लिया जा रहा है। आरोपियों को जल्द-जल्द से गिरफ्तार करने के लिए ऑपरेशन शुरु कर दिया गया है। वहीं खबरों की मानें तो कुछ लोगों को गिरफ्तार करने के बाद उसी विवादित दरगाह के सामने खड़ा करके पुलिस मे जमकर पीटा। फिलहाल जूनागढ़ में हालात काबू में हैं। शहर में पुलिस की तैनाती है। आईजी समेत दर्जनों पुलिस अधिकारी और सैकड़ों पुलिसकर्मी अलग-अलग जगहों पर मुस्तैद हैं।
जूनागढ़ में क्यों लगी आग?
किलों, बाज़ारों, संगीत और नृत्य की संस्कृति के साथ मसालों और अचार के लिए मशहूर के लिए जूनागढ़ को मुस्लिम समुदाय से जुड़े कुछ लोगों ने हिंसा की आग में झुलसाने की कोशिश क्यों की। इस सवाल का जवाब है जूनागढ़ में मजेवड़ी गेट के सामने रास्ते के बीचो-बीच बनी एक दरगाह। चूंकि ये दरगाह रास्ते के बीच बनी थी, लिहाज़ा महानगर पालिका ने इस दरगाह को अवैध बताया। नगरपालिका ने 5 दिनों के अंदर दरगाह से जुड़े सबूत पेश करने का नोटिस जारी किया। यही नहीं, उसने कहा कि अगर सबूत पेश नहीं किए जाते तो दरगाह को तोड़ दिया जाएगा और इसका खर्च दरगाह से जुड़े लोगों को उठाना होगा। दरगाह को तोड़ने का नोटिस चस्पा करने के लिए महानगर पालिका के अधिकारी मौके पर पहुंचे। लेकिन, नोटिस पढ़कर सुनाते ही असमाजिक तत्व जमा हो गए और नारेबाज़ी करने लगे। इसके बाद हिंसा शुरु हो गई।