Friday, October 18, 2024
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Haryana Violence: मोनू मानेसर पर पर्चा फाड़कर हिंसा के दोषियों को बचाने की कोशिश? नूंह में हिंसा का मास्टरमाइंड कौन? जानिए हरियाणा के 8 ज़िलों का क्या है हाल

HARYANA: हरियाणा के नूंह (Nuh) में ब्रज मंडल यात्रा के दौरान सोमवार को हुई हिंसा, अगजनी और कट्टरपंथियों की नापाक हरकत के बाद मंगलवार को भी तनाव बना रहा। 2 अगस्त तक कर्फ्यू लगाने के बावजूद नूंह में पैरामिलिट्री फोर्सेज़ की 13 कंपनियां तैनात करनी पड़ीं। यही नहीं मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) सरकार की नाकामी की वजह से हिंसा की आग नूंह से आगे बढ़कर गुरुग्राम, रेवाड़ी, पलवल, सोनीपत, फरीदाबाद, पानीपत, महेंद्रगढ़ और बादशाहपुर तक फैल गई। जिसकी वजह से इन सभी 8 जिलों में धारा 144 लगाने के साथ 2 अगस्त तक इंटरनेट बंद कर दिया गया। हरियाणा के चार ज़िलों नूंह, फरीदाबाद, पलवल और गुरुग्राम में तो स्कूल कॉलेज बंद करने पड़े। हरियाणा सरकार ने नूंह की हिंसा में जान गंवाने वाले होमगार्ड नीरज और गुरसेवक सिंह के परिजनों को 57-57 लाख रुपए दिए जाने का ऐलान किया है। लेकिन, सवाल ये है कि, क्या एक मुआवज़ा देने भर से मृतकों के परिजनों का दुख कम हो जाएगा? 
सोशल मीडिया पोस्ट

थाने की दीवार को आतंकियों की तरह बस से तोड़ा, पुलिस पर दंगाइयों ने किया हमला

हरियाणा के 8 ज़िलों में हुई हिंसा से हिंदू (Hindu) और मुसलमान (Muslim), दोनों समुदाय के लोगों को नुकसान पहुंचा है। हिंदुओं की गाड़ियां, उनके शोरूम, उनकी दुकानों, उनकी रेहड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। शोभायात्रा में शामिल लोगों को अपनी जान बचाने के लिए मंदिर में जाकर छिपना पड़ा। लेकिन, मंदिर पर भी हमला किया गया। किस बात का गुस्सा जिहादी मानसिकता वाले लोगों के दिमाग में था कि वो बेकसूर लोगों को मारना चाहते थे। आखिर किस बात पर इतना आक्रोश था कि औरतों और बच्चों तक को नहीं बख्शा गया। दिमाग को किस नफरती कीड़े ने काट खाया था कि 500 से ज़्यादा लोगों की भीड़ ने एक बस से टक्कर मारकर साइबर थाने की दीवार तोड़ दी। थाने के अंदर घुसे, फर्नीचर तोड़े और आग लगाने की कोशिश की। हिंसा के मामले में पुलिस ने करीब 20 FIR दर्ज की हैं, लेकिन इतना काफी नहीं है। नूंह में शोभायात्रा पर सुनियोजित तरीके से हमला करने वाले हर एक शख्स की पहचान करनी चाहिए, उन्हें कानून के मुताबिक सख्त से सख्त सज़ा देनी चाहिए, ताकि भारत जैसे सभ्य समाज को इराक और सीरिया बनाने की कोशिश कोई ना कर सके। 
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मोनू मानेसर पर भड़काऊ बयान देने का आरोप लगाकर कैसे बच सकते हैं देश के लिए खतरा बने दंगाई?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नूंह में हुई हिंसा की वजह मोनू मानेसर (Monu Manesar) का कथित वीडियो है जिसमें वो हिंदुओं से अपील कर रहा है कि वो ब्रज मंडल यात्रा के दौरान भारी संख्या में जुटें। गौरतलब है कि मोनू मानेसर गौरक्षक है जिसपर राजस्थान के गोपालगढ़ के जुनैद और नासिर को गो-तस्करी के शक में हरियाणा में जिंदा जलाकर मारने का आरोप है। मोनू मानेसर फरार है। मीडिया का एक वर्ग इस बात को प्रमुखता से उठा रहा है कि मोनू मानेसर ने ही मुस्लिमों को हिंसा के लिए उकसाया। लेकिन, कुछ सवाल हैं जिनके जवाब जनता भी मांग रही है। मसलन... 

1 - मोनू मानेसर ने अपने वीडियो में क्या मुसलमानों को सबक सिखाने या उनके खिलाफ हिंसा की बात कही थी? 
2 - अगर मोनू ने भड़काऊ बयान दिया भी है तो मुस्लिम समाज के लोगों के इस बात का अधिकार किसने दिया कि वो हिंदुओं की शोभायात्रा पर हमला करें? 
3 - मुसिलम समाज के लोग आक्रोशित होकर क्या कानून को हाथ में लेने का अधिकार रखते हैं? 
4 - मुस्लिमों ने थाने में आग लगाने की कोशिश क्यों की, क्या पुलिस भी उनसे खिलाफ सांप्रदायिक भावना से प्रेरित होकर काम कर रही थी? 
5 - जब विश्व हिन्दू परिषद की सलाह पर मोनू मानेसर शोभायत्रा में नहीं पहुंचा, तो मुस्लिम युवकों की भीड़ ने निर्दोष लोगों पर हमला क्यों किया? 
6 - हरियाणा में मुसलमानों के क़त्ल के मुलज़िमों के पक्ष में सड़क जाम करना लोगों की भावनाओं की स्वभाविक अभिव्यक्ति है, तो हिंदुओं के प्रतिकार को गलत ठहराना जायज़ कैसे? 
7 - इसमें दो राय नहीं कि हिंसा के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की जवाबदेही तय होनी चाहिए, लेकिन नूंह के कांग्रेसी विधायक आफताब अहमद की क्या कोई ज़िम्मेदारी नहीं बनती? 
8 - आखिर वो कौन शख्स था जिसने मोनू के वीडियो को वायरल किया और मुस्लिमों को उकसाया? 
9 - क्या इस हिंसा के पीछे राजनीतिक साज़िश है, अगर है तो इसकी जांच कर उन लोगों को सज़ा कब दिलाई जाएगी जिन्होंने अपनी राजनीति के लिए लोगों की जान दांव पर लगाई? 
10 - और सबसे बड़ा सवाल ये है कि हिंसा की वजह से हुई लोगों की मौत को मौत क्यों कहा जाए, इसे मर्डर क्यों ना कहा जाए? 
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हरियाणा की खट्टर और केंद्र सरकार कब लेगी देश को हिंसा की आग में झोंकने वालों की खबर?

हरियाणा की मनोहर लाल सरकार दावा कर रही है कि वो दोषियों को सज़ा दिलाएगी। किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन, केंद्र सरकार क्या कर रही है। वो इस हिंसा को रोकने के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती कर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश कैसे कर सकती है। अगर केंद्र सरकार इस मामले पर गंभीर है, तो राजनीतिक बयानबाज़ी के अलावा ऐसा क्या किया जिससे जिहादी मानसिकता वाले उन लोगों की सज़ा सुनिश्चित हो जो सिर्फ हिंदुओं के लिए ही नहीं, बल्कि मुसलमानों के लिए भी खतरा हैं। इस देश के लिए खतरा हैं जो अगले कुछ वर्षों में विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। 
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