उत्तराखंड के जोशीमठ में लोगों की ज़िंदगी तबाह हो रही है। लोगों की आंखों के सामने उनके आशियाने उजाड़े जा रहे हैं। जो दीवारें कभी पीड़ित परिवारों को सुरक्षित होने का अहसास दिया करती थीं, अब उन्हीं दीवारों को ख़तरे का सबब बताकर तोड़ा जा रहा है। यहां के करीब 100 परिवारों के सिर से छत छिन चुकी है। जबकि, 2 जनवरी की रात घरों में आई दरारें अब और ज़्यादा मोटी होती जा रही हैं। भगवान ना करे अगर बारिश हुई तो जर्जर हुए मकानों के गिरने का खतरा भी बढ़ जाएगा।
हालांकि, प्रशासन ने इस बारे में लोगों को आगाह कर दिया है, फिर भी कुछ लोग हैं जो जो अपना घर, अपना आंगन, अपनी छत छोड़कर जाने को तैयार नहीं हैं। उनकी आंख में आंसू है, और दिल में पुरखों की विरासत से बिछड़ने का गम। मगर लोगों को ये समझना पड़ेगा कि जो हुआ.. सो हुआ, अब चीज़ें दोबारा से शायद ही ठीक हों। लिहाज़ा, अपने और अपने परिवारवालों की खातिर ही सही, सुरक्षित जगहों पर चले जाएं। क्योंकि सांसों का मोल एक शहर से कई ज्यादा है।
भले ही जोशीमठ की जनता आंसू और आक्रोश के साथ अपना हर एक घंटा गुजार रही हो। लेकिन, यहां की जनता को अब संभल कर रहना होगा। दरअसल, ISRO ने कुछ सैटेलाइट इमेज जारी किए हैं। ISRO के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर द्वारा जारी इन सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि, सिर्फ 12 दिनों में जोशीमठ 5.4 सेंटीमीटर धंस चुका है।
खतरा कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अप्रैल 2022 से नवंबर 2022 के बीच जोशीमठ 9 सेंटीमीटर नीचे चला गया। तस्वीरों पर जो पीले कलर का मार्क किया गया है, वो सेंसेटिव जोन है। और इस पीले घेरे में पूरा शहर आता है। मतलब कि पूरा का पूरा जोशीमठ शहर धंसने वाला है। यही नहीं, सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि…
- आर्मी हेलीपैड और नरसिंह मंदिर सहित सेंट्रल जोशीमठ खतरे में है
- सबसे ज्यादा धंसाव जोशीमठ-औली रोड के पास 2180 मीटर की ऊंचाई पर हुआ है
- जोशीमठ का निचला हिस्सा जो अलकनंदा नदी के ठीक ऊपर बसा हुआ है, ये भी धंस रहा है
हालांकि, ISRO की धंसाव पर दी गई ये प्राथमिक रिपोर्ट है। लेकिन, ये रिपोर्ट खतरे की घंटा तो बजाती ही है।
वैसे जोशीमठ के प्रभावितों को राहत के लिए कैबिनेट की बैठक में अहम फैसले लिए गए हैं। राज्य के सभी मंत्रियों ने अपनी एक महीने की सैलरी मुख्यमंत्री राहत कोष में देने की बात कही है। राहत शिवरों में रहने वाले लोगों के लिए 450 रुपए प्रति व्यक्ति हर रोज खाने पर खर्च किया जाएगा। जबकि, एक परिवार के दो लोगों को मनरेगा में काम मिलेगा। लेकिन, मीडिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि मदद के नाम पर अब तक सिर्फ कुछ लोगों को ही सरकार से 5 हजार का चेक मिला है।