राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड में महिलाओं के साथ हुए अत्याचार पर चुप्पी साधने वाले विपक्षी दलों के नेता राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए मणिपुर पहुंचे। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के 21 सांसदों ने दो दिन के अपने दौरे के दूसरे दिन मणिपुर (Manipur) की गवर्नर (Governor) अनुसुइया उइके (Anusuiya Uikey) से राजभवन में मुलाकात भी की। विपक्षी गठबंधन से जुड़े इन नेताओं ने अपने हस्ताक्षर वाली एक चिट्ठी राज्यपाल को सौंपी। इस चिट्ठी के ज़रिए सांसदों ने राज्यपाल से अपील की, कि वो राज्य सरकार को हिंसा रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए कहें।
मणिपुर दौरे पर गए I.N.D.I.A. के सांसदों को इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने चिट्ठी सौंपी है। जानकारी के मुताबिक आदिवासी और मैतेई शारीरिक रूप से अलग हैं। ITLF ने कहा है की इस बात की संभावना ना के बराबर है मैतेई और कुकी फिर से साथ रह पाएंगे। लिहाजा, इस फोरम ने केंद्र सरकार से अपील है कि संविधान के तहत उन्हें खुद का शासन करने का अधिकार दिया जाए। लेकिन, सवाल ये है कि ऐसे तो हर कोई स्वायत्त शासन की मांग करेगा। हालांकि, शायद विपक्षी दलों को इस मांग पर कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्हें तो सिर्फ अपनी राजनीति चमकानी है।
विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के सांसदों ने चुराचांदपुर, मोइरांग और इंफाल के राहत शिविरों का दौरा किया। ये सांसद वहां हिंसा पीड़ितों से मिले। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि राज्य और केंद्र सरकार लोगों की जिंदगी और संपत्ति की रक्षा करने में नाकाम रही है। उन्होंने दावा किया कि, मणिपुर में 140 मौतें और 500 से ज्यादा लोग जख्मी हो चुके हैं। यही नहीं इन्होंने कहा कि, 5 हजार से ज्यादा घरों में आग लगाने की घटनाएं हो चुकी हैं।
विपक्षी सांसदों के मणिपुर दौरे पर बीजेपी (BJP) ने कटाक्ष किया। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने विपक्षी सांसदों के मणिपुर दौरे को ड्रामा करार दिया। अनुराग ठाकुर ने कहा कि, ये पॉलिटिकल टूरिज्म पर निकले हैं। जब पहले की सरकारों के कार्यकाल में मणिपुर जलता था तो ये सांसद पार्लियामेंट में एक शब्द नहीं बोलते थे। वैसे अनुराग ठाकुर के आरोपों में दम भी लगता है। पश्चिम बंगाल में जब चुनाव के दौरान हिंसा हुई, बमबाज़ी हुई, लोगों का कत्ल-ए-आम हुआ, बलात्कार हुए, तब किसी विपक्षी सांसद की जुबान नहीं खुली। आपको याद होगा की कांग्रेस के अधीर रंजन ने ममता बनर्जी में चुनावी हिंसा को बढ़ावा देने के आरोप भी लगाए थे, लेकिन राजनीति का दोहरा चरित्र देखिए, आज कांग्रेस टीएमसी के साथ मिलकर मणिपुर हिंसा पर छाती पीट रही है।