राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने गुरुवार को अपने पूर्व डिप्टी सचिन पायलट (Sachin Pilot) को आड़े हाथों लिया और कहा कि उनकी पिछली सरकार में उनके द्वारा किए गए कार्यों के कारण कांग्रेस 2018 में सत्ता में लौटी। इस दौरान गहलोत ने विधानसभा में 156 सीटें जीतने का लक्ष्य भी रखा। लंबे समय से गहलोत के साथ सत्ता संघर्ष में उलझे पायलट ने हाल ही में कहा था कि कांग्रेस (Congress) की सत्ता में वापसी 2013 से 2018 तक पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के संघर्ष के कारण हुई, जब वो पीसीसी (PCC) प्रमुख थे।
बोले गहलोत…मैं ना होता तो कांग्रेस हार जाती
सार्वजनिक कार्यक्रमों में से एक में पायलट ने युवा पीढ़ी के नेताओं के लिए रास्ता बनाने के लिए पुराने लोगों की आवश्यकता के बारे में भी बात की थी। पायलट ने बार-बार कहा है कि कांग्रेस विधायकों की संख्या, जो 2013 में घटकर 21 हो गई थी, पार्टी आलाकमान द्वारा उन्हें राज्य में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रमुख बनाए जाने के बाद बढ़ी। जबकि, गहलोत ने पायलट का नाम लिए बिना कहा कि 2013 की हार काफी हद तक ‘मोदी लहर’ के कारण थी, लेकिन राज्य में बीजेपी सरकार के छह महीने के भीतर लोगों को अपनी गलती का एहसास हो गया था। गहलोत ने कहा कि, ‘बीजेपी के पास उनकी सरकार के खिलाफ उठाने के लिए कोई मुद्दा नहीं है और लोगों में कोई सत्ता विरोधी भावना नहीं है, लोग सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों से खुश हैं।’
गहलोत ने अपने समर्थकों को सराहा, बीजेपी को ललकारा
गहलोत ने कहा कि उनके विधायकों ने उनका समर्थन किया और 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान लड़ाई से निपटने में उनकी मदद की, जिसने उनकी सरकार को बचाया। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी सरकार बचाने और लोगों की सेवा करने के लिए कड़ा संघर्ष किया और अपनी ‘अंतिम सांस’ तक ऐसा करना जारी रखेंगे। गहलोत ने यह भी कहा कि उनकी राजनीति सेवा की राजनीति है और रचनात्मक कार्यों पर आधारित है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सफलता पाने के लिए व्यक्ति को पागलपन की सीमा तक काम करना चाहिए, चाहे वो राजनीति, व्यवसाय या फिर पत्रकारिता ही क्यों ना हो। राजस्थान में दिसंबर 2023 में चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में गहलोत BJP पर निशाना साधने के साथ सचिन पायलट के खिलाफ भी हल्ला बोल रहे हैं।