राजस्थान पुलिस ने शुक्रवार तड़के 2019 के पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के तीन जवानों की विधवाओं को कांग्रेस नेता सचिन पायलट के घर के बाहर प्रदर्शन स्थल से हटा दिया और उन्हें उनके आवासीय क्षेत्रों के पास के अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया। जयपुर आयुक्त आनंद श्रीवास्तव ने कहा कि उनके समर्थकों को सेज पुलिस थाने ले जाया गया। उनके एक करीबी सहयोगी ने बताया कि पुलिस की कार्रवाई तड़के करीब तीन बजे हुई जब विधवाओं के विरोध का समर्थन कर रहे भारतीय जनता पार्टी के सांसद किरोड़ी लाल मीणा उनके आवास पर गए थे।
शहीद जवानों की विधवाएं 28 फरवरी से विरोध कर रही हैं और नियमों में बदलाव की मांग करते हुए छह दिन पहले अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी। इनकी मांग है कि उनके रिश्तेदारों, न केवल बच्चों को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी मिल सके। उनकी अन्य मांगों में सड़कों का निर्माण और उनके गांवों में शहीदों की प्रतिमाएं लगाना शामिल है। गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मांगों पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्विटर पर पूछा था कि क्या शहीद जवानों के बच्चों के बजाय उनके अन्य रिश्तेदारों को नौकरी देना उचित होगा।
शुक्रवार सुबह बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने सेज थाने जाकर कहा कि सरकार विधवाओं की आवाज नहीं दबा सकेगी। उन्होंने कहा कि…
"सरकार 3 महिला योद्धाओं से इतना क्यों डरती है कि पुलिस ने रातों-रात उठा लिया। पता नहीं कहाँ ले गई हैं? महिलाएं केवल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी से मिलने की गुहार लगा रही हैं। मुख्यमंत्री इतने घबराए हुए क्यों हैं?"
बाद में मीना शहीदों की पत्नियों से मिलने चले गए, लेकिन जयपुर जिले के चोमू कस्बे के अंतर्गत आने वाली सामोद पुलिस ने उन्हें रोक लिया। आरोप है कि उनके साथ मारपीट भी की गई। पुलिस ने उन्हें गाड़ी से खींच कर बाहर निकाला और बदसलूकी की।