ऐसा लगता है कि सचिन पायलट (Sachin Pilot) और राजस्थान (Rajasthan) के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता (Political Rivalry) आखिरी दौर में प्रवेश कर गई है। असंतुष्ट सचिन पायलट ने सोमवार को अल्टीमेटम (ultimatum) दिया कि अगर महीने के अंत तक उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं की गई तो वो राजस्थान में व्यापक आंदोलन (Big Agitation) करेंगे।
उन्होंने राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) को भंग करने और इसके पुनर्गठन, सरकारी नौकरी परीक्षा पेपर लीक मामलों से प्रभावित लोगों के लिए मुआवजे और पिछली बीजेपी सरकार के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार (Corruption) के आरोपों की उच्च स्तरीय जांच (High Level Investigation) की भी मांग की। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने जयपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि,

''अगर इस महीने के अंत तक इन तीन मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो पूरे राज्य में आंदोलन शुरू किया जाएगा। यह नीति कहाँ की है कि अपने नेताओं को बदनाम करो, दूसरी पार्टी के नेताओं की प्रशंसा करो? ये नहीं चलने वाला... क्या मेरे मुंह से कभी गलत बात निकली? क्या आपने (गहलोत) मुझे गाली देने में कमी की? मुझे चिंता नहीं है...कोई गलत न समझे, जनता भगवान है।''
ऐसे शुरु हुई सचिन पायलट और गहलोत के बीच तकरार
दिसंबर 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही गहलोत और पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर टकराव चल रहा है। सत्ता के लिए उनकी सुलगती लड़ाई जुलाई 2020 में सार्वजनिक रूप से सामने आई, जब पायलट ने राज्य में नेतृत्व बदलने के लिए एक असफल विद्रोह का नेतृत्व किया। पिछली वसुंधरा राजे सिंधिया व्यवस्था के दौरान कथित भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाने के लिए गहलोत सरकार के खिलाफ प्रतीकात्मक दिन भर के धरने पर बैठने के बाद हाल के हफ्तों में झगड़ा फिर से शुरू हो गया।
पायलट की जनसंघर्ष यात्रा से होगा कांग्रेस का खेल खराब ?
असंतुष्ट कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने 11 मई को अजमेर से जयपुर तक 125 किलोमीटर का पैदल मार्च शुरू किया था, जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के शीर्ष नेताओं को राजस्थान में विधानसभा चुनाव के रूप में चुनौती दी गई। अभी-अभी शुरू हुई पांच दिवसीय यात्रा ने पार्टी नेतृत्व पर और दबाव बढ़ा दिया है क्योंकि उसे साल के अंत में होने वाले चुनावों में राज्य को बनाए रखने की उम्मीद है। यात्रा शुरू होते ही पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने पायलट का अनुसरण किया। कुछ ने तिरंगा थामा और उनके समर्थन में नारेबाजी की। पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी व स्थानीय नेता महेंद्र रालवता मौजूद रहे। लेकिन जाने-माने असंतुष्ट विधायक अजमेर से दूर रहे।