BIHAR: लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) पर भले ही रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस ने कब्ज़ा कर लिया हो, लेकिन चिराग पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के ज़रिए अपने चाचा की कुर्सी हिलाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। बिहार (Bihar) में चिराग पासवान (Chirag Paswan) को हाथों हाथ लिया जा रहा है। वो जहां भी रैली करने जाते हैं लोगों की भीड़ जुट जाती है। ये दो साल पहले चिराग पासवान की 'आशीर्वाद यात्रा' का ही नतीजा है कि उन्हें बीजेपी अपने ओर खींचने के साथ-साथ लोकसभा चुनाव में NDA का हिस्सा बनाने वाली है। लेकिन, चिराग पासवान का बढ़ता प्रभाव और लोकप्रियता उनके चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) को रास नहीं आ रही।
बिहार में हाजीपुर लोकसभा सीट (Hajipur Lok Sabha seat) पर गतिरोध को लेकर पशुपति पारस ने अपने भतीजे चिराग पासवान को सख्त संदेश देने की कोशिश की है। केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने शनिवार को कहा कि, वो अगला आम चुनाव उसी सीट से लड़ेंगे और दुनिया की कोई ताकत उन्हें ऐसा करने से नहीं रोक सकती। पारस का ये बयान उनके भतीजे चिराग द्वारा हाजीपुर सीट पर दावा करने के बाद आई है, जो पहले उनके दिवंगत पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की थी। पशुपति पारस ने विश्वास जताया कि बीजेपी (BJP) के नेतृत्व वाला एनडीए (NDA) चिराग के दावे के बजाय हाजीपुर (Hajipur) लोकसभा सीट पर उनके दावे का समर्थन करेगा, जो अभी तक गठबंधन का हिस्सा नहीं बने हैं।
पशुपति पारस ने पटना (Patna) में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि, "मैं एनडीए का हिस्सा हूं और इसमें कोई संदेह नहीं है। दूसरी ओर, चिराग दिल्ली में एनडीए की बैठक में शामिल हुए थे, लेकिन संसद के अंदर बुलाई गई गठबंधन के सांसदों की बैठक में उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था। ये सब कुछ कहता है।" उन्होंने 18 जुलाई को नई दिल्ली में हुई एनडीए की बैठक के बाद उनके और चिराग के बीच संभावित सुलह की अटकलों को भी खारिज कर दिया है। पशुपति पारस ने कहा कि, ''मुझे चिराग के साथ मतभेद की अटकलों को खारिज करना चाहिए, जो दिल्ली में मेरे पैर छूने और मेरे द्वारा उन्हें आशीर्वाद देने की तस्वीरों के बाद उठी हैं। ये बिहार और मिथिला क्षेत्र की संस्कृति का हिस्सा है, जहां से हम आते हैं।''
पशुपति पारस ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को भी खारिज कर दिया कि वो अपने दिवंगत भाई की तरह अपने जीवन के अंतिम चरण में राज्यसभा का रास्ता अपना सकते हैं। उन्होंने कहा कि, "दुनिया की कोई भी ताकत मुझे अगले चुनाव में हाजीपुर से चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकती। ऐसी सभी रिपोर्टें, जो अन्यथा कहती हैं, बरसात के मौसम में मेंढकों की आवाज की तरह हैं। आप इन्हें सुन सकते हैं क्योंकि ये चुनावी वर्ष है, लेकिन ऐसी कहानियों में कोई दम नहीं है।" ये पूछे जाने पर कि चिराग ने हाजीपुर सीट को अपने दिवंगत पिता की कर्मभूमि बताते हुए उस पर दावा किया है, पारस ने कहा कि, दिवंगत रामविलास पासवान मेरे भी भाई थे।