भारत ने जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाने के लिए तुर्किए (TURKEY) और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की आलोचना की है। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि सीमा पुजानी ने खेद व्यक्त किया और तुर्किए को भारत के आंतरिक मामलों पर अवांछित टिप्पणी करने से बचने की सलाह दी। कश्मीर पर तुर्किए की यह टिप्पणी भारत द्वारा भूकंप प्रभावित देश को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए ‘ऑपरेशन दोस्त’ शुरू करने के कुछ दिनों बाद आई है।
पुजानी ने जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाने के लिए तुर्की और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की भी आलोचना की और भारत के आंतरिक मामलों पर अवांछित टिप्पणी करने से बचने का आह्वान किया। उन्होंने दोहराया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हमेशा से भारत का हिस्सा रहे हैं और रहेंगे, जबकि पाकिस्तान ने भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा है। भारत ने ओआईसी से अपने सदस्य पाकिस्तान से भारत के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण प्रचार में शामिल होने के बजाय राज्य प्रायोजित आतंकवाद छोड़ने और भारतीय क्षेत्र से अपना कब्जा हटाने का आग्रह करने का आह्वान किया।
भारत ने UN में निकाली पाकिस्तानी प्रॉपगैंडा की हवा
भारत के खिलाफ पाकिस्तान के ‘दुर्भावनापूर्ण प्रचार’ का जवाब देने के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 52वें सत्र के उच्च स्तरीय खंड में भारत ने ‘जवाब देने के अधिकार’ का इस्तेमाल किया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव सीमा पुजानी ने अहमदिया समुदाय, ईसाइयों, हिंदुओं और सिखों सहित पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर प्रकाश डाला। उन्होंने जबरन लोगों को गायब करने की ‘क्रूर नीति’ के लिए पाकिस्तान की आलोचना की, जिसने बलूचिस्तान प्रांत और अन्य स्थानों पर रहने वाले लोगों को प्रभावित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान में ईसाई समुदाय के साथ किया गया व्यवहार भी उतना ही निंदनीय है। उन्होंने कहा, ‘इसे अक्सर कठोर ईशनिंदा कानूनों के जरिए निशाना बनाया जाता है। राज्य संस्थान आधिकारिक तौर पर ईसाइयों के लिए ‘स्वच्छता’ नौकरियां आरक्षित करते हैं। समुदाय की कम उम्र की लड़कियों को एक हिंसक राज्य और एक उदासीन न्यायपालिका द्वारा उकसाकर इस्लाम में परिवर्तित किया जाता है।