अमेरिका में दो दिन में दो बैंक डूब गए। सिलिकन वैली और सिग्नेचर बैंक का अमेरिकी सरकार ने टेकओवर कर लिया। अमेरिका के इतिहास में दूसरे और तीसरे सबसे बड़े बैंक डूबे। क्रिप्टो कर्ज देने वाले सिग्नेचर बैंक ने दिवालिया होने का आवेदन लगा दिया। लेकिन, हैरानी की बात ये है कि अमेरिकी प्रशासन को इन बैकों की खस्ता हालत के बारे में पता ही नहीं लगा। पिछले 6 महीने से सिलिकॉन वैली बैंक के शेयरों में बिकवाली हो रही थी। बैंक के CEO ने 11% हिस्सेदारी बेची, CFO ने 32% हिस्सा बेचा और CMO ने 28% हिस्सा बेचा। यही नहीं इस बैंकिंग संकट के ठीक पहले JP मॉर्गन ने खरीदारी की सलाह दी। संकट से पहले शेयर एक साल में 50% तक लुढ़का। जबकि बॉन्ड बेचने के बाद मूडीज ने डाउनग्रेड किया। लेकिन, इसे बाइडन सरकार की नाकामी ही कहेंगे कि उसे इसकी भनक तक नहीं लगी।
दो बैंक बंद होने से अमेरिकी ग्राहकों की बढ़ी बेचैनी
अमेरिका के सिलिकॉन वैली और सिग्नेचर बैंक के दिवालिया होने से ग्राहकों की बेचैनी बढ़ गई है। लोग इस कदर घबरा गए हैं कि बड़ी संख्या में बैंक पहुंचने लगे ताकि अपने पैसे निकाल सकें। सिलिकॉन वैली बैंक के बाहर तो ग्राहकों की लंबी लाइन लग गई। ग्राहकों ने आरोप लगाया कि बैंक के अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई, लिहाज़ा उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। ग्राहक ये कहते भी नज़र आए कि दो बैंकों के दिवालिया होने से उन्हें बड़ी सीख मिली है, और अब वो एक ही बैंक में अपने सारे पैसे जमा नहीं करेंगे। हालांकि, ग्राहकों की परेशानी और बेचैनी को देखते हुए अमेरिकी प्रशासन ने एहतियाती कदम उठाने शुरु कर दिए।
बाइडन प्रशासन ने बैंकों की बदहाली पर क्या कदम उठाए ?
बाइडन प्रशासन ने सिलिकॉन वैली बैंक की देखरेख का ज़िम्मा FDIC यानि Federal Deposit Insurance Corporation को सौंप दी है जिसे अकाउंट होल्डर्स के हितों की रक्षा करने के लिए 1933 में बनाया गया था। FDIC के अधिकारी के सिलिकॉन वैली बैंक पहुंच गए, जहां उन्होंने ग्राहकों की दुविधा और डर को खत्म करने की पूरी कोशिश की। FDIC अधिकारियों ने ग्राहकों को बताया कि उनके पैसे सुरक्षित हैं और वो उसे निकाल भी सकते हैं। FDIC अधिकारियों ने कहा कि अगले हफ्ते से बैंक खुल जाएगा। यही नहीं अब से सिलिकॉन वैली बैंक का सारा काम पुराना स्टाफ नहीं बल्कि FDIC के कर्मचारी देखेंगे। सिग्नेचर बैंक पर भी इस हफ्ते के अंत तक FDIC का नियंत्रण हो जागा। वहीं बाइ़डन प्रशासन ने बैंक के कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का ऐलान किया है, जबकि ये संकेत भी दिए हैं कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन देश की जनता को संबोधित
करते हुए ये भरोसा भी दिया कि किसी भी अकाउंट होल्डर का पैसा नहीं डूबेगा, और ना ही इस बैंकिंग संकट से किसी कंपनी को नुकसान उठाना पड़ेगा।
''अमेरिकन्स को ये विश्वास रखना चाहिए कि बैंकिंग सिस्टम पूरी तरह सुरक्षित है। आपको जब ज़रूरत होगी आपके जमा किए पैसे मिल जाएंगे। इन बैंकों में छोटे बिज़नेसेज़ और उनके डिपॉज़िट अकाउंट्स राहत की सांस ले सकेंगे, वो अपने कर्मचारियों को वेतन दे पाएंगे, और अपने ज़रूरी भुगतान भी कर पाएंगे।''
अमेरिकी बैंक संकट का भारत पर कितना असर ?
पिछले तीन दिनों में दो प्रमुख अमेरिकी बैंक डूब गए, जिसकी वजह से अब अमेरिका के बैंकिंग सेक्टर में बड़ा असर देखने को मिल सकता है। दो प्रमुख बैंकों पर ताला लटकने से महंगाई, बढ़ती दरें और बैलेंस शीट पर असर पड़ सकता है। वहीं घरेलू बाजार पर भी इस बैंकिंग क्राइसिस की गाज गिर सकती है। सोमवार को दोनों प्रमुख इंडेक्स लगातार तीसरे दिन गिरावट के साथ बंद हुए थे। जबकि, इंडसइंड बैंक का शेयर सात फीसदी से ज्यादा टूट गया। पिछले तीन कारोबारी सत्रों में निवेशक करीब 7.3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा गंवा चुके हैं। सेंसेक्स 2110 अंक फिसल चुका है। दरअसल, भारत की 40 कंपनियों का SVB में एक्सपोजर है। इन भारतीय स्टार्टअप्स कंपनियों ने SVB में करीब 1 मिलियन डॉलर जमा कर रखे हैं। इनमें एक्सेल, सिकोवा इंडिया, लाइटस्पीड, सॉफ्टबैंक और बेसेमर वेंचर शामिल हैं। जबकि, पेटीएम, वन97 कम्यूनिकेश्नस, कारवाले, नापतोल जैसे कंपनियों को SVB फंडिंग करती रही है।